Indian Council of Medical Research ने क्यों कहा, घर में बना खाना भी हो सकता है unhealthy?

भारत में यह धारणा आम है कि घर का बना खाना सेहत के लिए अच्छा है जबकि बाहर का खाना सेहत के लिए खराब. लेकिन इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च ने अपनी नई गाइडलाइन्स में खुलासा किया है कि घर का खाना भी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है.

Representational image (Photo: Unsplash/Ashwini Chaubey)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 15 मई 2024,
  • अपडेटेड 5:19 PM IST
  • आईसीएमआर नेे घर के खाने को लेकर दी चेतावनी
  • जारी की 17 प्वॉइंटर गाइडलाइन्स

पचास-पचास कोस दूर जब बाजार में घूमता हुआ कोई बच्चा अपनी मां से कहता है कि "मां, गोलगप्पे खिला दो, पापड़ी खिला दो, चाऊमीन खिला दो..." तो मां कहती है, चुप हो जाओ वरना शरीर में बीमारियां आ जाएंगी. यह धारणा आम हो चुकी है कि घर का खाना सेहत के लिए अच्छा होता है और बाहर का खाना खराब. इसके पीछे वाजिब कारण भी हैं; कई बार स्ट्रीट फूड साफ-सफाई से नहीं बनाया जाता, तो कई बार बासी-तिबासी सामग्री इस्तेमाल की जाती है. लेकिन अगर आप से कोई कहे कि घर में बना खाना भी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है तो?

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रीसर्च (ICMR) ने पिछले सप्ताह 17 डाइट्री गाइडलाइन्स जारी की हैं, जिनमें ऐसी ही बात कही गई है. खास तौर पर भारतीयों के लिए तैयार की गई इन गाइडलाइन्स में कहा गया है कि अगर खाने में ज्यादा फैट, चीनी या नमक हो तो वह सेहत के लिए खराब हो सकता है.

पैनल ने कहीं ये बातें 
आईसीएमआर ने अपनी नई रिपोर्ट में जिस खाने पर रोशनी डाली है उसे एचएफएसए (HFSS- High in saturated Fat, Sugar and Salt) कहा जाता है. काउंसिल का कहना है कि इस खाने में कैलरी बहुत ज्यादा होती है जबकि माइक्रोन्यूट्रिएंट्स और फाइबर बहुत कम.
इस पैनल में रिसर्च करने वालों का कहना है कि जब खाना में फैट और चीनी बहुत ज्यादा होती है तो वे मोटापे की समस्या पैदा कर सकते हैं. गाइडलाइन्स में कहा गया है, "इस तरह का खाना खाने वाले लोग अक्सर उस पौष्टिक खाने से वंचित रह जाते हैं जो उन्हें मैक्रोन्यूट्रिएंट्स, फाइबर, विटामिन, मिनरल और बायो-एक्टिव सब्सटांस दे सकता है."

स्वास्थ्य को हो सकते हैं ये नुकसान
अगर आपके खाने में अमीनो ऐसिड, फैटी ऐसिड और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी है तो आपको रक्तहीनता (Anaemia) हो सकती है. इसके अलावा यह सीखने, समझने और चीजों को याद रखने की सलाहियत को भी प्रभावित कर सकता है. इसके अलावा टाइप 2 डाइबिटीज और मोटापे (Obesity) का खतरा भी बना रहता है.

पैनल ने कहा, "ज्यादा फैट या ज्यादा चीनी वाला खाना सूजन का कारण बनता है. यह आंत के माइक्रोबायोटा को प्रभावित करते हैं, जो आहार के साथ तेजी से बदलता है. ज्यादा नमक वाला खाना ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है और गुर्दे (liver) पर भी बुरा असर डालता है." 

तो घर का खाना कैसे खराब?
घर के खाने में आमतौर पर घी, मक्खन, नारियल तेल, ताड़ का तेल या वनस्पति घी इस्तेमाल किया जाता है. इन चीजों में सैचुरेटिड फैट मौजूद होता है. काउंसिल ने अपनी गाइडलाइन्स में बताया कि अगर 2000 कैलरीज़ की डाइट में 10 ग्राम से ज्यादा फैट इस्तेमाल किया जाता है तो वह सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है.
बात करें चीनी की, तो काउंसिल ने कहा है कि एक वयस्क को चीनी 25 ग्राम से ज्यादा नहीं खाई जानी चाहिए. इसी तरह, एक व्यक्ति को दिन में पांच ग्राम से ज्यादा नमक नहीं खाना चाहिए. काउंसिल ने चेतावनी दी कि बाजार में मिलने वाली चिप्स, केचप, बिस्किट जैसी चीजों में भी नमक की मात्रा जरूरत से ज्यादा हो सकती है.
इसलिए एहतियात के साथ ही किसी भी चीज का सेवन करें. कैलरी की खपत तभी ज्यादा करें जब उसके साथ आपको जरूरी न्यूट्रिएंट्स मिलते रहें.

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