दुनियाभर की तमाम दवा बनाने वाली कंपनियां कोरोना की जंग में भारत के साथ हैं. वैसे तो कोरोना को ठीक करने की अब तक कोई दवा नहीं बनी है. लेकिन एंटीवायरल दवा मोलनुपिरवीर (molnupiravir) कोरोना से मौत के खतरे को 50% तक कम कर देती है. अमेरिकी दवा कंपनी मर्क ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र समर्थित मेडिसिन पेटेंट पूल (Medicine Patent Pool) के साथ एक समझौते की घोषणा की, जो ज्यादा से ज्यादा कंपनियों को अपनी COVID-19 गोली के जेनेरिक संस्करण बनाने की अनुमति देगा. इस लाइसेंस समझौते से गरीब देशों के लाखों लोगों तक एंटीवायरल दवा मोलनुपिरवीर पहुंच सकेगी.
सौदा किस बारे में है?
समझौते के तहत, दवा कंपनी मर्क एमपीपी को लाइसेंस देगी, जिससे वो जेनेरिक दवाएं बनाने वाली कंपनियों को उप-लाइसेंस देने का अधिकार रख सकती है. बता दें कि एमपीपी संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित एक जिनेवा स्थित अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए दवाओं के विकास को सुविधाजनक बनाने का काम करता है. गौरतलब है कि रॉयल्टी मुक्त उप-लाइसेंस ऐसे 105 देशों पर लागू हो सकेगा, जिनमें भारत भी शामिल है. इसका मतलब यह है कि मर्क को बिक्री रॉयल्टी नहीं मिलेगी, जबकि COVID-19 को WHO द्वारा 'अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल' के रूप में वर्गीकृत किया गया है. मर्क और एमपीपी ने एक संयुक्त बयान में कहा कि यह COVID-19 चिकित्सा टेक्नोलॉजी के लिए पहला पारदर्शी और सार्वजनिक स्वास्थ्य संचालित लाइसेंस है.
एंटीवायरल गोली क्या है?
तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षणों के अनुसार, मोलनुपिरवीर एक एंटीवायरल पिल (गोली) है. जो कि कोविड पॉजीटिव होने के बाद गंभीर बीमारी और मृत्यु के जोखिम को 50% तक कम कर सकता है. अब तक ऐसा देखा गया है कि गोली लेने वाले मरीजों में कोई मौत नहीं हुई. एमपीपी के कार्यकारी निदेशक चार्ल्स गोर ने कहा कि मोलनुपिरवीर वर्तमान में चल रहे स्वास्थ्य संकट को दूर करने के लिए एक संभावित महत्वपूर्ण दवा है. वहीं फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन और यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी पहले से ही दवा की समीक्षा कर रही है, और कुछ हफ्तों के भीतर फैसला आ सकता है. बता दें कि इस साल की शुरुआत में, मर्क ने आठ भारतीय जेनेरिक दवा निर्माताओं के साथ लाइसेंसिंग सौदों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें सिप्ला, डॉ रेड्डीज लैब्स और सन फार्मास्युटिकल्स शामिल हैं.