एक नए अध्ययन के अनुसार लंबे समय तक प्रदूषित वायु के संपर्क में रहने से कोविड-19 का खतरा बढ़ जाता है. यह स्टडी 'अकुपेशनल एंड एनवायरमेंटल मेडिसिन' नाम की मैगजीन में प्रकाशित हुई है. ये पूरा मामला पार्टिकुलेट मैटर (PM) से जुड़ा हुआ है, जिसमें हर साल औसतन एक माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर का इजाफा हो रहा है. जिसके साथ ही संक्रमण दर में पांच प्रतिशत की दर से बढ़ोत्तरी हो रही है.
सांस और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता
दरअसल, उत्तरी इटली के एक शहर के निवासियों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि संक्रमण दर में पांच प्रतिशत बढ़ोत्तरी हर साल प्रति एक लाख लोगों में 294 अतिरिक्त मामलों के बराबर है. हालांकि इस दिशा में आगे और शोध की जरूरत है. लेकिन अध्ययन से ये निष्कर्ष जरूर निकलता है कि प्रदूषण में कमी लाने के लिए ज्यादा प्रयास करने की जरूरत है. रिसर्चर्स का कहना है कि लंबे समय तक प्रदूषित वायु में रहने से सूजन और प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने की दिक्कत आती है. जिसके कारण सांस और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. इन परिस्थितियों में कोरोना संक्रमण का खतरा भी ज्यादा हो जाता है.
महामारी की शुरुआत से मार्च 2021 तक के आंकड़ों का किया गया अध्ययन
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस शोध ने वायु प्रदूषण को कोरोना संक्रमण के लिए एक कारण के रूप में शामिल किया है. पर अध्ययन की कमियों और केवल 2020 के मध्य तक डेटा कैप्चर ने रिजल्ट को सीमित कर दिया है. इन मुद्दों को हल करने के लिए रिसर्चर्स ने लोम्बार्डी के वारेस शहर के निवासियों के बीच महामारी की शुरुआत से मार्च 2021 तक वायु प्रदूषकों और कोरोना संक्रमण के पैटर्न के दीर्घकालिक जोखिम को देखा.
उम्र, लिंग के साथ ही समवर्ती दीर्घकालिक स्थितियों को देखने के बाद, PM2.5 और PM10 दोनों ही COVID-19 संक्रमण दर में बढ़ोत्तरी के जिम्मेदार पाए गए. PM2.5 में हर साल औसतन एक माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के इजाफे के साथ संक्रमण दर में पांच प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो रही है, जोकि हर साल प्रति एक लाख लोगों में 294 अतिरिक्त मामलों के बराबर है. इसी तरह के निष्कर्ष PM10, NO2 और NO के लिए देखे गए.
COVID-19 संक्रमण दर पर प्रदूषण का गहरा असर
शोधकर्ताओं का कहना है कि देखे गए लक्षण वृद्ध आयु समूहों के बीच और ज्यादा गहरे थे, खासकर 55-64 और 65-74 साल के बुजुर्गों के बीच. ऐसे में COVID-19 संक्रमण दर पर प्रदूषकों का गहरा असर देखने को मिलता है. चूंकि यह एक ऑब्जर्वेशनल स्टडी है इसलिए इससे कोई तहस निष्कर्ष नहीं निकल सका. लेकिन स्टडी में ये जरूर सामने आया कि वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से सूजन और प्रतिरक्षा प्रणाली के कमजोर होने से सांस और हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में ये कारण ही वायु प्रदूषण और COVID-19 संक्रमण दर के बीच की कड़ी बन सकते हैं.