Sleep related to Diabetes: देर से सोने वालों में ज्यादा है टाइप-2 डायबिटीज का खतरा, जानिए क्या कहती है नई रिसर्च

Type-2 Diabetes बीमारी कई भारतीयों के लिए बड़ी चिंता है. इस समय भारत में 10 करोड़ लोगों को डायबिटीज है. नीदरलैंड्स में हुई एक रिसर्च ने डायबिटीज और देर से सोने के समय में संबंध स्थापित किया है.

Teenage girl suffering insomnia using smartphone at night
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 10 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 10:51 AM IST
  • देर से सोने वालों के शरीर में फैट भी ज्यादा
  • शरीर की लय बिगड़ने से बढ़ती हैं चिंताएं

रात में देर तक जागकर फोन चलाते रहना कहीं आपकी भी बुरी आदतों में शुमार तो नहीं? एक नई रिसर्च ने खुलासा किया है कि जो लोग रात में देर से सोने जाते हैं उन्हें टाइप-2 डायबिटीज होने की संभावना अन्य लोगों की तुलना में करीब 50 प्रतिशत ज्यादा है. 

रिसर्च के अनुसार, ऐसे लोगों का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) भी ज्यादा होता है. इनके शरीर में लिवर और आंत जैसी जगहों पर 'छिपा हुआ फैट' भी होता है जो मेटाबॉलिज्म से जुड़ी समस्याओं का कारण बनता है. 

नीदरलैंड में हुई रिसर्च
इस रिसर्च के निष्कर्ष फिलहाल प्रकाशित नहीं हुए हैं. इन्हें स्पेन की राजधानी मड्रिड में आयोजित होने वाले यूरोपीय एसोसिएशन फॉर स्टडी ऑफ डायबिटीज (EASD) में पेश किया जाएगा. डॉ जेरोन वैन डर वल्डे की अगुवाई में की गई लीडेन यूनिवर्सिटी, नीदरलैंड की यह रिसर्च नींद के समय, बॉडी फैट के संबंध और डायबिटीज के खतरे के संबंधों पर केंद्रित है. 

कितनी खतरनाक है डायबिटीज?
टाइप 2 डायबिटीज भारत में उन बीमारियों में सबसे ज्यादा आम है जो छूने से नहीं फैलतीं. इस समय भारत में 10 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज से प्रभावित हैं. यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर इंसुलिन (पैनक्रियास में निकलने वाला हार्मोन) का ठीक से उपयोग नहीं करता है. इससे खून में चीनी की मात्रा बढ़ जाती है. डायबिटीज अक्सर खराब डाइट, मोटापे और आलस से जुड़ी होती है. 

क्या कहती है रिसर्च?
इस रिसर्च के लिए 5,000 से ज्यादा लोगों के डेटा का विश्लेषण किया गया. 56 वर्ष की औसत आयु वाले प्रतिभागियों ने अपनी नींद की आदतों के बारे में जानकारी दी. उनके सोने-जागने के समय के आधार पर उन्हें जल्दी, दर्मियानी और देर से सोने वाले समूहों में बांटा गया. 

तीनों समूहों का बीएमआई, कमर का आकार और शरीर में फैट का स्तर भी मापा गया. एमआरआई के जरिए प्रतिभागियों के एक उपसमूह में आंत और लिवर फैट का आकलन भी किया गया. आंकड़े जुटाने के करीब साढ़े छह साल बाद 225 प्रतिभागियों में टाइप 2 डायबिटीज पाया गया. 

डॉ. वैन डर वल्डे कहते हैं, "हमारा मानना ​​है कि दूसरी चीजों ने भी इसमें योगदान दिया है. एक कारण तो यह हो सकता है कि देर से सोने वालों के शरीर की घड़ी (Circadian Rhythm) आम समाज से अलग हो जाती है. हम जानते हैं कि खराब सर्केडियन रिदम आपके पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकती है और अंततः यह टाइप-2 डायबिटीज बन जाता है." 

कैसे करें बचाव?
उम्र, शारीरिक गतिविधि और नींद की क्वालिटी जैसे कारकों को ध्यान में रखने के बाद भी पाया गया कि देर से सोने वाले लोगों में मध्यवर्ती समूह की तुलना में टाइप 2 डायबिटीज होने का जोखिम 46% ज्यादा है. उनका बीएमआई भी ज्यादा था और शरीर में फैट की मात्रा भी अधिक थी.

डॉ वैन डर वल्डे का कहना है कि देर रात तक जागने वाले लोग इस परेशानी से बचने के लिए रात में देर से डिनर करना बंद कर सकते हैं. उनकी संभावित रणनीति यह हो सकती है कि वह समय से रात का खाना खा लें. साथ ही खाने के समय को अपने नियंत्रण में रखें. 

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