सावधान: मंकीपॉक्स की वजह से इन अंगों पर पड़ता है बुरा प्रभाव, इन पांच तरीकों से करें खुद का बचाव

भारत में मंकीपॉक्स के चार मरीज सामने आने के बाद से हड़कंप मच गया है. मरीज के घाव से निकलकर यह वायरस आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है. मंकीपॉक्स, एक वायरस के कारण होता है, जो स्मॉलपॉक्स की फैमिली का ही एक वायरस है.

Monkeypox
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 1:17 PM IST
  • मरीज के घाव से निकलकर यह वायरस आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है.
  • मंकीपॉक्स के सबसे ज्यादा केस स्पेन में हैं. 

मंकीपॉक्स दुनियाभर में पैर पसार रहा है. भारत में मंकीपॉक्स के चार मरीज सामने आने के बाद से हड़कंप मच गया है. मंकीपॉक्स के सबसे ज्यादा केस स्पेन में हैं. मरीज के घाव से निकलकर यह वायरस आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है. दिल्ली में मंकीपॉक्स का पहला मरीज मिलने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मंकीपॉक्स का पहला मामला दिल्ली में सामने आया है. मरीज की हालत स्थिर है और वह ठीक हो रहा है. घबराने की जरूरत नहीं है. स्थिति नियंत्रण में है. 

इस वायरस से संक्रमित होने वाले अधिकांश लोगों के लिए, लक्षण फ्लू के समान होते हैं. मंकीपॉक्स 21 दिन के आइसोलेशन के बाद ठीक हो जाता है और संक्रमित होने के 3 दिन बाद इसके लक्षण दिखाई दे सकते हैं. मंकीपॉक्स बहुत कम मामलों में ही घातक होता है, हालांकि कई बार यह आपके अंगों को भी प्रभावित कर सकते हैं. मंकीपॉक्स के प्रकोप से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है.

ये लक्षण दिखें तो डॉक्टर को दिखाएं

  • तेज बुखार आना

  • पीठ और मांसपेशियों में दर्द

  • त्वचा पर दानें और चकते पड़ना

  • खुजली की समस्या

इन अंगों पर पड़ता है प्रभाव

  • त्वचा पर लाल चकते या छाले पड़ सकते हैं

  • प्रजनन अंगों को नुकसान पहुंच सकता है

  • आंख की कॉर्निया पर भी असर देखा गया है

इन तरीकों से करें बचाव

  • मास्क का इस्तेमाल करें और सामाजिक दूरी बनाकर रखें

  • जरूरी न हो तो विदेश यात्रा करने से बचें, अगर विदेश यात्रा करते भी हैं तो लौटने पर अपनी जांच कराएं

  • समय-समय पर अपने हाथ साबुन से धोते रहे

  • मरीजों की देखभाल करते समय पीपीई किट का प्रयोग करें

  • संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर साबुन से हाथ धोएं.

कोरोना से कम संक्रामक है मंकीपॉक्स

कुछ एहतियात बरतकर इसकी चपेट में आने से बचा जा सकता है. मंकीपॉक्स अब तक 80 देशों में फैल चुका है. दुनियाभर में मंकीपॉक्स के 16,836 मामले सामने आ चुके हैं. यूरोपीय संघ की एडवाइजरी कमेटी ने चेचक के टीके को इसके इलाज में सबसे कारगर माना है. मंकीपॉक्स वायरस से जुड़े ज्यादातर मामले समलैांगिक पुरुषों में देखने को मिल रहे हैं. हैरानी की बात तो यह है कि सबसे ज्यादा मामलों वाले शीर्ष 10 देशों में मंकीपॉक्स का इतिहास नहीं रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस कोरोना से कम संक्रामक है. मंकीपॉक्स, एक वायरस के कारण होता है, जो स्मॉलपॉक्स की फैमिली का ही एक वायरस है. 

 

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