इक्कीसवीं सदी के तकनीकी युग में इंसानों द्वारा निर्मित रोबोट्स सारे काम करने में सक्षम हैं. साइंटिफिक और तकनीकी तौर पर हम इतना आगे बढ़ चुके हैं, कि अब रोबोट्स सर्जरी भी परफॉर्म कर रहे हैं. लेकिन रोबोटिक सर्जरी बहुत महंगी होने के कारण बहुत कम लोग इसका इस्तेमाल कर पाते. इस मशीन की कीमत इतनी ज्यादा होती है कि बहुत कम ऐसे अस्पताल है जो इसे रखते हैं. लेकिन अब इस कमी को पूरा करने के लिए एस एस आई मंत्रा रोबोटिक सिस्टम ने कमर कस ली है. मंत्रा सर्जिकल रोबोटिक सिस्टम एसएस इनोवेशन नई दिल्ली की एक कंपनी है जिसने मंत्रा सर्जिकल रोबोटिक सिस्टम को तैयार किया है.
यह कंपनी डॉक्टर सुधीर श्रीवास्तव की है जो कि खुद एक कार्डियो थोरेसिक सर्जन हैं और रोबोट सर्जरी में माहिर हैं. यह भारत का सबसे सस्ता रोबोटिक सर्जरी सिस्टम है. इस साल के अंत तक पूरे देश में इस सर्जरी सिस्टम के 100 यूनिट लगने वाले हैं.
17 करोड़ का यूनिट महज 5 करोड़ में
मंत्रा सर्जिकल रोबोटिक सिस्टम इसलिए सबसे सस्ता है क्योंकि इसके एक यूनिट की कीमत 4-5 करोड़ है, जबकि ग्लोबल सर्जिकल रोबोटिक सिस्टम जैसे Da Vinci के एक यूनिट की कीमत 15-17 करोड़ है. भारत में इस वक्त केवल 70-80 रोबोटिक्स यूनिट्स हैं जो कि कई अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है.
राजीव गांधी कैंसर संस्थान में हो चुका है रोबोट का ट्रायल
राजीव गांधी कैंसर संस्थान में मंत्रा सर्जिकल रोबोटिक सिस्टम का ट्रायल हुआ है. ट्रायल के दौरान इस सिस्टम के लिए एक महीने से कम समय में 18 से अधिक यूरोलॉजी, गायनोकोलॉजी और जेनरल सर्जरी सफलतापूर्वक हुई है. इस सिस्टम का इस्तेमाल यूरोलॉजी, जनरल सर्जरी, गायनोकोलॉजी, थोरैसिक, कार्डियक और हेड एंड नेक सर्जरी में हो सकता है.
विदेशों में विकसित हो रहा इसका बाजार
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में तो अभी इसका मार्केट ना के बराबर है लेकिन विकसित देशों में भी पिछले दो दशक में महज 6,000-6,500 रोबोटिक सर्किटल सिस्टम ही इंस्टॉल हुए हैं. Da Vinci रोबोट को कैलिफोर्निया की कंपनी Intuitive बनाती है और यही कंपनी 5,600-5,700 यूनिट्स के साथ बाजार हिस्सेदारी में टॉप पर है.
मेड इन इंडिया है ये रोबोट
इस रोबोटिक सिस्टम की खास बात यह है कि इसका हर एक हिस्सा पूरी तरह से भारत में निर्मित किया गया है. यानी कि यह पूरा सर्जिकल रोबोट सिस्टम आत्मनिर्भर भारत के तर्ज पर बनाया गया है. इसके मैकेनिज्म कि यदि हम बात करें तो इसमें कुल 4 वर्किंग आर्म्स लगाए गए हैं. स्टेक वर्किंग आर्म में कैमरा फिट किया गया है. कैमरे की तस्वीरों को स्क्रीन पर देखने के लिए बड़ी एलईडी स्क्रीन मौजूद है जो ऑपरेशन के दौरान चित्रों को और भी ज्यादा हाय मैग्नीफाइड एंजेल से डॉक्टर को दिखाएंगे. इस पूरे सिस्टम को ऑपरेट करने के लिए एक डॉक्टर की जरूरत होगी. ऑपरेटिंग सिस्टम में वृक्ष और हैंड ब्रेक लगाए गए हैं जिसके जरिए पूरा मैकेनिज्म कंट्रोल होता है.
बहुत कट लगाने की नहीं पड़ेगी जरूरत
डॉक्टर का कहना है कि रोबोटिक सर्जरी सिस्टम की खास बात यह है कि इसमें सर्जरी के लिए बहुत बड़े कट लगाने की आवश्यकता नहीं है, और साथ ही साथ सर्जरी होने के बाद बहुत बड़े टांके लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ती है जिसे पेशेंट को तकलीफ बहुत कम होती है. इसके अलावा सर्जरी के बाद पेशेंट को कवर करने में महज 2 या 3 दिन का समय लगता है. जबकि नॉर्मल सर्जरी में कई दिनों का समय लग जाता है. डॉक्टर सुधीर श्रीवास्तव बताते हैं कि मार्च महीने में इस रोबोटिक सर्जरी सिस्टम को लांच किया जाएगा जिससे मेडिकल के क्षेत्र में एक नई क्रांति आने की उम्मीद है.