Blood Cancer: ब्लड कैंसर से जूझ रहे मरीजों का इलाज होगा आसान, देश की पहली CAR-T Therapy को मिली मंजूरी, जानें क्या है ये तकनीक

Blood Cancer Treatment: दुनियाभर में कैंसर के इलाज की नई-नई तकनीक विकसित की जा रही है, जिससे मरीजों की जान बचाई जा सके. इसी तरह की एक तकनीक सीएआर-टी थेरेपी को भारत में मान्यता दी गई है. यह थेरेपी ब्लड कैंसर का इलाज करने में कारगर है.

Blood Cancer (symbolic photo)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 14 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 7:59 PM IST
  • भारत में सीएआर-टी थेरेपी पर विशेषज्ञ 2018 से कर रहे काम 
  • यह थेरेपी कैंसर मरीजों पर 88 फीसदी तक है असरदार 

ब्लड कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए अच्छी खबर है. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने देश की पहली काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (सीएआर)-टी सेल थेरेपी को मंजूरी दे दी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, विशेषज्ञ कार्य समिति की सिफारिश पर इस थेरेपी को बाजार में लाने की मंजूरी मिली है. इस थेरेपी से लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (व्हाइट ब्लड सेल्स को पैदा करने वाली सेल्स से उत्पन्न होने वाला कैंसर) और बी-सेल लिंफोमा (लसीका सिस्टम से होने वाला कैंसर) कैंसर से जूझ रहे मरीजों का इलाज किया जा सकेगा. 

क्या है ये तकनीक
काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (CAR)-टी सेल थेरेपी, ऐसी तकनीक है, जिसमें मरीज से व्हाइट ब्लड सेल्स से टी सेल्स निकाला जाता है. इसके बाद ट्यूमर सेल्स को टार्गेट करने के लिए टी सेल्स को लैब में मोडिफाई किया जाता है और फिर इसे वापस मरीज के शरीर में डाल दिया जाता है. यह प्रक्रिया सिर्फ एक बार की जाती है. मॉडिफाई किए जाने के बाद टी सेल्स मरीज के शरीर में मौजूद कैंसर को खत्म कर देते हैं.

कैंसर मरीजों पर है असरदार
आईआईटी बॉम्बे और टाटा मेमोरियल सेंटर (टीएमसी) ने संयुक्त रूप से इस स्वदेशी तकनीक को विकसित किया है. इसका परीक्षण देश के कई बड़े अस्पतालों में दो अलग अलग चरणों में हुआ है. एक चरण चंडीगढ़ पीजीआई और एक टाटा अस्पताल की निगरानी में हुआ. चंडीगढ़ पीजीआई के डॉक्टरों ने अपने परीक्षण में इस थैरेपी को कैंसर मरीजों पर 88 फीसदी तक असरदार पाया है. जल्द ही मल्टीपल मायलोमा कैंसर को लेकर भी इसका परीक्षण होगा.

अमेरिका में 2017 में इस थेरेपी को मिल चुकी है मंजूरी
भारत से पहले इस थेरेपी को अमेरिका में 2017 में मंजूरी मिल चुकी है. वहां पर इस थेरेपी के लिए एक मरीज को करीब तीन से चार करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं. भारत में इस थेरेपी पर विशेषज्ञों ने 2018 में काम शुरू किया. कहा जा रहा है कि भारत में ये थेरेपी अगले कुछ दिनों में उपलब्ध हो सकेगी. इसका खर्च करीब 30 से 40 लाख रुपए आ सकता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि भविष्य में ये थेरेपी और सस्ती हो सकती है.

CAR-T थेरेपी को इम्यूनोथेरेपी भी कहा जाता है
भारत के अलावा दुनिया के कई अन्य देशों में भी CAR-T थेरेपी पर काम किया जा रहा है. जिसे इम्यूनोथेरेपी भी कहा जाता है. इसका उद्देश्य मरीज के शरीर में ऐसे एजेंट विकसित करना है जो कैंसर के खिलाफ लड़ते हुए मरीज की जान बचा सकें. मालूम हो कि देश में हर साल 14 लाख से ज्यादा कैंसर मरीज सामने आ रहे हैं. इनकी संख्या हर साल लगातार बढ़ रही है. अभी तक कैंसर के मामले में रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी और सर्जरी के विकल्प हैं. 

देश के अस्पतालों में कराया जाएगा उपलब्ध 
सीडीएससीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुंबई स्थित इम्यूनोएडॉप्टिव सेल थेरेपी प्राइवेट लिमिटेड (इम्यूनोएसीटी) की ओर से स्वदेशी कार टी सेल थेरेपी को बाजार में लाने के लिए कुछ माह पहले आवेदन दिया गया. इस पर विशेषज्ञ कार्य समिति ने चर्चा के बाद अनुमति देने की सिफारिश की है. कंपनी ने कहा है कि उसे पहले मानवकृत `मेड इन इंडिया’ सीडी 19-लक्षित सीएआर-टी सेल थेरेपी उत्पाद के लिए विपणन प्राधिकरण की अनुमति मिल गई है, जो भारत को वैश्विक उन्नत सेल और जीन थेरेपी मानचित्र पर लेकर आएगा. कंपनी के अनुसार, जल्द ही इस थेरेपी को देश के अस्पतालों में उपलब्ध कराया जाएगा.

 

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