भारत में रेयर डिजीज (दुर्लभ बीमारियों) के इलाज में उपयोग होने वाली दवाइयां सस्ती होने वाली हैं. गुरुवार को सरकार ने सभी रेयर बीमारियों के इलाज के लिए इंपोर्टेड दवाओं और स्पेशल फूड पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को खत्म कर दिया है. ये वो दवाइयां होंगी जो नेशनल रेयर डिजीज पॉलिसी 2021 के तहत लिस्टेड हैं. इसके अलावा केंद्र सरकार ने पेम्ब्रोलिजुमाब (कीट्रूडा) पर भी छूट दी है. ये कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाई है. रेयर डिजीज के ट्रीटमेंट में जो दवाइयां उपयोग होती हैं वो काफी महंगी होती हैं. कई दवाइयां तो लाखों रुपये में आती हैं. इस फैसले से देश के उन लोगों को काफी राहत मिलेगी, जो रेयर डिजीज से पीड़ित हैं.
1 अप्रैल से होगा नियम लागू
बेसिक कस्टम ड्यूटी को खत्म करने का ये नियम 1 अप्रैल, 2023 से लागू होने वाला है. दरअसल, आमतौर दवाओं पर 10 प्रतिशत की बेसिक कस्टम ड्यूटी लगती है, लेकिन कई दवाओं और वैक्सीन पर 5 प्रतिशत या जीरो छूट दी जाती है. वित्त मंत्रालय के अनुसार, "केंद्र सरकार ने नेशनल रेयर डिजीज पॉलिसी 2021 के तहत लिस्टेड सभी दवाइयों और स्पेशल मेडिकल कंडीशन में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों पर लगने वाली बेसिक कस्टम ड्यूटी को खत्म कर दिया है.”
क्यों दी गई है ये छूट?
गौरतलब है कि रेयर डिजीज ट्रीटमेंट में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां और स्पेशल फूड्स जिन्हें इन बीमारियों को ठीक करने के लिए खाया जाता है, वे काफी महंगे होते हैं. इन्हें दूसरे देशों से भारत में मंगवाया जाता है. मंत्रालय के मुताबिक, 10 किलोग्राम वजन वाले बच्चे के लिए कुछ दुर्लभ बीमारियों के इलाज का सालन खर्चा 10 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकता है. जैसे-जैसे उम्र या वजन बढ़ने लगता है वैसे वैसे ये लागत भी बढ़ती जाती है. ऐसे में ये छूट इन परिवारों के लिए काफी मददगार साबित होगी. साथ ही उनका इलाज भी बेहतर तरीके से हो सकेगा. मंत्रालय ने कहा, "इस छूट से काफी लागत बचत होगी और मरीजों को राहत मिलेगी।"
कुछ दवाइयों पर पहले से थी छूट
बताते चलें, स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी या डचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के ट्रीटमेंट के लिए जो दवाइयां उपयोग होती थीं उनपर पहले ही छूट दी जा चुकी थी. लेकिन सरकार से पिछले कुछ समय से रेयर डिजीज वाली दवाइयों पर लगने वाली कस्टम ड्यूटी पर छूट की मांग की जा रही थी. जिसे देखते हुए ये फैसला लिया गया है.