Red Wine Headaches: जानें रेड वाइन से क्यों होता है सिर दर्द? क्वांटिटी नहीं बल्कि कुछ और है इसकी असली वजह 

Red Wine Headaches Reason: शोधकर्ताओं ने पाया कि रेड वाइन में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला फ्लेवेनॉल शराब के हमारे मेटाबोलिज्म में छेड़छाड़ कर सकता है और सिरदर्द का कारण बन सकता है.

Red Wine
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 21 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:02 PM IST
  • फ्लेवेनॉल है वजह 
  • रेड वाइन सिरदर्द आम है

रेड वाइन के सेवन के बाद अक्सर लोग सिर दर्द की शिकायत करते हैं. हालांकि, हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग के अनुसार, ये सिरदर्द महसूस करना काफी आम है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि थोड़ी मात्रा में भी रेड वाइन पीने पर सिरदर्द क्यों हो जाता है? दरअसल, एक अध्ययन से पता चला है कि फ्लेवनॉल इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है. आमतौर पर, "रेड वाइन सिरदर्द" (Red Wine Headache) एक छोटे गिलास वाइन के सेवन के 30 मिनट से तीन घंटे के भीतर हो सकता है.

शोधकर्ताओं ने बताया ये

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, डेविस के शोधकर्ताओं ने पाया कि रेड वाइन में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला फ्लेवेनॉल शराब के हमारे मेटाबोलिज्म में छेड़छाड़ कर सकता है और सिरदर्द का कारण बन सकता है. इस फ्लेवनॉल को क्वेरसेटिन कहा जाता है और यह अंगूर सहित सभी प्रकार के फलों और सब्जियों में प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है. इसे एक हेल्दी एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है. लेकिन जब इसे अल्कोहल के साथ मेटाबोलाइज किया जाता है, तो यह समस्या कर सकता है. 

ये है इस सिर दर्द के पीछे की वजह?

दरअसल, शराब शरीर में दो चरणों में टूटती है - यह एसीटैल्डिहाइड नामक एक जहरीले कंपाउंड में बदल जाती है, जिसे ALDH2 फिर हानिरहित एसीटेट, मूल रूप से सिरका में बदल देता है. अगर ऐसा नहीं हो पाता है, तो हानिकारक एसीटैल्डिहाइड जमा हो जाता है. ठीक ऐसे ही वाइन जब ये हमारे ब्लडस्ट्रीम में एंट्री करता है, तो आपका शरीर इसे क्वेरसेटिन ग्लूकरनाइड नामक एक अलग रूप में बदल देती है. उस रूप में ये अल्कोहल के मेटाबोलिज्म में दिक्कत पैदा करता है. 

एस्क्सपर्ट्स के मुताबिक, "सूरज की रोशनी की प्रतिक्रिया में अंगूर से क्वेरसेटिन का उत्पादन किया जाता है. अगर आप खुले गुच्छों के साथ अंगूर उगाते हैं, तो आपको क्वेरसेटिन का बहुत अधिक लेवल मिलता है. कुछ मामलों में, यह चार से पांच गुना अधिक हो सकता है. वाइन कैसे बनाई जाती है, इसके आधार पर क्वेरसेटिन का लेवल भी अलग हो सकता है.” 


 

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