देश को जल्द मिलेगी पहली mRNA कोविड-19 वैक्सीन, जानिए डीसीजीआई ने क्या कहा

देश को जल्द ही कोरोना की mRNA कोविड-19 वैक्सीन मिलने वाली है. ये वैक्सीन कोरोना के खिलाफ जंग में एक बड़ा हथियार साबित होगा. डीसीजीआई एमआरएनए वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए किसी भी वक्त हामी भर सकता है.

mRNA Covid-19 vaccine
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 जून 2022,
  • अपडेटेड 4:31 PM IST
  • देश को अब मिलेगा पहला mRNA वैक्सीन
  • जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स की तरफ से पेश किया गया डेटा

कोरोना वैक्सीन के क्षेत्र में एक और गुड न्यूज मिलने वाली है. दरअसल भारत का पहला एमआरएनए कोविड -19 वैक्सीन जल्द ही उपलब्ध होने की उम्मीद है. सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी ने इसकी सिफारिश इमरजेंसी यूज ऑथोराइजेशन कमिटी से की है. इस सिफारिश के बाद अब भारत के औषधि महानियंत्रक  (Drugs controller general of India-डीसीजीआई) एमआरएनए वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए किसी भी वक्त हामी भर सकता है. 

भारत के दवा नियामक के तहत एसईसी ने शुक्रवार की बैठक में जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स की तरफ से पेश किए गए डेटा को संतोषजनक पाया. बता दें कि कंपनी ने पहला अप्रैल में डेटा जमा किया और दूसरा डेटा मई में जमा किया था. 

जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स के प्रवक्ता ने बताया कि " mRNA वैक्सीन चौथी पीढ़ी का वैक्सीन है. इसे बनाने के लिए एकदम नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. कोविड के समय में इस तरह की वैक्सीन बनाना एक बेहद ही मुश्किल टास्क था. वैक्सीन के इस्तेमाल और इससे होने वाले साइड इफेक्ट की जांच करने के लिए कंपनी ने 4000 वॉलंटियर्स पर इसकी जांच की. बता दें कि ये वैक्सीन कोरोना से लड़ने की दिशा में एक गेम चेंजर का काम कर सकती है.  

एमआरएनए टीके क्या हैं?

एमआरएनए एक तरह का आरएनए है. ये टीका आरएनए की तरह ही काम करता है. ये टीका आरएनए कोशिकाओं में, एमआरएनए प्रोटीन बनाने के लिए पहले ब्लूप्रिंट बनाता है, इसके बाद इस ब्लूप्रिंट से मिलने वाली जानकारियों का इस्तेमाल करता है. एक बार जब कोशिकाएं प्रोटीन बनाना खत्म कर लेती हैं, तो वे  mRNA को तोड़ देती हैं. टीकों से एमआरएनए नाभिक में प्रवेश नहीं करता है और डीएनए को नहीं बदलता है. 

mRNA COVID-19 टीके कैसे काम करते हैं?

  • mRNA COVID-19 टीके ऊपरी बांह की मांसपेशी में दिए जाते हैं. टीकाकरण के बाद, एमआरएनए मांसपेशी कोशिकाओं में प्रवेश करेगा. एक बार अंदर जाने के बाद, वे स्पाइक प्रोटीन कहे जाने वाले  टुकड़े बनाते हैं. ये टुकड़े शरीर में किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. हानिरहित टुकड़े को बनाने के लिए ये टीके कोशिकाओं की मशीनरी का इस्तेमाल करते हैं. 
  • बता दें कि स्पाइक प्रोटीन वायरस की सतह पर पाया जाता है जो COVID-19 का कारण बनता है. प्रोटीन का टुकड़ा बनाने के बाद, हमारी कोशिकाएं mRNA को तोड़ती हैं और फिर mRNA को हटा देती हैं. 
  • इसके बाद, हमारी कोशिकाएं स्पाइक प्रोटीन के टुकड़े को अपनी सतह पर ले आती हैं. हमारी इम्यूनिटी सिस्टम ये तय करती है कि स्पाइक प्रोटीन के टुकड़े अब कोशिकाओं की सतह पर आ चुकी हैं. इसकी पहचान तब होती है जब टीका लगवाने के बाद शरीर में किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट महसूस हो. 
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