शहर छोड़ अपने पहाड़ों के बीच लौटे... डॉक्टर से वैद्य बने और खुद जड़ी बूटी बनाकर आयुर्वेद से कर रहे इलाज, विदेश से भी आ रहे मरीज  

उत्तराखंड के कौसानी में दो युवा डॉ कुलदीप और डॉक्टर गुंजन लोगों का आयुर्वेद से इलाज कर रहे हैं. वे पहाड़ों में उगाई गई जड़ी बूटियों से लोगों का इलाज कर रहे हैं. उनका पास अब विदेशों से भी मरीज आ रहे हैं.

Kuldeep and Gunjan
तेजश्री पुरंदरे
  • कौसानी,
  • 28 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 8:00 AM IST
  • खुद ही बना रहे हैं दवाएं 
  • दोनों ने की है आयुर्वेद की पढ़ाई 

आयुर्वेद को लेकर कई लोगों की यही धारणा है कि उससे इलाज करने में एक लंबा समय लगता है. कहीं ना कहीं आयुर्वेद की छवि धुंधली होती दिखाई पड़ रही है. लेकिन उत्तराखंड के कौसानी जिले के दो युवा वैद्य इन सभी भ्रांतियों को तोडकर आयुर्वेद को पुनर्जीवित करने का काम कर रहे हैं.

30 साल के डॉ कुलदीप और 28 की डॉक्टर गुंजन, उत्तराखंड के कौसानी में एक अस्पताल में आयुर्वेद के जरिए मरीजों का उपचार कर रहे हैं. अब इसमें खास बात यह है कि यह दोनों ही वैद्य खुद ही पहाड़ों में उगाई गई जड़ी बूटियों के जरिए औषधियां तैयार कर रहे हैं. और उसी से जुड़े नए रिसर्च पर भी काम कर रहे हैं.

विदेशों से आ रहे मरीज 

यहां पर प्राकृतिक तरीके से उपचार के लिए भारत के विभिन्न कोनों से तो लोग आ ही रहे हैं लेकिन ज्यादातर मरीज विदेशों से आ रहे हैं. ज्यादातर लोग अमेरिका, इंग्लैंड, थाईलैंड और जर्मनी और अन्य देशों से इलाज करवाने के लिए यहां पर आ रहे हैं. डॉ कुलदीप और डॉ गुंजन सिर्फ आयुर्वेदिक औषधीय उपायों से नहीं बल्कि प्राचीन थेरेपी और परंपराओं के जरिए भी लोगों का इलाज कर रहे हैं. यहां पर लिवर संबंधी बीमारियों से लेकर कैंसर जैसी बीमारियों तक का इलाज किया जा रहा है. 

दोनों ने की है आयुर्वेद की पढ़ाई 

डॉक्टर गुंजन और डॉक्टर कुलदीप, दोनों ने ही आयुर्वेद की पढ़ाई की है. डॉ कुलदीप पढ़ाई के बाद दिल्ली में नौकरी करने लगे तो वहीं डॉक्टर गुंजन देहरादून में. कुलदीप का कहना है कि एक लंबे समय तक दिल्ली जैसे शहर में रहने के बाद अब वहां की आदत तो हो जाती है लेकिन मन नहीं लगता. वे कहते हैं, "शहर की दौड़ भाग में हम खुद को खो देते हैं और प्रकृति से दूर चले जाते हैं. और इसलिए लगा कि क्यों ना वही जाया जाए जहां पर इस आयुर्वेद की दवाइयों की जड़े इसका निर्वहन भी उसी तरह से किया जाना चाहिए." 

यही कारण है कि उन्होंने दिल्ली छोड़कर उत्तराखंड के कौसानी जिले गांव में ही आयुर्वेद को पुनर्जीवित करने की ठानी. आज वे दोनों खुद को बड़े गर्व से वैद्य कहते हैं और पुरानी पद्धतियों को दोबारा से ज़िंदा कर रहे हैं.

ढाई साल पहले की थी अस्पताल की शुरुआत 

वैद्य गुंजन बताती हैं कि दोनों ने मिलकर करीब ढाई साल पहले इस अस्पताल की शुरुआत की थी. शुरुआत में कई चुनौतियां आई. उन्होंने कहा, "शुरुआती तौर पर शहर से दूर गांव में जाकर रहना आसान नहीं था. रहने के बाद वहां के मौसम को समझते हुए जड़ी बूटियां लगाना, पंचकर्म की थेरेपी के लिए जरूरी पौधे लगाना, पारंपरिक पद्धतियों को समझना भी चुनौतियों से कम नहीं था. लेकिन हमने मन में ठान लिया था कि हमें करना ही है और हम दोनों ने ही उस उपचार की शुरुआत की."

खुद ही बना रहे हैं दवाएं 

वैद्य कुलदीप कहते हैं, "हम चाहते हैं कि लोग हमारी पुरानी पद्धतियों को समझें और उनके महत्व को जानें. हम स्वरस, चूर्ण पाउडर, तेल और तमाम आयुर्वेद की कलापनाओ को स्वयं ही बना रहे हैं. लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर, बीपी, शुगर, कार्डियक अरेस्ट, आर्थराइटिस जैसी बीमारियों का इलाज कर रहे हैं. हमारा हिमालय की जड़ी बूटियां से सीधा संपर्क है और इसलिए तमाम तरह की औषधियां बना पा रहे हैं. जैसे पंचकर्म की पत्र पोटली बनाने के लिए एरंड, धतूरा, निर्गुंडी, एलोवेरा और अन्य औषधियों का इस्तमाल किया गया है. हमारे यहां पंचकर्मा रूम्स हैं जहां पर अलग अलग थेरेपी दी जाती है."

वहीं वैद्य गुंजन खासतौर पर महिलाओं से जुड़ी बीमारियों का इलाज कर रही हैं. वे कहती हैं कि महिलाओं को वाटर रिटेंशन से लेकर पोस्ट मेंसुरेशन तक कई परेशानियों से जूझना पड़ता है. कई बार दवाइयां लेकर वे अपने साइकिल को डिस्टर्ब कर देती हैं और इसलिए कोशिश रहती है कि प्राकृतिक तरीके से उनका इलाज किया जाए ताकि उनका साइकिल डिस्टर्ब न हो.

गर्व से कहते हैं खुद को वैद्य 

वैद्य कुलदीप कहते हैं, "आज हम बड़े ही गर्व से वैद्य कहकर लोगो का इलाज तो कर रहे हैं लेकिन देखा जाए तो आसपास के लोगों ने भी मेरे इस निर्णय को लेकर कम ही एक्सेप्टेंस था. मेरे दोस्त मुझे कहते थे कि दिल्ली जैसे शहर को छोड़कर गांव में बस जाना किसी मूर्खता से कम नहीं है. कई लोगों ने बाबा कहकर मजाक भी बनाया लेकिन आज वही लोग मेरे यहां उपचार के लिए आ रहे हैं."

वैद्य गुंजन और वैदिक कुलदीप के यहां पर जर्मनी और अमेरिका से इलाज करवाने आए हैरी और मार्टा को डायबिटीज, शुगर और हार्ट से संबंधित कई परेशानियां थी. उम्र भी 70 के पार होने के कारण एलोपैथिक दवाइयां काम नहीं कर रही थी. ऐसे में जब इन दोनों ने वैद्य कुलदीप और वैद्य गुंजन से अपना इलाज शुरू करवाया था अब दोनों के ही स्वास्थ्य में सुधार आया.

इन दोनों युवा वैद्यों का सपना है कि भारत दोबारा से अपनी प्राचीन परंपराओं की ओर रुख करें.साथ ही ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़े ताकि बीमारियों का इलाज उनको सतह से नहीं बल्कि जड़ से मिटाने में हो सके.


 
 

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