उत्तर प्रदेश के मेरठ में कुट्टू के आटे से बना फलाहारी खाना खाकर 100 से ज्यादा लोगों को फूड पॉइज़निंग हो गई. हालांकि, यह कोई नई बात नहीं है. हर साल नवरात्रि में कुट्टू के आटे से लोगों की तबियत बिगड़ने की खबरें हम पढ़ते हैं. लेकिन जरूरी है कि इन खबरों से बक लेकर इस बात पर ध्यान दिया जाए कि कैसे कुट्टू के आटे को सुरक्षित तरीकों से इस्तेमाल करना चाहिए ताकि यह आपके लिए जहरीला न बने. सबसे पहले हम आपको बता दें कि आखिर कुट्टू का आटा है क्या और यह नवरात्रि के व्रत में क्यों खाया जाता है?
कुट्टू का साइंटिफिक नाम Fagopyrum Esculentum है और इसे इंग्लिश में बक व्हीट (Buckwheat) कहते हैं. इसके नाम में भले ही 'व्हीट' हो लेकिन अनाज से इसका कोई संबंध नहीं है. कुट्टू, स्यूडोसीरियल्स या छद्म अनाज (pseudocerals) केटेगरी में आता है यानी ऐसे ग्रेन जिन्हें अनाज के जैसा समझा जाता है लेकिन ये अनाज नहीं होते हैं. कुट्टू के अलावा, रामदाना या राजगिरा या चौलाई (Amaranth) भी इसी केटेगरी में आता है. छद्म अनाज होने के कारण कुट्टू का आटा और रामदाना नवरात्रि व्रत में फलाहार के तौर पर खाया जाता है. लेकिन अक्सर कुट्टू का आटा फूड पॉइज़निंग का कारण बनता है, इसकी कई वजहें हो सकती हैं.
क्या हानिकारक होता है कुट्टू का आटा?
कुट्टू के बीजों को पीसकर कुट्टू का आटा बनाया जाता है. इसकी तासीर गर्म की तरफ होती है इसलिए गर्मियों से सर्दियों में बदलते मौसम में कुट्टू का का आटा खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है. इससे आप रोटी, पूड़ी या दूसरे व्यंजन बना सकते हैं. कुट्टू के आटे की न्यूट्रिशनल प्रोफाइल के कारण इसे सुपरफूड कहा जाता है. लेकिन कई बार यह सुपरफूड सेहत के लिए रिस्की हो जाता है. कुट्टू के आटे से बनी डिशेज खाकर अगर किसी को फूड पॉइज़निंग हो रही है तो इसका मतलब है कि यह आटा टॉक्सिक हो गया था.
एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर कुट्टू के आटे में कोई खराब चीज मिलाई गई हो, या आटा बहुत पुराना हो तो यह जहरीला हो सकता है जिसे खाने से तबियत खराब हो जाती है. कुट्टू के आटे में कई तरह की मिलावट की जाती है और इस मिलावटी आटे को खाने से लोगों की सेहत खराब होती है. इसके अलावा, कुट्टू के आटे की सेल्फ लाइफ ज्यादा नहीं होती है. इसे आप लंबे समय तक स्टोर करके नहीं रख सकते हैं. अगर आप बहुत पुराना आटा खा रहे हैं तब भी फूड पॉइज़निंग हो सकती है.
इन बातों का रखें ख्याल
1. पिसवाएं ताजा आटा
सबसे पहले तो इस बात पर गौर करें कि जो कुट्टू का आटा आप खा रहे हैं वह बहुत ज्यादा पुराना न हो. अगर मुमकिन हो तो, जरूरत के हिसाब से अपने सामने कुट्टू का आटा ताजा पिसवाएं और इस्तेमाल करें. कोशिश करें कि आप पुराना स्टोर किया हुआ आटा न खरीदें.
2. सर्टिफिकेशन चेक करें
अगर आप कुट्टू का आटा ताजा पिसवा नहीं सकते हैं तो पैकेज्ड आटा खरीदने से पहले इसका सर्टिफिकेशन चेक करें. आप ऑर्गनिक, ग्लुटेन-फ्री या नॉन-जीएमओ जैसे लेबल्स देख सकते हैं. इन लेबल से आपको क्वालिटी का अंदाजा हो जाता है.
3. पैकेजिंग चेक करें
कुट्टू का आटा खरीदने से पहले पैकेजिंग जरूर चेक करें. देखें कि पैकेजिंग कहीं से फटी नहीं हुई है या इसके साथ कोई छेड़छाड़ तो नहीं हुई है. अच्छी तरह से सील पैकेट ही खरीदें ताकि शुद्धता पर विश्वास रहे.
4. आटे को चेक करें
खरीदने से पहले चेक करें कि कुट्टू के आटे का टेक्सचर और रंग कैसा है. यह हल्के ब्राउन रंग का होना चाहिए और देखें कि इसमें कोई गांठे तो नहीं पड़ रही हैं.
5. अच्छे से स्टोर करें
हमेशा कुट्टू के आटे की एक्सपायरी डेट चेक करें. साथ ही, इसे एयरटाइट डिब्बे में स्टोर करें और इसी ठंडी और ड्राई जगह पर रखें ताकि किसी तरह से यह खराब न हो.
क्या है कुट्टू के आटे का इतिहास
कुट्टू की उत्पत्ति लगभग पांच हजार साल पहले दक्षिण पूर्व एशिया में हुई थी और यहां से कुट्टू मध्य एशिया, मध्य पूर्व एशिया और यूरोप में उगाया जाने लगा. 1600 में यह उत्तरी अमेरिका पहुंचा. कुट्टू का पौधा तेजी से बढ़ता है और इसे लगाने के महीने भर के अंदर ही इसमें फूल आना शुरू हो जाते हैं. कुट्टू के पौधे पर सफेद रंग के फूल आते हैं जो धीरे-धीरे फलों में परिवर्तित होते हैं और इन फलों से कुट्टू के बीज मिलते हैं जो हल्के ब्राउन रंग के होते हैं.
इन बीजों को पीसकर ही कुट्टू का आटा बनाया जाता है. कुट्टू को अगस्त के महीने में बोना शुरू किया जाता है. भारत में कुट्टू जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, कारगिल, गुरेज घाटी, उत्तराखंड और दक्षिण भारत के नीलगिरी इलाकों में उगाया जाता है. रूस, चीन, यूक्रेन, किर्गिस्तान और कजाकिस्तान में भी कुट्टू की खेती बड़े पैमाने पर होती है. जापान में कुट्टू के नूडल्स तो चीन में इससे सिरका बनाया जाता है.
'सुपरफूड' है कुट्टू
कुट्टू की न्यूट्रिशनल प्रोफाइल के कारण इसे एक सुपरफूड माना जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इसे फलों की केटेगरी में रखा जाता है और इसका उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जैसे कि व्रत के दौरान पूड़ी और पकौड़े बनाना. दरअसल, कुट्टू का आटा प्रोटीन का बहुत अच्छा स्रोत है, जिसके प्रति 100 ग्राम में लगभग 15 ग्राम प्रोटीन होता है. इसमें कार्बोहाइड्रेट और फाइबर भी अच्छी मात्रा में होता है.
इसके अलावा, कुट्टू के आटे में अल्फा-लिनोलेनिक एसिड होता है, खराब कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है और ब्लड शुगर को बैलेंस करता है. इसका लॉ ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी सेहत के लिए अच्छा होता है. इसमें आयरन भी अच्छी मात्रा में होता है. इस कारण कुट्टू को नवरात्रि के अलावा भी अपनी डाइट में शामिल किया जा सकता है. लेकिन इसे कम क्वांटिटी में ही खाएं और सबसे पहले एक्सपर्ट से कंसल्ट करें.