Depression: नकारात्मक सोच, अडियल व्यवहार और नींद की कमी जैसी 7 आदतें बढ़ाती हैं डिप्रेशन... इस तरह बचाएं खुद को

सबसे बड़ी परशानी यह है कि कई बार हम करीब होकर भी नहीं जान पाते हैं कि हमारे आसपास कोई डिप्रेशन से जूझ रहा है और डिप्रेशन बहुत से ममालों में सुसाइड की वजह बनता है.

Depression
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 24 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 2:17 PM IST

आजकल लोगों में डिप्रेशन की समस्या लगातार बढ़ रही है. छोटी उम्र के बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, कोई भी अवसाद का शिकार हो सकता है. सबसे बड़ी परशानी यह है कि कई बार हम करीब होकर भी नहीं जान पाते हैं कि हमारे आसपास कोई डिप्रेशन से जूझ रहा है और डिप्रेशन बहुत से ममालों में सुसाइड की वजह बनता है. ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप अपनी मेंटल हेल्थ के साथ-साथ अपने आसपास के लोगों की मेंटल हेल्थ का ध्यान रखें. 

कई बार तो इंसान को खुद ही पता नहीं चलता है कि वह डिप्रेशन में जा रहा है. ऐसे में, बहुत जरूरी है कुछ आदतों या लक्षणों का पता लगाना, जिनसे आप समझ सकें कि कहीं आप खुद या आपके आसपास कोई डिप्रेशन का शिकार तो नहीं है. वैसे तो डिप्रेशन के अनेकों कारण हो सकते हैं. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं ऐसी सात आदतों के बारे में जो अक्सर डिप्रेशन के बढ़ने का कारण बनती हैं. 

ये सात आदतें हैं डिप्रेशन के बढ़ने के लिए जिम्मेदार 

  • लगातार तुलना करना 
  • अपने गलत व्यवहार पर अड़े रहना 
  • खुद के बारे में नकारात्मक बात करना 
  • अपने मन में नकारात्मक विचार रखना
  • शारीरिक मेहनत नहीं करना 
  • नींद पूरी नहीं लेना 
  • या बहुत ज्यादा समय तक सोते रहना 

अगर आप में ये आदतें बढ़ रही हैं तो आपको आत्मविश्लेषण करने की जरूरत है ताकि आप मानसिक सेहत ठीक रहे. अपने आसपास भी लोगों में ये आदतें ऑब्जर्व करके आप उनकी मदद कर सकते हैं. 

कैसे रखें अपनी मानसिक सेहत का ख्याल 

  • अपने आप डिप्रेशन से उबारने के लिए सबसे जरूरी है कि आप खुद को काम में व्यस्त रखें और व्यर्थ न सोचें. 
  • परिवार, दोस्त या किसी भरोसेमंद इंसान से बात करें. जरूरत हो तो काउंसलर या थेरेपिस्ट से संपर्क करें.
  • शारीरिक गतिविधियां (जैसे चलना, दौड़ना, तैरना) मूड बेहतर बनाती हैं. यह डिप्रेशन और एंग्ज़ायटी को कम करता है।
  • 7–8 घंटे की नींद दिमाग को तरोताज़ा करती है. सोने का एक नियमित समय रखें.
  • सोशल मीडिया और स्क्रीन टाइम सीमित करें. लगातार फोन या सोशल मीडिया पर रहने से चिंता बढ़ सकती है. इसका समय तय करें और “डिजिटल डिटॉक्स” भी करें. 
  • पेंटिंग, म्यूज़िक, डांस, कुकिंग या गार्डनिंग जैसे शौक़ तनाव को कम करते हैं. नई चीज़ें सीखना (जैसे नई भाषा या स्किल) आत्मविश्वास बढ़ाता है. 
  • दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं. जरूरत पड़ने पर मदद लेने से न हिचकें. मानसिक सेहत के लिए प्रोफेशनल मदद लेना सामान्य बात है.

 

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