World's First RSV Vaccine: दुनिया की पहली रेस्पिरेटरी वायरस वैक्सीन को मिली मंजूरी, जानिए इसके बारे में

अमेरिका में FDA ने दुनिया की पहले Respiratory Syncytial Virus (RSV) वैक्सीन को मंजूरी दी है और यह वैक्सीन 60 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों के लिए है.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 04 मई 2023,
  • अपडेटेड 1:00 PM IST
  • 60 साल या इससे ज्यादा की उम्र वालों के लिए है वैक्सीन
  • बच्चे होते हैं सबसे ज्यादा रिस्क में 

अमेरिका ने बुधवार को दुनिया के पहले आरएसवी टीके को मंजूरी दे दी. यह टीका खासतौर पर बुजुर्गों के लिए है. रेस्पिरेटरी वायरस (आरएसवी) संक्रमण बच्चों में अधिक आम है लेकिन कई बार यह बुजुर्ग आबादी पर भी हमला करता है.

फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की मंजूरी के बाद, जीएसके का शॉट, जिसे एरेक्सवी कहा जाता है, आरएसवी के खिलाफ बुजुर्गों की सुरक्षा करने वाला पहला टीका है. हालांकि, आगे और भी चीजों पर काम हो रहा है.  

60 साल या इससे ज्यादा की उम्र वालों के लिए 
इस कदम के बाद 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोग यह टीका लगवा सकते हैं. लेकिन रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों को अभी यह तय करना है कि सभी वरिष्ठ व्यक्तियों को RSV सुरक्षा की आवश्यकता है या नहीं. सीडीसी के सलाहकार जून में इस सवाल पर चर्चा करेंगे.

नेशनल फाउंडेशन फॉर इंफेक्शियस डिजीज के चिकित्सा निदेशक, डॉ. विलियम शेफ़नर ने कहा कि यह पहला कदम है, बुजुर्गों को गंभीर आरएसवी रोग से बचाने के लिए. आगे कम उम्र के लोगों के लिए इस तरह की सुरक्षा पर काम किया जाएगा.

बच्चे होते हैं सबसे ज्यादा रिस्क में 
अब तक, बच्चों के लिए कोई टीका नहीं है, लेकिन उच्च जोखिम वाले शिशुओं को अक्सर आरएसवी के मौसम में हर महीने एक सुरक्षात्मक दवा दी जाती है. इस बीच, यूरोपियन रेगुलेटर्स ने आरएसवी सीजन के दौरान उच्च जोखिम वाले शिशुओं को दी जाने वाली सुरक्षात्मक दवा के के विकल्प को मंजूरी दे दी है. FDA, सनोफी और एस्ट्राजेनेका की वन-शॉट दवा के लिए मंजूरी पर विचार कर रहा है.

GSK के Arexvy के अलावा, FDA बुजुर्गों के लिए Pfizer के इसी तरह के टीके पर भी विचार कर रहा है. फाइजर भी गर्भवती महिलाओं को टीका लगाने की मंजूरी मांग रहा है, ताकि उनके बच्चे कुछ सुरक्षा के साथ पैदा हों. ज्यादातर लोगों के लिए RSV कोल्ड होने जैसा है लेकिन यह बहुत कम उम्र के लोगों, बुजुर्गों और कुछ उच्च जोखिम वाली स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों के लिए जानलेवा हो सकता है. यह शिशुओं के छोटे एयरवेज में सूजन की वजह बनता जिससे उन्हें सांस नहीं आती है या वरिष्ठ नागरिकों के फेफड़ों में फैलकर निमोनिया का कारण बन सकता है. 

 

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