आज पूरी दुनिया में विश्व योग दिवस मनाया जा रहा है. योग दिवस का मकसद दुनिया को योग के फायदों के बारे में जागरुक करना है. भारत को योग की जन्मभूमि कहा जाता है. भारतीय ज्ञान परंपरा में योग का अद्भुत अनुभव है. विश्व योग दिवस, 21 जून के बहाने भारत को विश्व से जुड़ने और अपनी एक पहचान बनाने का मौका मिला है.
योग क्या है?
तन और मन को एक दूसरे के साथ साधना ही योग है. योग ब्रह्माण्ड से स्वयं का सामंजस्य स्थापित करने के बारे में है. यह स्वस्थ जीवन शैली की कला एवं विज्ञान है. योग के जरिए शारीरिक समस्याओं के साथ ही मानसिक समस्याओं का भी समाधान होता है. योग को लेकर एक श्लोक है- न तस्य रोगो न जरा न मृत्यु प्राप्तस्य योगाग्निमयं शरीरं यानी की योगाभ्यास से तपा हुआ शरीर रोग, जरा एवं मृत्यु से मुक्त हो जाता है. योग का अर्थ एक आंतरिक विज्ञान से भी है जिसमें कई तरह की विधियां शामिल होती हैं.
योग का इतिहास
योग शब्द संस्कृत की युज धातु से बना है जिसका अर्थ होता है जुड़ना या एकजुट होना. योग से जुड़े ग्रंथों के अनुसार योग करने से व्यक्ति की चेतना ब्रह्मांड की चेतना से जुड़ जाती है. योग के विज्ञान की उत्पत्ति हजारों साल पहले हुई थी. योग विद्या में शिव को पहले योगी के रूप में माना जाता है. योग को बड़े पैमाने पर सिंधु-सरस्वती घाटी सभ्यता के सांस्कृतिक परिणाम के रूप में बड़े पैमाने पर माना जाता है.
हजारों साल से हो रहा योग का विकास
योग की मौजूदगी सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक एवं उपनिषद की विरासत, बौद्ध एवं जैन परंपराओं, दर्शनों, महाभारत एवं रामायण नामक महाकाव्यों, शैवों, वैष्णवों की आस्तिक परंपराओं एवं तांत्रिक परंपराओं में देखी गई है. पूर्व वैदिक काल में योग किया जाता था, महान संत महर्षि पतंजलि ने अपने योग सूत्रों के माध्यम से उस समय विद्यमान योग की प्रथाओ को जिक्र किया था. सदियों पहले महर्षि पतंजलि ने मुक्ति के आठ द्वार बताए थे जिन्हें हम 'अष्टांग योग' कहते हैं. वेदों, उपनिषदों, स्मृतियों, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, पाणिनी, महाकाव्यों और पुराणों में योग के साक्ष्य उपलब्ध हैं. समय के साथ-साथ योग की परंपरा में विकास होता गया.
योग को चार भागों में बांटा गया है
कर्मयोग- जहां हम अपने शरीर का उपयोग करते हैं
भक्तियोग- जहां हम अपनी भावनाओं का उपयोग करते हैं
ज्ञानयोग- जहां हम मन एवं बुद्धि का प्रयोग करते हैं
क्रियायोग- जहां हम अपनी ऊर्जा का उपयोग करते हैं
दुनिया के सबसे बड़े योगगुरु बी.के.एस. अयंगर
अयंगर योग की रचना महान योग गुरू बी.के.एस. अयंगर ने की थी. अयंगर ने ही सबसे पहले पश्चिमी दुनिया को भारत की योग परंपरा से रूबरु कराया. उन्होंने 78 देशों में जाकर वहां के लोगों को योग की शिक्षा दी थी. पूरी दुनिया में उनके अनुयायी हैं. बीकेएस आयंगर ने योग पर 'लाइट ऑफ योग', 'लाइट ऑफ प्राणयाम' किताब भी लिखी थी. अयंगर योग में 200 योग आसन और 14 प्राणायम हैं.
कहां से कहां पहुंच गया योग
स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो में 1893 में आयोजित विश्व धर्म संसद में योग के महत्व का बखान किया था. 1920 और 30 के दशक में भारत में हठ योग का खूब विकास हुआ. योग भारतीय संस्कृति से जुड़ा है, जो अब विदेशों में भी फैल गया है. योग के विदेशों में प्रसारित करने का श्रेय हमारे योग गुरुओं को जाता है. 18वी सदी के अंत और 19वीं सदी की शुरुआत में योग गुरुओं ने योग शिविरों के लिए पश्चिम की यात्रा करनी शुरू की. टी कृष्णमाचार्य, स्वामी शिवानंद जैसे योगियों ने भारत में हठ योग को दृढ़ता से बढ़ावा दिया.
2015 में मनाया गया था पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त महासभा में दुनियाभर में योग दिवस मनाने का आह्वान किया था. संयुक्त राष्ट्र महासभा की मंजूरी के बाद 21 जून 2015 को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया गया था. 21 जून को उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन होता है. ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन होता है. मान्यता के अनुसार सूर्य दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए फायदेमंद है. इसलिए 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाया जाता है.
योग करने से मिट जाएंगे सभी रोग
योग सदाबहार है, योग रामबाण है. योग स्वस्थ और सुखी रहने के लिए प्रभावी विधि है. योग तनाव घटाता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. योग से शरीर स्वस्थ होता है और स्वस्थ शरीर श्रेष्ठ बुद्धि का निर्माण करता है. आजपूरी दुनिया में योग साधना से लाखों व्यक्तियों को लाभ हो रहा है.