मेडन फार्मा को केंद्र से मिली क्लीन चिट, खांसी की दवा में नहीं पाई गई किसी भी तरह की मिलावट 

मेडन फार्मा की कफ सिरप को केंद्र सरकार से क्लीन चिट मिल गई है. उनके मुताबिक, खांसी की दवा में किसी भी तरह की कोई मिलावट नहीं पाई गई है.  

कफ सिरप (प्रतीकात्मक तस्वीर)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:55 PM IST
  • भारत में नहीं बिकती ये सिरप
  • सिरप में नहीं है कोई मिलावट

मेडन फार्मा को केंद्र सरकार ने क्लीन चिट दे दी है. अफ्रीका के गांबिया में बच्चों की मौत को लेकर सवालों में आए भारत के मेडन फार्मा को गुरुवार को केंद्र से क्लीन चिट मिल गई है. केंद्र ने कहा कि मेडन फार्मा का सीरप स्टैंडर्ड क्वालिटी का है और इसमें किसी तरह की मिलावट नहीं पाई गई. बताते चलें, मेडन फार्मा पर उस वक्त सवाल ऊठे थे जब अफ्रीका के गांबिया में 66 बच्चों की मौत हो गई थी. इसमें मेडन फार्मा पर आरोप लगे थे कि कंपनी के कफ सीरप पीने से इन बच्चों की मौत हुई है. 

बच्चों की मौत की खबर के बाद बनाई गई थी कमेटी 

बताते चलें कि अफ्रीका के गांबिया में 66 बच्चों की मौत की खबर सामने आने के बाद केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने डॉ वाई के गुप्ता की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था. जिन्होंने प्रोमिथेजीन ओरल सॉल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मैकॉफ बेबी कफ सिरप और मैग्रिप एन कोल्ड सिरप के सैंपल की टेस्टिंग की गई और डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) की उपस्थिति के लिए भी मूल्यांकन किया गया.

केंद्र सरकार ने राज्य सभा में आए एक सवाल के जवाब में इस बार की जानकारी दी है. जिसमें सरकार ने कहा है कि जांच में मेडन फॉर्मा के कफ सीरप में खामी नहीं पाई गई है. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने भारतीय फार्मा कंपनी मेडन फार्मा को क्लीन चिट दे दी है.

भारत में नहीं बिकती ये सिरप

राज्यसभा कांग्रेस के सांसद जेबी माथेर हिशाम के सवाल में पूछा था कि क्या सरकार ने दोबारा जांच की है कि भारत में ये खांसी की दवाई नहीं बेची जाती है. मंत्री ने अपने जवाब में कहा कि चार दवाओं को भारत में निर्माण और बिक्री के लिए लाइसेंस नहीं दिया गया था और भारत में उनका विपणन या वितरण नहीं किया गया था. सरकार ने संसद को सूचित किया कि गांबिया में बच्चों की मौत ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत के फार्मा कारोबार को प्रभावित नहीं किया है. मंत्री ने कहा, “घटना पर, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया दोनों में रिपोर्टें आई हैं. पिछले कुछ महीनों में भारतीय फार्मा निर्यात पर कोई स्पष्ट प्रभाव नहीं पड़ा है, जिसे इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.”

(इनपुट- जितेंद्र) 
 

 

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