विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)ने शनिवार यानी 23 जुलाई को मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी करार दिया था. इसके बाद आज यानी 25 जुलाई को डब्ल्यूएचओ के सीनियर अधिकारियों ने कहा कि मंकीपॉक्स ने विश्व स्तर पर और दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में वायरस के जोखिम का आकलन 'मध्यम' के रूप में किया है.
डॉ पूनम के सिंह ने कहा कि कई देशों से मंकीपॉक्स के मामले सामने आ रहे हैं. विश्व स्तर पर और डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में मंकीपॉक्स के जोखिम को मध्यम माना जाता है. डब्ल्यूएचओ नियमित रूप से इसे लेकर अपनी लैब और अन्य विशेषज्ञ समूहों के साथ उपलब्ध आंकड़ों की समीक्षा कर रहा है.
क्या सेक्स से फैसला है मंकीपॉक्स
डॉ सिंह ने कहा कि मंकीपॉक्स प्रमुख रूप से निकट शारीरिक और सेक्स के माध्यम से फैल रहा है. उन्होंने आगे कहा कि वायरस दूषित पदार्थों से फैल सकता है, जिनमें संक्रमित त्वचा के कण हो सकते हैं. "मंकीपॉक्स का ट्रांसमिशन मुख्य रूप से निकट शारीरिक संपर्क के माध्यम से होता है, जिसमें यौन संपर्क भी शामिल है. ट्रांसमिशन दूषित सामग्री जैसे लिनेन, बिस्तर, इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़ों से भी हो सकता है.
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी में कहा गया है कि मंकीपॉक्स वायरस के ट्रांसमिशन का 95 प्रतिशत यौन गतिविधि के माध्यम से हो रहा है. यह स्टडी अब तक इस वायरस पर सबसे बड़ी है. इसमें कहा गया है कि सबसे ज्यादा ट्रांसमिशन दो पुरुषों के बीच सेक्स के बाद होते हैं.
क्लोज फिजिकल कॉन्टैक्ट है इसकी वजह
हालांकि, रिसर्चर्स और डॉक्टरों ने जोर देकर कहा है कि वायरस केवल यौन गतिविधि तक ही सीमित नहीं है और निकट शारीरिक संपर्क से भी फैल सकता है. "इस बात पर जोर देना जरूरी है कि मंकीपॉक्स पारंपरिक अर्थों में सेक्ससुली ट्रांसमिशन इन्फेक्शन नहीं है. इसे किसी भी प्रकार के क्लोज फिजिकल कॉन्टैक्ट से होता है.
डॉ सिंह ने कहा हमें सतर्क रहने और मंकीपॉक्स के प्रसार को कम करने के लिए एक तीव्र प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है और ऐसा करते समय, हमारे प्रयास और उपाय संवेदनशील होने चाहिए.
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