अंगदान को महादान कहा जाता है. हम उस देश में रहते हैं जहां दधीची जैसे ऋषि ने एक दैत्य को मारने के लिए अपनी हड्डियों का बलिदान कर दिया था. आज 12 वां भारतीय अंगदान दिवस है. इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने जनता को संबोधित करते हुए ये संदेश दिया कि जीते जी रक्तदान, मरने के बाद अंगदान, हमारे जीवन का आदर्श होना चाहिए.
2013 से 2019 में तीन गुना बढ़ी अंग प्रत्यारोपण की कुल संख्या
उन्होंने कहा कि, "मुझे यह बताते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि देश में प्रति वर्ष किए गए अंग प्रत्यारोपण की कुल संख्या साल 2013 में 4,990 से बढ़कर साल 2019 में 12,746 हो गई थी और भारत अब दुनिया में केवल संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है." ये आंकड़ा ग्लोबल ऑब्जर्वेटरी ऑन डोनेशन एंड ट्रांसप्लांटेशन (GODT) वेबसाइट पर उपलब्ध है.
क्या है अंगदान का महत्व?
मंडाविया ने अंगदान के महत्व को समझाते हुए कहा, "हमारी संस्कृति 'शुभ' और 'लाभ' पर जोर देती है, जहां व्यक्तिगत भलाई समुदाय की अधिक भलाई के साथ निहित है. 12वें भारतीय अंगदान दिवस में भाग लेना मेरे लिए सम्मान की बात है. ये वो दिन है जो अंगदान के नेक कार्य के लिए मनाया जाता है. इस आयोजन में महाराष्ट्र के राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (SOTTO) ने सबसे अधिक मृतक दाताओं के प्रत्यारोपण के लिए पुरस्कार जीता, जबकि पश्चिमी क्षेत्र के लिए क्षेत्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (ROTTO) को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए मान्यता दी गई." उन्होंने आगे कहा कि अंगदान की दर 2012-13 की तुलना में लगभग चार गुना बढ़ी है.
अंग प्रत्यारोपण में तीसरे नंबर पर है भारत
"मुझे यह बताते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि देश में हर साल किए गए अंग प्रत्यारोपण की कुल संख्या वर्ष 2013 में 4990 से बढ़कर वर्ष 2019 में 12746 हो गई है और भारत अब दुनिया में केवल अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है. स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि देश अभी भी प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले रोगियों की संख्या और मृत्यु के बाद अपने अंग दान करने के लिए सहमत होने वाले लोगों की संख्या के बीच एक बड़े अंतर का सामना कर रहा है. उन्होंने कहा, "इसके अलावा अंग दान और प्रत्यारोपण गतिविधियों को कोरोना महामारी के कारण नकारात्मक रूप से प्रभावित किया गया है, जिसे हम जल्द ही पीछे छोड़ने की उम्मीद करते हैं."
अंगदान के लिए मीडिया को प्रेरित करना चाहिए
स्वास्थ्य मंत्री ने लोगों से न केवल अपने अंग दान करने का संकल्प लेने का आह्वान किया, बल्कि देश में प्रत्यारोपण के लिए उपलब्ध अंगों की कमी के बारे में भी प्रचार किया और दूसरों को आगे आने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि, "समस्त समाज, डॉक्टरों, जागरूक नागरिकों, सरकारों और यहां तक कि मीडिया को भी अंगदान की झिझक को दूर करने और देश भर में अंगदान बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से अपनी भूमिका निभाने की जरूरत है."