कोविड-19 से उबरने के बाद भी लोगों को उसके लक्षणों से निजात नहीं मिल पाता है. कोरोना से ठीक होने के बाद भी बालों का टूटना, कम इम्यूनिटी, जुकाम, बीच-बीच में हल्का बुखार जैसा लगना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं. विज्ञान की भाषा में इसे लॉन्ग कोविड कहा जाता है. और सबसे बड़ी बात है कि लोगों को बहुत बाद में जाकर इसके बारे में पता लगता है. हालांकि, नई स्टडी में सामने आया है कि हम ब्लड टेस्ट की मदद से लॉन्ग कोविड के बारे में पता लगा सकते हैं. रिसर्च के मुताबिक, सार्स-सीओवी-2 वायरस से संक्रमित व्यक्ति में बाद में जाकर लॉन्ग कोविड होगा या नहीं, इसके बारे में पहले ही पता लगाया जा सकता है.
ब्लड टेस्ट से लगेगा लॉन्ग कोविड का पता
आपको बताते चलें कि लैंसेट ई-बायोमेडिसिन जर्नल में पब्लिश हुई स्टडी में इस जानकारी का खुलासा हुआ है. रिसर्च के अनुसार, ब्लड टेस्ट से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि सार्स-सीओवी-2 वायरस से संक्रमित व्यक्ति में आगे चलकर लॉन्ग कोविड होगा या नहीं. बिट्रेन के यूनिवर्सिटी ऑफ कॉलेज लंदन (UCL) के शोधकर्ताओं ने SARS-CoV-2 से संक्रमित हेल्थकेयर वर्कर्स के ब्लड में प्रोटीन की जांच की, साथ ही इन सैंपल्स की तुलना उन लोगों के सैंपल से की जो संक्रमित नहीं थे.
कैसे की रिसर्च?
बताते चलें कि शोधकर्ताओं ने संक्रमण के छह सप्ताह बाद तक कुछ प्रोटीन के लेवल में बदलाव पाया. इन बदलावों की वजह से कई बार बायोलॉजिकल प्रोसेस पर असर पड़ता है. रिसर्च के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एल्गोरिथम का इस्तेमाल करते हुए, टीम ने अलग-अलग प्रोटीनों में एक "साइन" देखा. जिससे ये भविष्यवाणी की कि व्यक्ति कोविड-19 संक्रमण के एक साल बाद इसी तरह के लक्षणोें की शिकायत करेगा या नहीं.
हो सकता है इलाज संभव
यूसीएल की रिसर्च करने वाले प्रमुख लेखक गेबी कैप्टर ने कहा, "हमारी रिसर्च से पता चलता है कि माइल्ड या बिना लक्षण वाले COVID-19 भी हमारे बल्ड प्लाज्मा में प्रोटीन के प्रोफाइल को बाधित करते हैं. इसका मतलब है कि माइल्ड इन्फेक्शन भी बायोलॉजिकल प्रोसेस को स्लो कर सकता है."
हालांकि, इस रिसर्च से इतना तो साफ है कि अगर हमें पहले ही पता चल जाए कि बाद में चलकर लॉन्ग कोविड होने वाला है तो हम पहले से ही इसका इलाज कर सकते हैं. रिसर्च करने वाले लेखक वेंडी हेवुड कहते हैं, "अगर हम ऐसे लोगों की पहचान कर सकते हैं, जिनमें लॉन्ग कोविड होने की संभावना है, तो इससे होने वाले जोखिम को कम किया जा सकता है."