वैज्ञानिकों ने पेरियोडोंटल (मसूड़ों) रोग और अमाइलॉइड प्लाक की फॉर्मेशन के बीच एक लिंक तलाशा है, जो अल्जाइमर बीमारी की पहचान है. जर्नल ऑफ न्यूरोइंफ्लेमेशन में पब्लिश स्टडी में पाया गया कि मसूड़ों की बीमारी से ब्रेन सेल्स में बदलाव हो सकता है जिन्हें माइक्रोग्लियल सेल्स कहा जाता है. ये सेल्स ब्रेन को अमाइलॉइड प्लाक से बचाने के लिए जिम्मेदार होती हैं. अमाइलॉइड एक प्रकार का प्रोटीन जो सेल्स मृत्यु से जुड़ा होता है.
यह रिसर्च इस बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देती है कि ओरल बैक्टीरिया ब्रेन तक कैसे अपना रास्ता बनाते हैं, और साथ ही, अल्जाइमर रोग में न्यूरोइन्फ्लेमेशन का रोल बताती है. यह एक ब्रेन डिसऑर्डर है जो धीरे-धीरे मेमोरी और थिंकिंग स्किल्स को नष्ट कर देता है. अमेरिका में फोर्सिथ इंस्टीट्यूट के सीनियर स्टडी लेखक अल्पडोगन कांटार्सी ने कहा कि पहली एक स्टडी से वे जानते थे कि मसूड़ों की बीमारी से जुड़ी सूजन ब्रेन में एक सूजन प्रतिक्रिया को सक्रिय करती है.
जरूरी है ओरल हाइजीन
कांटार्सी ने कहा कि इस अध्ययन में, सवाल है कि क्या ओरल बैक्टीरिया ब्रेन सेल्स में बदलाव का कारण बन सकते हैं? रिसर्चर्स ने जिन माइक्रोग्लियल सेल्स की स्टडी की, वे एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका (Whte Blood Cells) हैं जो अमाइलॉइड प्लाक को पचाने के लिए जिम्मेदार हैं. उन्होंने पाया कि ओरल बैक्टीरिया के संपर्क में आने पर, माइक्रोग्लियल सेल्स ज्यादा उत्तेजित हो गईं और बहुत ज्यादा प्लाक खा गईं. जिससे ये सेल्स मोटे हो गए थे और अब ये प्लाक फॉर्मेशन को पचा नहीं सकते थे.
यह खोज सिस्टेमेटिक हेल्थ पर मसूड़ों की बीमारी के प्रभाव को दर्शाने के लिए महत्वपूर्ण है. मसूड़ों की बीमारी के कारण मसूड़ों और दांतों के बीच घाव विकसित हो जाते हैं. इस घाव का एरिया आपकी हथेली के आकार का है. यह एक खुला घाव है जो आपके मुंह में बैक्टीरिया को आपकी ब्लड स्ट्रीम में दाखिल करने और आपके शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने का रास्त देता है. यह बैक्टीरिया ब्लड/ब्रेन की सुरक्षात्मक परत को पार कर सकते हैं और माइक्रोग्लियल सेल्स को ज्यादा एक्टिव कर सकते हैं.
इस अध्ययन से पता चलता है कि न्यूरोइन्फ्लेमेशन और न्यूरोडीजेनेरेशन को रोकने के लिए, पीरियडोंटल बीमारी से जुड़ी ओरल सूजन को नियंत्रित करना जरूरी है.