E-Cigarettes in India: स्वास्थ्य मंत्रालय ने 15 ई-सिगरेट वेबसाइट्स को भेजा नोटिस, जानें कैसे करती है ये काम और भारत में इसको लेकर क्या हैं नियम

E-Cigarettes in India: जिन 15 वेबसाइटों को ई-सिगरेट हटाने का नोटिस जारी किया गया है, उनमें से चार ने इसे बेचना बंद कर दिया है, जबकि बाकी ने अभी तक जवाब नहीं दिया है.

E-Cigarettes in India
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 12:18 PM IST
  • स्वास्थ्य मंत्रालय ने 15 ई-सिगरेट वेबसाइट्स को भेजा नोटिस,
  • भारत में है बैन

बैन होने के बाद भी ई-सिगरेट का क्रेज बढ़ता जा रहा है. अब इसी को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने ई-सिगरेट बेचने वाली 15 वेबसाइटों को नोटिस भेजकर इसका विज्ञापन और बिक्री बंद करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि छह और वेबसाइटें रडार पर हैं. मंत्रालय सोशल मीडिया पर ई-सिगरेट के विज्ञापन और बिक्री पर भी बारीकी से नजर रख रहा है और जल्द ही उन्हें नोटिस जारी कर सकता है. एक आधिकारिक सूत्र ने पीटीआई को बताया कि जिन 15 वेबसाइटों को "हटाने का नोटिस" जारी किया गया है, उनमें से चार ने इसे बेचना बंद कर दिया है, जबकि बाकी ने अभी तक जवाब नहीं दिया है.

सूत्र ने कहा, "अगर वे जवाब नहीं देते हैं और कानून का पालन नहीं करते हैं, तो स्वास्थ्य मंत्रालय इन वेबसाइटों को हटाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को लिखेगा. इन वेबसाइटों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी."

कैसे काम करती है ई-सिगरेट?

ई-सिगरेट एक डिवाइस है जो सिगरेट, सिगार, पाइप, पेन या यूएसबी ड्राइव जैसा दिख सकता है. इसके अंदर लिक्विड होता है जिसमें अलग-अलग तरह की स्मेल आती है. इसमें फल जैसी गंध आ सकती है, लेकिन इसमें निकोटीन की मात्रा अधिक हो सकती है. उदाहरण के लिए, JUUL डिवाइस USB ड्राइव की तरह दिखते हैं. वे 2015 में अमेरिकी बाजार में दिखाई दिए थे और अब वह ई-सिगरेट का सबसे अधिक बिकने वाला ब्रांड हैं. इसकी जो रिफिल होती है वो ठंडे खीरे, आम और पुदीना जैसे स्वादों में आ सकती है. इसे को देखकर लोग इन्हें प्राकृतिक और हानिरहित समझते हैं, लेकिन एक JUUL रिफिल में 20 सिगरेट के पैक जितना निकोटीन होता है. जो काफी नुकसानदायक है. 

ई-सिगरेट कैसे काम करती है?

ज्यादातर ई-सिगरेट अलग-अलग पार्ट से बनी होती है. जैसे माउथपीस, एटमाइजर, बैटरी, सेंसर, सॉल्यूशन आदि. 

माउथपीस: यह एक ट्यूब के सिरे पर लगा हुआ कार्ट्रिज है. अंदर एक छोटा प्लास्टिक कप होता है एक अब्सॉर्बेंट चीज होती है जो इस लिक्विड घोल में मिली होती है. 

एटमाइजर: यह लिक्विड को गर्म करता है, जिससे यह वाष्पीकृत हो जाता है ताकि कोई व्यक्ति इसे अंदर ले सके.

बैटरी: यह हीटिंग एलिमेंट को पावर देती है. 

सेंसर: जब यूजर डिवाइस को चूसता है तो यह हीटर को एक्टिव कर देता है.

सॉल्यूशन: ई-लिक्विड, या ई-जूस में निकोटिन और बेस होता है. ये बेस प्रोपलीन ग्लाइकोल होता है, और किसी फ्लेवर का मिक्सचर होता है. 

जब यूजर माउथपीस को मुंह पर लगाता है, तो हीटिंग एलिमेंट सोल्यूशन को वाष्पीकृत कर देता है, जिसे व्यक्ति फिर "वेप" करता है या सांस लेता है. इस लिक्विड में निकोटीन की मात्रा ज्यादा भी हो सकती है और कम भी. 

भारत में है ये बैन 

वेपिंग के नियम अलग-अलग देशों में अलग हैं. जापान जैसे देशों ने ई-सिगरेट को अवैध घोषित कर दिया गया है. वहीं यूनाइटेड किंगडम जैसे दूसरे देशों ने सख्त प्रतिबंध लगाए हैं, लेकिन मेडिकल इस्तेमाल के लिए लाइसेंस ले सकते हैं. ब्राजील, उरुग्वे, सिंगापुर और भारत ऐसे कुछ देश हैं जिन्होंने ई-सिगरेट को नशे की लत और देश के युवाओं को बर्बाद करने की प्रवृत्ति बताते हुए इसके इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. भारत में वेपिंग गैरकानूनी है और 2019 में इसे पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया था. हालांकि, 2019 से पहले ई-सिगरेट पर रेगुलेशन नहीं था. सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 (सीओटीपीए), और ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स अधिनियम (डीसीए), 1940 प्राथमिक अधिनियम थे जो तंबाकू उत्पादों की बिक्री को नियंत्रित करते थे लेकिन ई-सिगरेट उनके अंतर्गत शामिल नहीं थे. यही कारण था कि ई-सिगरेट रेग्युलेशन नहीं थे. 

 

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