भागदौड़ और प्रदूषण भरी जिंदगी का सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे शरीर पड़ता है. इसका सबसे ज्यादा असर हमारे फेफड़ों पर भी पड़ता है. जहरीली हवा में सांस लेना और धूम्रपान जैसी हानिकारक आदतें हमारे फेफड़ों को खराब कर सकती हैं. इस साल अस्पतालों में सांस लेने में तकलीफ की शिकायत करने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. सर्दियों की शुरुआत में, हवा में कणों की एक मोटी परत होती है, जिससे सांस की समस्याओं में बढ़ोतरी हो सकती है. आपके फेफड़ों को नुकसान पहुचें उससे पहले फेफड़ों के इंफेक्शन के लक्षणों के बारे में जानना जरूरी है.
1. बुखार
शरीर का सामान्य तापमान आमतौर पर लगभग 98.6°F (37°C) होता है. बुखार तब होता है जब शरीर संक्रमण से लड़ने की कोशिश कर रहा होता है और इस मामले में बुखार 105°F (40.5°C) तक बढ़ सकता है. अगर बुखार 102°F (38.9°C) से ऊपर चला जाता है या यह तीन दिनों से अधिक समय तक रहता है, तो यह सही समय है कि व्यक्ति को डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए.
2. सांस लेने में कठिनाई
इस दौरान आपको सांस लेने में भी कठिनाई महसूस हो सकती है. या घुटन महसूस हो सकती है.
3. फेफड़ों में चटकने की आवाज आना
फेफड़ों के संक्रमण का एक और संकेत फेफड़ों के बेस में एक तेज आवाज आना है. जिसे बिबासिलर क्रैकल्स भी कहा जाता है. डॉक्टर स्टेथोस्कोप की मदद से इन चटकने या आवाजों को सुन सकते हैं. ये आवाज तब होंगी जब फेफड़ों में छोटी हवा की थैलियां फ्लूइड से भर जाती हैं और थैली में हवा जाने लगती है.
4. तेज सीने में दर्द
आपको अपने सीने में तेज दर्द भी महसूस हो सकता है. ये इतना ही तेज होता है जैसे किसी ने छुरा घोंप दिया हो. इसे प्लुरिसी कहा जाता है. यह स्थिति आपके फेफड़ों के अस्तर की सूजन का कारण बनती है. जब व्यक्ति सांस लेता है या खांसता है तो यह और भी दर्दनाक हो जाता है. इस छाती के दर्द के कुछ सामान्य कारण वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन, ऑटोम्यून्यून डिजीज और फेफड़ों का संक्रमण हैं.
5. खांसी जिसमें गाढ़ा बलगम आ रहा हो
जो लोग ब्रोंकाइटिस या निमोनिया जैसी चिकित्सीय स्थितियों से पीड़ित हैं, उन्हें ऐसी खांसी होगी जिसमें एक अलग रंग के साथ गाढ़ा बलगम पैदा हो सकता है. ये रंग सफेद, हरे से लेकर पीले भूरे तक हो सकते हैं.