दुनियाभर में कोविड-19 की बूस्टर डोज को लेकर चर्चा तेज हो गयी है. जहां कुछ देशों ने इसे अप्रूव कर दिया है वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो अभी भी इस पर रिसर्च कर रहे हैं. अब इसी कड़ी में एक रिसर्च में सामने आया है कि बूस्टर डोज हमारे शरीर के इम्म्यून सिस्टम जो बूस्ट कर सकती है. ओमीक्रॉन वेरिएंट को रोकने में ये बूस्टर डोज कारगर साबित हो सकती है. लैंसेट (Lancet) स्टडी के अनुसार, कोविड-19 की बूस्टर डोज शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत कर सकती है, जिससे ओमीक्रॉन वेरिएंट से बचने में मदद मिल सकती है.
3 हजार लोगों पर किया गया ट्रायल
लांसेट में प्रकाशित एक स्टडी में, यूके स्थित कोव-बूस्ट ट्रायल के रिसर्चर्स ने लगभग 3,000 लोगों में इम्यून रिस्पांस को मापा. ये वो लोग थे जिन्होंने दो-तीन महीने पहले एस्ट्राजेनेका और फाइजर की बूस्टर डोज ली थी.
इस रिसर्च में पाया गया कि एस्ट्राजेनेका की दो डोज के बाद जिन लोगों को फाइजर की बूस्टर डोज दी गयी थी उन लोगों में एक महीने बाद एंटीबॉडी का स्तर नार्मल से लगभग 25 गुना अधिक था. वहीं, जब फाइजर बूस्टर डोज को दो फाइजर टीकों के बाद दिया गया, तो एंटीबॉडी का स्तर आठ गुना से अधिक पाया गया.
मॉडर्ना है सबसे प्रभावशाली बूस्टर
लांसेट की रिसर्च के अनुसार, इन सभी वैक्सीन में सबसे ज्यादा शक्तिशाली बूस्टर मॉडर्ना वैक्सीन की थी, जिसने एस्ट्राजेनेका के साथ एंटीबॉडी के स्तर को 32 गुना बढ़ा दिया था, जबकि फाइजर के साथ एंटीबॉडी लेवल 11 गुना बढ़ गया था. आपको बता दें, ब्रिटेन में मॉडेर्ना का उपयोग बूस्टर प्रोग्राम में किया जाता है. बूस्टर के रूप में इसे आधी डोज में दिया जाता है.
हालांकि, रिसर्च के अनुसार, फाइजर और मॉडर्ना दोनों वैक्सीन प्रभावी बूस्टर हैं. फाइजर वैक्सीन लगने के कुछ महीनों बाद भी एंटीबॉडी का लेवल ज्यादा ही रहता है, इसलिए बूस्टर डोज लगने के बाद ये ज्यादा बढ़ती नहीं है.
वैज्ञानिकों को टी-सेल पर भी दिखे बूस्टर के प्रभाव
ट्रायल को लीड करने वाले प्रोफेसर शाऊल फॉस्ट कहते हैं, “ये काफी प्रभावी इम्यूनोलॉजिकल बूस्टर हैं, जो अस्पताल में भर्ती होने और मौत को रोकने के लिए जरूरी. हालांकि इसमें काफी माइल्ड साइड इफेक्ट्स थे जैसे हल्की थकान, सिरदर्द या हाथ में दर्द आदि.
इसके साथ वैज्ञानिकों ने टी-सेल पर भी बूस्टर के प्रभाव देखे. फाइजर, मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका सहित ज्यादातर बूस्टर डोज ने टी-सेल के लेवल को बढ़ाया है. रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पाया कि टी-सेल का रिस्पांस कोरोना वायरस के बीटा और डेल्टा वेरिएंट के लिए उतनी ही अच्छा था जितना शुरूआत के कोविड-19 वेरिएंट के लिए था. प्रोफसर फॉस्ट के अनुसार, ओमीक्रॉन पर भी बूस्टर डोज प्रभावी हो सकती है.