India's first Schizophrenia Surgery: भारत में हुई सिजोफ्रेनिया की पहली सफल सर्जरी, 28 साल के अफ्रीकी युवक को मिली उसकी आम जिंदगी वापस

सिजोफ्रेनिया एक ऐसी मानसिक बीमारी है जिसमें इंसान कुछ सोचता है तो उसे असल जिंदगी में भी वह दिखने लगता है या सुनाई देने लगता है. सिजोफ्रेनिया एक जटिल मानसिक बीमारी है जिससे दुनियाभर में लाखों लोग प्रभावित हैं.

India's first Schizophrenia Surgery
अनामिका गौड़
  • नई दिल्ली,
  • 29 जून 2023,
  • अपडेटेड 4:33 PM IST
  • भारत में हैं इसके कई मरीज 
  • देश में पहली बार हुई सर्जरी 

कई बॉलीवुड मूवीज में सिजोफ्रेनिया को दिखाया गया है. मुन्ना भाई एमबीबीएस में संजय दत्त को गांधीजी (बापू) दिखने लगते हैं वो बापू से बात करने लगता है, अपनी बातें बताने लगता है. इस बीमारी को सिजोफ्रेनिया कहते हैं. कार्तिक कॉलिंग कार्तिक में भी दिखाया गया है कि कैसे सिजोफ्रेनिया के पेशेंट अपनी एक अलग दुनिया बना लेते हैं. हैलुसिनेशन के चलते वह जो सोच रहे होते हैं वो उन्हें वास्तविक रूप में दिखने लगता है और वह से ही सच्चाई मान लेते हैं. 

ऐसे ही मरीज जो 15 साल से इस बीमारी से ग्रसित थे उनकी भारत में पहली बार सिजोफ्रेनिया की सफलता पूर्ण सर्जरी की गई है. अफ्रीका के रहने वाले 28 साल के एक मरीज भारत में सिजोफ्रेनिया के लिए सर्जरी कराने वाला प्रथम व्यक्ति बन गए हैं. वह 13 साल की उम्र से सिजोफ्रेनिया से पीड़ित थे. गुरुग्राम के मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल की न्यूरोसर्जरी टीम ने न्यूक्लियस एक्यूमबेंस- डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी के माध्यम से सिजोफ्रेनिया के मरीज की सफल सर्जरी की है. 

भारत में हैं इसके कई मरीज 

दरअसल, सिजोफ्रेनिया निर्बल करने वाली मानसिक बीमारी है और भारत में इसके लिए की गई ये पहली सर्जरी है. सिजोफ्रेनिया के भारत में 1.4% मरीज हैं, यह एक मानसिक बीमारी है जिसमें लोग खुद को बेहद असहाय महसूस करने लगते हैं. जैसे-जैसे बीमारी बढ़ने लगती है यह काफी  घातक हो जाती है. इस बीमारी से ग्रसित मरीज अपने आप को घरों में बंद कर देते हैं, लोगों से मिलने में डरते हैं.

मरीज के पिता को जब न्यूरो सर्जिकल इंटरवेंशन के बारे में जानकारी हुई कि ये उनके बेटे के हालत में सुधार कर सकती है और उसके जीवन में सामान्य स्थिति बहाल कर सकती है, उन्होंने सबसे बढ़िया संभव केयर की चाह के साथ डॉक्टर हिमांशु चंपानेरी की विशेषज्ञ सहायता मांगी. मरीज को मनोचिकित्सकों के पास भेजा गया और उपचार कैसे किया जाए, इसके लिए विकल्पों का विश्लेषण करने के लिए सावधानी से मूल्यांकन किया गया. उपचार के हर विकल्प पर विचार करने के बाद मरीज की डीबीएस सर्जरी करने का निर्णय लिया गया. इस साइकोसर्जरी के लिए गवर्नमेंट मेंटल हेल्थ रिव्यू बोर्ड से मेंटल हेल्थ एक्ट 2017 के तहत अनुमति भी ली गई थी.

देश में पहली बार हुई सर्जरी 

सीनियर कंसल्टेंट न्यूरो सर्जन डॉक्टर हिमांशु चंपानेरी के नेतृत्व में ये सर्जरी की. इस तरह की सर्जरी पूरी दुनिया में अब तक केवल 13 बार ही की गई है साइकोसर्जरी के क्षेत्र में ये बड़ी उपलब्धि है. मरीज का ऑपरेशन 14 जून 2023 को किया गया और इस डीबीएस प्रक्रिया का परिणाम उल्लेखनीय रहा. मरीज के लक्षणों में काफी कमी आई है और उसकी स्थिति में भी सुधार हुआ है. मरीज की सर्जरी के बाद नतीजे उम्मीदों के अनुरूप दिख रहे हैं. अब यह मरीज आम इंसान की तरह अपनी जिंदगी जी सकता है शादी कर सकता है नौकरी कर सकता है

लोग इसका इलाज करवाने से डरते हैं 

डॉ हिमांशु ने बताया कि लोग मानसिक बीमारी को अभी भी एक बुरी बात मानते हैं. लोगों को लगता है कि उन्हें करंट देकर ठीक किया जाएगा जबकि साइंस अब बहुत आगे बढ़ चुका है. इस बीमारी के लिए काफी एडवांस ट्रीटमेंट हॉस्पिटल में उपलब्ध है, अगर किसी को सिपरेशन एंजायटी एलिवेशन जैसे लक्षण महसूस होते हैं तो उन्हें तुरंत अपने घर वालों को या दोस्तों को इसके बारे में बताना चाहिए फिर किसी साइकाइट्रिक से मदद भी लेनी चाहिए. 

डब्ल्यूएचओ की स्टडी में अनुमान है कि भारत में मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं का बोझ प्रति एक लाख जनसंख्या पर 2443 डिसेबिलिटी एडजस्टेड लाइफ ईयर है. प्रति एक लाख जनसंख्या पर एज एडजस्टेड सुसाइड रेट 21.1 है. मेंटल हेल्थ के कारण 2012 से 2030 के बीच 1.03 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के आर्थिक नुकसान का अनुमान व्यक्त किया गया है. ये भी अनुमान है कि कुल आबादी में 6-7% लोग मेंटल डिसऑर्डर से पीड़ित हैं. भारतीय आबादी में सिजोफ्रेनिया की लाइफटाइम घटनाएं 1.4% है. ये एक गंभीर स्थिति है जिसमें सोशल आइसोलेशन समेत कई समस्याएं होती हैं. इसे लेकर जागरुकता का आज भी अभाव है, साक्षर लोगों में भी.

 

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