भारत में आग की तरह फैल रहा है कोरोना वायरस, जानें कब आएगी तीसरी लहर, क्या कहते हैं NTAGI के चेयरमैन

जिन लोगों को को वैक्सीन लगी है उन लोगों में गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने की संभावना बेहद कम है. वैक्सीन लगाने का मुख्य फायदा यह है कि शरीर में किसी भी वेरिएंट के गंभीर नतीजों से बचना. 

भारत में आग की तरह फैल रहा है कोरोना वायरस
तेजश्री पुरंदरे
  • नई दिल्ली ,
  • 08 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 8:42 PM IST
  • ओमिक्रॉन से घबराने की जरूरत नहीं है.
  • वैक्सीन से किसी भी वेरिएंट के गंभीर नतीजों से बचा जा सकता है.

कोरोना के मामलों ने अब एक बार फिर से रफ्तार पकड़ ली है. साथ ही साथ ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीजों की संख्या भी बढ़ती ही जा रही है. ऐसे में कितनी खतरनाक है यह लहर और भारत कितना तैयार है. इन सब पर कोविड 19 वर्किंग ग्रुप National Technical Advisory Group on Immunisation (NTAGI) के चेयरमैन डॉक्टर एन के अरोरा ने जीएनटी से खास बातचीत की.  

डॉ अरोरा ने बताया कि अब तीसरी लहर दस्तक दे चुकी है. यह बेहद खतरनाक है और वायरस उसी तरह से बिहेव कर रहा है जैसे पहले किया था. दुनिया के सारे पश्चिमी देशों में यह आग की तरह फैल रहा है और भारत में भी इसका प्रकोप देखने को मिल रहा है. भारत में एक हफ्ते में 10 गुना मामले बढ़ गए हैं. रफ्तार इस बात बार निर्भर करेगी कि हम कितना कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में और मामले बढ़ेंगे. ज्यादातर मामले ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित मरीजों के हैं. करीब 70-80 प्रतिशत मामले ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीजों के हैं. 

ओमिक्रॉन में फिलहाल गंभीर समस्याएं नहीं

डॉक्टर एन के अरोरा ने कहा कि डेल्टा में हॉस्पिटलाइजेशन की ज्यादा जरूरत थी लेकिन ओमिक्रॉन में फिलहाल गंभीर समस्याएं नहीं देखी गई हैं. फिर भी बुजुर्गो को अपना ध्यान रखना बहुत जरूरी है. उन्होंने यह भी कहा की ओमिक्रॉन से घबराने की जरूरत नहीं है. बहुत कम लोगों को अस्पताल में जाने की जरूरत है. युद्ध स्तर की तैयारियां की जा चुकी हैं. ऑक्सीजन से लेकर आईसीयू बेड तक हम सभी तरह से तैयार हैं. पहली और दूसरी लहर से बहुत बड़ी सीख ली है हमने. हम चाहते हैं कि पीक बहुत ज्यादा न आए इसलिए वीकेंड और नाइट कर्फ्यू लगाए जा रहे हैं. इससे 20-25 प्रतिशत मूवमेंट कम होगा, इससे बीमारी नहीं जाती लेकिन ग्रोथ धीमी हो जाती है. 

कपड़े का मास्क पहनने से बचें

डॉ अरोरा ने कहा कि अगले दो से तीन महीनों में चार से पांच वैक्सीन और आ जाएंगी जो भारत में निर्मित हैं. कोवोवैक्स और कॉर्बिवैक्स को मंजूरी मिल चुकी है, यह बच्चों के लिए भी जल्द उपलब्ध होगी. साथ ही mRNA वैक्सीन आठ हफ्तों में आ जाएगी. नेजल वैक्सीन छह हफ्तों में आने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि चुनावी रैलियां और मार्केट में भीड़ बहुत बड़ा खतरा है. सामूहिक समारोह से बचना है और वैक्सीन ही सबसे बड़ा मास्क है. ओमिक्रॉन से बचने के लिए जरूर पहनें और कपड़े का मास्क पहनने से बचें. इसके साथ ही डॉक्टर एन के अरोरा ने कुछ ज़रूरी सवालों के भी जवाब दिए. 

वैक्सीन से किसी भी वेरिएंट के घातक असर से बचाव 
 
ये पूछे जाने पर कि क्या बच्चों को वैक्सीन लगने के बाद पेरासिटामॉल खाना जरूरी है? डॉ अरोरा ने कहा कि नहीं, सभी बच्चों को वैक्सीनेशन के बाद पेरासिटामॉल की दवा देना बिल्कुल भी जरूरी नहीं है. बच्चों को अगर बुखार आता भी है तो वह 24 घंटे में अपने आप ठीक हो जाएगा. क्या बूस्टर डोज लगवाने के बाद ओमिक्रॉन नहीं होगा? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि लगभग कई सारे देशों में बूस्टर डोज दी जा रही है. लेकिन फिर भी इन सभी देशों में ओमिक्रॉन का प्रभाव सुनामी की लहर की तरह देखा जा सकता है. अमेरिका से लेकर यूरोप तक बूस्टर डोज लग चुकी है लेकिन उसके बावजूद ओमिक्रॉन का इंफेक्शन फैल रहा है. वैक्सीन से जो इम्यूनिटी शरीर को मिली है उस इम्यूनिटी के प्रभाव को ओमिक्रॉन अपने ऊपर हावी होने नहीं देता. लेकिन एक जरूरी बात यह भी है कि जिन लोगों को को वैक्सीन लगी है उन लोगों में गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने की संभावना बेहद कम है. वैक्सीन लगाने का मुख्य फायदा यह है कि शरीर में किसी भी वेरिएंट के गंभीर नतीजों से बचना. 

डेल्टा वेरिएंट ज्यादा खतरनाक

ओमिक्रॉन ज्यादा खतरनाक है या डेल्टा? इस सवाल के जवाब में डॉ अरोरा ने कहा कि वैज्ञानिक साक्ष्य कहते हैं कि डेल्टा वेरिएंट ज्यादा खतरनाक है. डेल्टा वेरिएंट के प्रकोप को हम सब ने पहली और दूसरी लहर के दौरान देखा लेकिन पिछले 5 से 6 हफ्तों में जो ओमिक्रॉन की स्थिति आई है वह इतनी गंभीर नहीं है. एक बार कोरोना हो चुका है तो क्या अब ओमिक्रॉन नहीं होगा? इस सवाल के जवाब में डॉ अरोरा ने कहा कि ओमिक्रॉन होने की संभावना तो बनी रहेगी लेकिन अगर वैक्सीन लग चुकी है तो इसके गंभीर लक्षण नजर नहीं आएंगे. 

ओमिक्रॉन होने पर क्या अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी? ये सवाल पूछे जाने पर डॉक्टर अरोरा ने कहा कि अभी तक ज्यादातर मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत नहीं है. अभी सांस लेने में ज्यादा तकलीफ होती है और 4 से 5 दिन के बाद भी बुखार नहीं उतरता है तो उसके बाद अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ सकती है. फ़िलहाल इस तरह की कोई स्थिति नजर नहीं आ रही है. ओमिक्रॉन के आने के बाद 2022 में क्या कोरोना खत्म हो जाएगा क्योंकि ओमिक्रॉन ने कोरोना को कमजोर किया है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि फिलहाल ऐसा कहना प्रीमेच्योर है.अभी वायरस किस दिशा में जाएगा इस पर रिसर्च जारी है. फिलहाल इस समय ओमिक्रॉन एक चुनौती बनकर हमारे सामने खड़ा है जिससे निपटना है. 

 

 

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