नेक पहल! हादसे में खोया अपना खुद का परिवार, अंगदान कर दिया सात साल के बच्चे सहित पांच लोगों को नया जीवन

अनाईका के पिता अमित गुप्ता को जब परिवार की दुर्घटना की सूचना मिली तो वे चंडीगढ़ पहुंचे थे. इस एक्सीडेंट में उन्होंने अपनी पत्नी, बेटे और तीन रिश्तेदारों को मौके पर ही खो दिया. दरअसल, परिवार अनाईका के दादा-दादी से मिलने चंडीगढ़ गया था.

Organ Donation
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:59 PM IST
  • लिवर से बचाई जान तो कॉर्निया से रोशनी
  • दुर्घटना के बाद दूसरों को जीवनदान देने का बनाया विचार

चंडीगढ़ के पास मोहाली में एक कार दुर्घटना में अपने पूरे परिवार को खोने वाले बेंगलुरु के एक बिजनेसमैन ने अपनी ढाई साल की बेटी अनाईका की किडनी, लीवर और कॉर्निया दान किए हैं. 10 दिन पहले हुए हादसे में अनायका की मौत हो गई. इन बॉडी ऑर्गन्स से सात साल के बच्चे सहित पांच लोगों को नया जीवन दिया गया. 

बच्चे को इंस्टीट्यूट ऑफ किडनी डिजीज एंड रिसर्च सेंटर (IKDRC), अहमदाबाद में भर्ती कराया गया था, वहीं अन्य चार को पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER), चंडीगढ़ में भर्ती करवाया गया था. अनाइका के बॉडी ऑर्गन को निकालने के बाद सबसे पहले पीजीआईएमईआर के कर्मचारियों और डॉक्टरों ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की.

लिवर से बचाई जान तो कॉर्निया से रोशनी 

अनाईका के लीवर को अहमदाबाद ले जाने के लिए अस्पताल से मोहाली इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था. पीजीआईएमईआर में एक रोगी में अनाईका की किडनी ट्रांसप्लांट. इसके साथ, अनाईका के कॉर्निया की मदद से दो कॉर्नियल नेत्रहीन रोगियों को रोशनी मिली. 

दुर्घटना के बाद दूसरों को जीवनदान देने का बनाया विचार 

अनाईका के पिता अमित गुप्ता को जब परिवार की दुर्घटना की सूचना मिली तो वे चंडीगढ़ पहुंचे थे. इस एक्सीडेंट में उन्होंने अपनी पत्नी, बेटे और तीन रिश्तेदारों को मौके पर ही खो दिया. दरअसल, परिवार अनाईका के दादा-दादी से मिलने चंडीगढ़ गया था. अमित गुप्ता कहते हैं, “मैंने सब कुछ खो दिया है… मेरी पत्नी, मेरा बेटा और अब मेरी बेटी भी. मेरी दुनिया बर्बाद है. क्या इससे ज्यादा दर्दनाक कुछ हो सकता है? मैं परिवार के किसी सदस्य को खोने के इस भयानक दर्द से किसी की मदद करना चाहता था.”

उन्होंने आगे कहा, “अंगदान से दूसरों को जीवन दिया जा सकता है. मैंने अपनी बेटी को खो दिया है, लेकिन वह अभी भी दूसरों में जीवित है. ये मेरे असहनीय नुकसान के लिए कुछ सहारा है. अनाईका कई दिनों तक अस्पताल में जिंदगी से जूझती रहीं. कुछ दिन पहले उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था.“

पीजीआईएमईआर के डायरेक्टर प्रो सुरजीत सिंह इसपर कहते हैं कि परिवार का यह नेक कार्य प्रशंसनीय है और इससे दूसरों को प्रेरित होना चाहिए.  यह गुप्ता परिवार द्वारा लिया गया एक बहुत ही साहसी निर्णय है.”

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