Alzheimer's disease: लाखों अल्जाइमर रोगियों को मिल सकती है राहत! रिसर्च में खोजा गया मेमोरी रिस्टोर करने का नया तरीका 

अल्जाइमर रिसर्च में मेमोरी रिस्टोर करने का नया तरीका खोजा गया है. इसमें टॉक्सिक प्रोटीन को टारगेट करने के बजाय, KIBRA नाम के प्रोटीन पर शोध किया गया है. ये प्रोटीन मुख्य रूप से ब्रेन के सिनैप्स में पाया जाता है.

Alzheimer's disease (Photo courtesy: Getty Images)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:40 PM IST
  • KIBRA नाम के प्रोटीन पर शोध किया
  • टॉक्सिक प्रोटीन को नहीं किया जाएगा कम 

अल्जाइमर (Alzheimer's disease) को लेकर दुनियाभर में अलग-अलग तरह की रिसर्च चल रही है. अब इसी कड़ी में कुछ नए ट्रीटमेंट हैं जो लोगों की याददाश्त छीनने वाली बीमारी को धीमा करने में मदद कर सकते हैं. नई रिसर्च में, शोधकर्ता अल्जाइमर और डिमेंशिया के साथ आने वाली भूलने की समस्या को दूर करने के लिए एक विकल्प बताया है. मेमोरी रिस्टोर (Memory Restore) करने के लिए एक नया तरीका पता लगाया गया है. 

टॉक्सिक प्रोटीन को नहीं किया जाएगा कम 

अल्जाइमर के खिलाफ इस लड़ाई में, इस रिसर्च से कहीं न कहीं एक आशा की किरण दिखी है. बक इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन एजिंग के अनुसार, अल्जाइमर के ट्रीटमेंट पर अभी तक जितने भी शोध हुए हैं उनमें दिमाग में जमा होने वाले टॉक्सिक प्रोटीन को कम किया जाता है. हालांकि, द जर्नल ऑफ क्लिनिकल इन्वेस्टिगेशन में एक अलग रास्ता अपनाया गया है. रिसर्च करने वाली तारा ट्रेसी ने बताया, "ब्रेन में टॉक्सिक प्रोटीन को कम करने की कोशिश करने के बजाय, हम याददाश्त को बहाल करने के लिए अल्जाइमर से होने वाले नुकसान को उलटने की कोशिश कर रहे हैं.”

KIBRA नाम के प्रोटीन पर शोध किया

अल्जाइमर रिसर्च का फोकस ब्रेन में जमा होने वाले टॉक्सिक प्रोटीन को कम करने के इर्द-गिर्द घूमता है. हालांकि, बक इंस्टीट्यूट ने प्रोटीनों को टारगेट करने के बजाय, KIBRA नाम के प्रोटीन पर शोध किया है. ये प्रोटीन मुख्य रूप से ब्रेन के सिनैप्स में पाया जाता है. इस रिसर्च में यादें बनने और उनके वापस से याद आना के लिए  जिम्मेदार न्यूरॉन्स के बीच जरूरी संबंध देखा गया है. 

किबरा की भूमिका क्या है? 

रिसर्च में सिनैप्टिक फंक्शन और यादें बनने में KIBRA की भूमिका के बारे में बताया गया है. शोधकर्ताओं ने अल्जाइमर से पीड़ित ब्रेन में KIBRA की कमी देखी है. शोधकर्ताओं ने बताया कि KIBRA के लेवल और डिमेंशिया के बीच एक लिंक है. ये लिंक मुख्य रूप से cerebrospinal fluid में देखा गया है. इसके अलावा, उन्हें KIBRA और tau—a नाम के टॉक्सिक प्रोटीन में भी महत्वपूर्ण संबंध देखने को मिला है. 

चूहों पर हुआ है प्रयोग 

शोधकर्ताओं ने अल्जाइमर जैसी स्थितियों वाले चूहों में इसका प्रयोग किया है. इस प्रोटीन को इंजीनियर्ड रूप से चूहों में डाला गया. रिसर्च में सामने आया कि डिमेंशिया से जो याददाश्त चली गई थी वो कहीं न कहीं कम हुई है. KIBRA ने इस भूलने की बीमारी में कमी की है. ऐसे में इंसानों के लिए भी इस एक्सपेरिमेंट में एक आशाजनक परिणाम देखने को मिलता है. 

बता दें, हर साल लाखों मामले अल्जाइमर के आते हैं. ऐसे में KIBRA मॉड्यूलेशन जैसी नई रणनीतियों का फायदा लिया जा सकता है. इससे कहीं न कहीं दुनिया भर में लाखों लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने का प्रयास किया जा सकता है. 


 

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