कर्नाटक के आदमी को एक दशक के लंबे इंतजार के बाद मिले नए हाथ, 14 घंटे चली सर्जरी

10 सालों की निराशा के बाद, गौड़ा को कोच्चि के अमृता अस्पताल (Amrita hospital)में कॉम्प्लेक्स हैंड ट्रांसप्लांट (complex hand transplant)की मदद से एक नया जीवन मिला है.

सांकेतिक तस्वीर
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 10 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 2:04 PM IST
  • बसवन्ना गौड़ा ने दस साल पहले खो दिए थे दोनों हाथ
  • चावल मिल में काम करने के दौरान हुई थी दुर्घटना

कर्नाटक निवासी 34 वर्षीय बसवन्ना गौड़ा ने एक दशक पहले बेल्लारी जिले में एक चावल मिल में काम करने के दौरान एक दुर्घटना में अपने दोनों हाथ खो दिए थे. सालों की निराशा के बाद, गौड़ा को कोच्चि के अमृता अस्पताल में कॉम्प्लेक्स हैंड ट्रांसप्लांट की मदद से एक नया जीवन मिला है. 

ट्रांसप्लांट किए गए हाथ कोट्टायम निवासी 25 वर्षीय नेविस साजन मैथ्यू के थे, जिन्हें पिछले साल 25 सितंबर को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था. उनके माता शेरिन  और पिता साजन मैथ्यू ने हाथों सहित अपने बेटे के अंगों को डोनेट करने के लिए तैयार हो गए. इनकी वजह से आज बसवन्ना को हाथों के साथ नया जीवन दिया गया. 

14 घंटे चली सर्जरी 

डॉक्टरों ने बताया कि सर्जरी करीब 14 घंटे तक चली. जुलाई 2011 में, बसवन्ना को एक हाई टेंशन इलेक्ट्रिक बर्न का सामना करना पड़ा, जिसने उनके दोनों हाथों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया और उनके दोनों हाथ बेजान हो गए. उन्हें बेल्लारी के एक अस्पताल में ले जाया गया और बाद में बेंगलुरु में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां डॉक्टरों को कोहनी के नीचे से उनके हाथ काटने पड़े. 

डॉ. मोहित शर्मा ने बताया कि यह एक बहुत ही जटिल सर्जरी थी क्योंकि, ऑर्गन ट्रांसप्लांट के इस स्तर पर, हाथ की मांसपेशियों की प्राकृतिक लंबाई का केवल एक तिहाई ही उनमें मौजूद था. उन्होंने कहा कि दो हड्डियों को जोड़ना इसलिए भी जटिल था क्योंकि हमें जुड़ने वाली प्लेटों को हड्डियों के आकार में बिल्कुल मोड़ना पड़ा. 

लगातार करानी होगी फिजियोथेरेपी

सेंटर फॉर प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के चेयरमैन डॉ सुब्रमण्यम अय्यर ने सर्जरी को एक बड़ी सफलता बताया. उन्होंने कहा कि कुछ हफ्तों के बाद मरीज को छुट्टी दे दी गई. उन्हें अब फिजियोथेरेपी करानी होगी और अपनी दैनिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए मांसपेशियों को मजबूत करने वाले व्यायाम करने होंगे. इसके बाद थेरेपी और विभिन्न प्रकार के फंक्शनल स्प्लिंट्स का उपयोग करना होगा. ऐसा कम से कम एक साल तक जारी रहेगा.  

बसवन्ना ने कहा कि वह अपने हाथों के बिना कोई काम नहीं कर पाते थे. उन्हें अपना भविष्य अंधकारमय दिख रहा था. नए हाथ मिलने के बाद उन्हें एक नया जीवन मिला है. उन्होंने अमृता अस्पताल के डॉक्टरों को धन्यवाद किया. 

अमृता अस्पताल में किया गया यह नौवां सफल हैंड ट्रांसप्लांट है. डॉ मोहित ने बताया कि फिलहाल उनके अस्पताल में हैंड ट्रांसप्लांट के लिए छह मरीज प्रतीक्षा सूची में हैं. उन्होंने बताया कि देश में मृत व्यक्तियों द्वारा अंग दान में बढ़ोतरी हो रही है.  

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