क्या अब जानवरों के अंग भी होंगे ट्रांसप्लांट? इंसान के शरीर में लगाई गई सुअर की किडनी एक महीने से कर रही काम

न्यूयॉर्क में डॉक्टरों की एक टीम ने सुअर की किडनी मानव शरीर में डाल दी. ये बीते एक महीने से सामान्य ढंग से काम कर रही है. ये आदमी ब्रेन डेड है औक इसे साइंस की दुनिया में एक नई क्रांति माना जा रहा है.

Transplant (Representative Image)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 12:43 PM IST

अमेरिका के डॉक्टरों ने एक ऐसा कारनाम कर दिखाया है जिसके बाद से आने वाले समय में गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए ट्रांसप्लांट आसान हो जाएगा. अमेरिका के डॉक्टरों ने खुलासा किया है कि उन्होंने एक ऐसे इंसान के शरीर में सुअर की किडनी ट्रांसप्लांट की है जो ब्रेन डेड हो चुका है. इसमें चौंकाने वाली बात ये है कि व्यक्ति के शरीर में एक महीने से भी अधिक समय तक यह सामान्य रूप से काम करती रही.

भविष्य आ सकता है काम
मेडिकल साइंस में इस उपलब्धि को अंगदान की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक उम्मीद की किरण के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि इस मरीज की मौत हो चुकी है मगर यह एक रिकॉर्ड है. देशभर के वैज्ञानिक यह सीखने के लिए दौड़ रहे हैं कि मानव जीवन को बचाने के लिए जानवरों के अंगों का उपयोग कैसे किया जाए. इसके साथ ही अनुसंधान के लिए दान किए गए शरीर पर भी रिहर्सल किया जा सकेगा. एनवाईयू लैंगोन हेल्थ (NYU Langone Health)के लेटेस्ट एक्सपेरिमेंट से पता चलता है कि किसी व्यक्ति में सुअर की किडनी सबसे लंबे समय तक काम करती है, भले ही वह मृत हो. यह अभी खत्म नहीं हुआ है. शोधकर्ता दूसरे महीने तक किडनी के परफॉर्मेंस को ट्रैक करने के लिए तैयार हैं. न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी लैंगोन ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट के सर्जनों ने इस घटना को एक मील का पत्‍थर बताया है. इंस्‍टीट्यूट के डायरेक्‍टर रॉबर्ट मोंटगोमरी ने मीडिया को बताया, 'हमारे पास जेनेटिकली एडीटेड (अनुवांशिक रूप से बदली) सुअर की किडनी एक महीने से ज्‍यादा समय तक इंसान के शरीर में जीवित रही है.' उन्होंने बताया कि जो नतीजे मिले हैं वो किसी मरीज पर किसी भी स्‍टडी के लिए 'भविष्‍य का भरोसा' देने वाले हैं.

कितना कारगर है?
उन्‍होंने सुअर की किडनी को आनुवंशिक रूप से बदला ताकि एक जीन को हटा दिया जा सके. यह वह जीन था तो बायोमोलेक्यूल्स का प्रोडक्‍शन करता है और जिस पर इंसान का इम्‍यून सिस्‍टम हमला करता है और उसे मानने से इनकार कर देता है. मोंटगोमरी ने कहा, 'अब हमने यह दिखाने के लिए और अधिक सबूत इकट्ठा किए हैं कि क्‍या किडनी में, हाइपरएक्यूट को अस्‍वीकार करने वाले जीन को खत्म करना काफी है?' एनवाईयू लैंगोन ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. रॉबर्ट मोंटगोमरी से जब इस बारे में पूछा गया कि क्या यह अंग वास्तव में मानव अंग की तरह काम करेगा? इसके जवाब में उन्होंने कहा, ''अभी तक तो ऐसा ही लग रहा है." मोंटगोमरी ने 14 जुलाई को एक मृत व्यक्ति की किडनी को आनुवंशिक रूप से संशोधित सुअर की सिंगल किडनी से बदलते हुए कहा, "यह मानव किडनी से भी बेहतर दिखती है और देखा कि यह तुरंत यूरीन भी प्रोड्यूस करना शुरु कर देती है.

उन्होंने उम्मीद जताई कि एक दिन सुअर की किडनी प्रत्यारोपण योग्य अंगों की गंभीर कमी को कम करने में मदद कर सकती है, जिसने न्यूयॉर्क के 57 वर्षीय मौरिस "मो" मिलर के परिवार को प्रयोग के लिए अपना शरीर दान करने के लिए प्रेरित किया.

इससे पहले किया था हार्ट ट्रांसप्लांट
पिछले साल, मैरीलैंड विश्वविद्यालय के सर्जनों ने जीन-एडिटेड सुअर के हृदय को एक मरते हुए व्यक्ति में प्रत्यारोपित करके इतिहास रचा था. हालांकि उसकी ऑर्गन फेल हो गईं और वो सिर्फ दो महीने ही जीवित रह पाया. हालांकि इसका क्या कारण है इसकी अभी पूरी जानकारी नहीं है. लेकिन वे भविष्य के प्रयासों के लिए सबक प्रदान करते हैं. अब, खाद्य एवं औषधि प्रशासन इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या कुछ वॉलेंटियर रोगियों में सुअर के हृदय या गुर्दे के प्रत्यारोपण के कुछ छोटे लेकिन कठोर अध्ययन की अनुमति दी जाए.

 

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