Covid in China: चीन में बढ़ रहे कोरोना के मामलों से नहीं है घबराने की जरूरत...भारत अभी भी बेहतर स्थिति में, लेकिन दवा केवल एक बूस्टर डोज

कोरोना के मामले में भारत अभी भी चीन से बेहतर है क्योंकि भारत का टीका कई अधिक कारगर है. भारत को तेजी से बूस्टर की जरूरत है. भारत में ज्यादातर लगाई जाने वाले कोविड-19 टीकों में से 96% या तो Oxford/Astrazeneca द्वारा तैयार कोविशील्ड (Covishield) हैं.

Covid Breakout in China
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 9:08 AM IST
  • चीन का टीका कम प्रभावी
  • लोगों ने नहीं ली बूस्टर डोज

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को चीन,जापान, दक्षिण कोरिया, ब्राजील और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे अन्य देशों में बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए भारत में कोविड -19 स्थिति की समीक्षा की. चूंकि चीन एकमात्र बड़ा देश है जहां मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं, इसलिए यह विचार करना महत्वपूर्ण है कि भारत, चीन में आई कोरोना की लहर से कितना  सुरक्षित है? हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत चीन की तुलना में बेहतर संरक्षित है. हालांकि, इसका एक मात्र इलाज टीकाकरण ही है जिसके दम पर भारत अभी चीन से बेहतर स्थिति में है. 

भारत के टीके चीन की तुलना में बेहतर काम करते हैं, लेकिन भारत को तेजी से बूस्टर की जरूरत है. भारत में ज्यादातर लगाई जाने वाले कोविड-19 टीकों में से 96% या तो Oxford/Astrazeneca द्वारा तैयार कोविशील्ड (Covishield)हैं जो सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया या भारत बायोटेक के कोवाक्सिन द्वारा निर्मित हैं. जबकि चीन में दिए जाने वाले अधिकांश टीके कोरोनावैक और सिनोफार्म हैं.

चीन का टीका कम प्रभावी
कोरोनावैक के खिलाफ ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (जो भारत की खुराक का 80% हिस्सा है) की प्रभावकारिता का परीक्षण किया गया. ब्राजील में दस लाख लोगों के एक अध्ययन में पाया गया कि दोनों टीकों ने युवा लोगों के बीच समान सुरक्षा प्रदान की, लेकिन बूढ़े लोगों में गंभीर संक्रमण के खिलाफ कोरोनावैक (CoronaVac) कम प्रभावी था.अध्ययन के अनुसार, ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के 76% की तुलना में, कोरोनावैक ने 79 वर्ष की आयु तक के लोगों के लिए गंभीर बीमारी से 60% तक सुरक्षा प्रदान की. लेकिन 80 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में, चीन में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली वैक्सीन, कोरोनावैक, गंभीर बीमारी से लोगों की रक्षा करने में केवल 30% प्रभावी था, और मृत्यु के खिलाफ 45% प्रभावी था, जबकि ऑक्सफोर्ड वैक्सीन क्रमशः 67% और 85% थी.

यह समस्या चीन के लिए इसलिए और भी जटिल हो गई है क्योंकि इसका age-wise टीका कवरेज भारत के विपरीत है. चीन ने वृद्ध लोगों की तुलना में युवा लोगों के उच्च अनुपात को कवर किया है. इसलिए यह निश्चित है कि अगर भारतीय टीकों की प्रभावकारिता बेकार है अगर ज्यादा से ज्यादा लोग उसे नहीं लेते. उदाहरण के लिए, यहां तक ​​कि पश्चिमी देशों में दिए जा रहे एमआरएनए टीके भी कोरोनावैक से अधिक प्रभावी हैं. फिर भी, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय देशों में केसों की वृद्धि देखी जा रही है, हालांकि चीन की तुलना में वो काफी छोटी है और वहां ऐसे कोई लॉकडाउन की आवश्यकता भी नहीं है.

लोगों ने नहीं ली बूस्टर डोज
वहीं बूस्टर कवरेज के मामले में भारत पिछड़ा हुआ है. 100 मिलियन से अधिक आबादी वाले 14 देशों में, भारत का बूस्टर कवरेज 10वें स्थान पर है जबकि ब्राजील और संयुक्त राज्य अमेरिका उससे आगे हैं. यह सिर्फ इसलिए नहीं है कि भारत में केवल वयस्क बूस्टर के लिए पात्र हैं. पिछली बार जब स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीकाकरण की खुराक और age-wise ब्रेकअप (31 अक्टूबर को) प्रकाशित किया था, तो 940 मिलियन वयस्कों में से 719 मिलियन वयस्कों को अभी तक बूस्टर लेना बाकी था (591 मिलियन छह महीने के आवश्यक अंतराल के पात्र होने के बावजूद). इसमें बदलाव की संभावना नहीं है क्योंकि तब से केवल 2.5 मिलियन बूस्टर ही प्रशासित किए गए हैं. इसके अलावा, 135 मिलियन लोगों (उनमें से 60 मिलियन किशोर हैं) ने अभी तक दूसरी खुराक भी नहीं ली है.

नहीं है नेचुरल इम्युनिटी
बूस्टर में पिछड़ने के बावजूद भारत के पास चीन की लहर से ना घबराने की वजह है. चीन के सख्त लॉकडाउन का मतलब है कि देश में कम लोगों को हाल के संक्रमणों से नेचुरल इम्युनिटी डेवलेप हुई है. भारत में 45 मिलियन के मुकाबले 20 दिसंबर तक चीन में लगभग 2 मिलियन संचयी कोविड -19 मामले थे. यह 2021 जनसंख्या अनुमानों के अनुसार भारत में 32,819 की तुलना में चीन में प्रति मिलियन 1,348 संक्रमित लोगों का अनुवाद करता है. पैन-इंडिया सीरो-प्रचलन अध्ययनों ने जून-जुलाई 2021 में भी भारत में 62% प्रसार दिखाया. यह आंकड़ा बढ़ने की संभावना है, क्योंकि भारत में 22% संक्रमण पिछले साल दिसंबर के मध्य से ही भारत में हुआ है, जब तीसरी लहर आई थी. 

एक और कारण है कि भारत को चीन में बढ़ रहे केसों में शांत रहने की आवश्यकता है, वह यह है कि देश ओमिक्रॉन सब-वैरिएंट के साथ लंबे समय से परिचित है. चीन के नवीनतम डेटा (9 दिसंबर को पाए गए नमूने) ने BQ.1.1 सब-वैरिएंट के 7% की तुलना में 14% नमूनों में मौजूद Omicron के BF.7 सब वैरिएंट को दिखाया. Outbreak.info द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, बाद वाले ने 3 नवंबर के अंतिम डेटा में सभी नमूनों का गठन किया. दूसरी ओर भारत ने पहली बार जुलाई में लिए गए नमूने में BF.7 सब-वैरिएंट का पता लगाया था. 


 

 

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