Lucknow: KGMU को मिला खास मेडिकल डिवाइस का पेटेंट, जानें क्या है ये और कैसे करता है काम

लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी को एक बड़ी उपलब्धि मिली है. KGMU ने एक विशेष डिवाइस का पेटेंट मिला है. इस उपकरण की मदद से सर्जन कुछ ही क्षणों में इस मांसपेशी को पहचानकर सटीक जगह पर इम्परफोरेट एनस बना सकते हैं.

Lucknow KGMU got patent for a special medical device
आशीष श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 08 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 3:34 PM IST

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) ने चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. केजीएमयू को बच्चों की सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले एक विशेष उपकरण का पेटेंट मिला है. यह डिवाइस खास तौर पर उन नवजात बच्चों की सर्जरी में काम आएगी, जिन्हें जन्मजात 'इम्परफोरेट एनस' (मलद्वार न होना) की समस्या होती है.

क्या है ये खास डिवाइस-
यह एक बैटरी से चलने वाली डिवाइस है, जिसे सर्जरी के दौरान बच्चे के शरीर के उस हिस्से पर रखा जाता है, जहाँ मलद्वार बनाना होता है. डिवाइस से निकलने वाला हल्का करंट बच्चे की मल नियंत्रण करने वाली मांसपेशियों (स्फिंक्टर मसल) पर असर डालता है, जिससे डॉक्टर उस मांसपेशी की पहचान कर सकते हैं. यह मांसपेशी बहुत जरूरी होती है, क्योंकि यही बच्चे को जीवनभर मल पर कंट्रोल रखने में मदद करती है. इस उपकरण की मदद से सर्जन कुछ ही क्षणों में इस मांसपेशी को पहचानकर सटीक जगह पर इम्परफोरेट एनस बना सकते हैं.

कैसे हुआ आविष्कार?
पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के डॉ. आनंद पांडेय ने बताया कि यह आइडिया उनको एसआईबी (SHINE इंडिया बायोइंजीनियरिंग) प्रोग्राम के दौरान आया. इस प्रोजेक्ट में इंजीनियर सुमित कुमार वैश्य, विभागाध्यक्ष प्रो. जेडी रावत और पूर्व फेलो मोहम्मद जाहिद खान ने भी अहम भूमिका निभाई. अगस्त 2023 तक कई प्रोटोटाइप बनाए गए और अंतिम डिवाइस का सफल परीक्षण किया गया, जिसके बाद इसे पेटेंट के लिए स्वीकृति मिल गई.

क्या है इसका महत्व?
हर 5,000 बच्चों में से एक को इम्परफोरेट एनस की जन्मजात समस्या होती है. अगर सर्जरी के दौरान स्फिंक्टर मसल की सही पहचान नहीं हो पाती, तो बच्चा जीवनभर मल पर नियंत्रण नहीं रख पाता है. यह डिवाइस इस चुनौती को बेहद आसान बना देती है और सर्जरी को अधिक सटीक और कम समय में पूरा करने में मदद करती है.

इस डिवाइस का इस्तेमाल सिर्फ बच्चों की सर्जरी तक सीमित नहीं है. स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ भी इसका प्रयोग कर सकते हैं, विशेष रूप से उन मामलों में, जहाँ प्रसव के दौरान मल नियंत्रण की मांसपेशियों की स्थिति की जांच जरूरी होती है.

यह डिवाइस ना केवल चिकित्सा क्षेत्र में केजीएमयू की शोध-क्षमता को दर्शाता है, बल्कि आने वाले समय में हजारों बच्चों के जीवन को आसान बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर भी साबित होगा.

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