केंद्र सरकार ने हाल ही में 15 से 18 साल की उम्र के बच्चों के लिए टीकाकरण की घोषणा की है. लेकिन भारत के पास फिलहाल 15 से कम उम्र के बच्चों के टीकाकरण की कोई योजना नहीं है. बताया जा रहा है कि 15 से 18 साल के बच्चों के टीकाकरण की अनुमति देने से पहले भी काफी विचार किया गया था.
हालांकि, कई देश छोटे बच्चों का टीकाकरण कर रहे हैं. कहीं-कहीं पांच साल की उम्र के बच्चों को भी वैक्सीन दी जा रही है. क्योंकि Sars-CoV-2 के ओमिक्रॉन वेरिएंट ने लोगों की चिंता को बढ़ा दिया है और वैक्सीनेशन ड्राइव को बढ़ाने की हिदायत दी जा रही है.
लेकिन भारत में अभी भी बच्चों की वैक्सीनेशन ड्राइव पर विचार किया जा रहा है. कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह फैसला पूरी तरह से वैज्ञानिक आंकड़ों पर आधारित है. क्योंकि आंकड़ों से पता चलता है कि दुनिया में कहीं भी बच्चे वायरस से काफी हद तक प्रभावित नहीं हुए हैं. इसलिए शुरू से यही राय रखी गई कि टीकाकरण की अनुमति केवल वयस्कों के लिए दी जानी चाहिए.
लेकिन फिर यह महसूस किया कि 15-18 आयु वर्ग के बच्चे स्कूल या कॉलेज जाते हैं और बाहर घूमना-फिरना भी रहता है. इसलिए ये आसानी से वायरस के कैरियर ही सकते हैं.
यूएस, यूके में हो रहा है छोटे बच्चों का टीकाकरण:
भारत की नीति इस मामले में संयुक्त राज्य या यूनाइटेड किंगडम से अलग है. क्योंकि दोनों देश 5 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बच्चों का टीकाकरण कर रहे हैं. हालांकि, भारत का निर्णय भी जुलाई में किए गए सीरोलॉजिकल सर्वेक्षण पर आधारित था.
सर्वेक्षण से पता चला कि 67.6% आबादी जोखिम में थी और इसमने बच्चों की भी बड़ी संख्या थी. उस समय, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के प्रमुख बलराम भार्गव ने कहा कि सर्वेक्षण में छह से 17 साल के बीच के बच्चे शामिल थे. और यह पाया गया कि छह साल से अधिक उम्र की सामान्य आबादी का दो-तिहाई पहले से ही संक्रमित था.
लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि छोटे बच्चों पर अनावश्यक रूप से टीकाकरण करने की कोई जरूरत नहीं है. उनका मानना है कि सभी को टीका लगाने की दौड़ एक मार्केटिंग नौटंकी है.
बच्चों पर नहीं है कोरोना का गंभीर प्रभाव:
एक्सपर्ट्स का कहना है कि देश के विभिन्न हिस्सों में स्कूल और कॉलेज भी पिछले कुछ समय से खुले हैं. और वहां संक्रमण का कोई उछाल नहीं दिख रहा है. न ही बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो रहे हैं.
केंद्र और राज्य ओमिक्रॉन संस्करण के प्रसार के कारण कोविड नियमों को कड़ा कर रहे हैं. लेकिन सरकार के आकलन से संकेत मिलता है कि उन्हें उम्मीद है कि इस खतरे को वह संभाल सकते हैं. भारत में ओमिक्रॉन के जिन 500 मामलों का पता चला है, उनमें से आधे ठीक हैं और घर जा चुके हैं. गंभीर बीमारी तो भूल जाइए, केवल 13% लोगों में ही लक्षण दिख रहे हैं.
दक्षिण अफ्रीका जैसे देश से भी यही सीख मिली कि ओमिक्रॉन तेजी से फैलता है और दैनिक मामले तेजी से बढ़ते हैं. लेकिन फिर मामलों की संख्या कम भी उतनी ही तेजी से होती है.
इसलिए भारत में अभी छोटे बच्चों की वैक्सीन पर विचार नहीं बना है. आंकड़ों से पता चलता है कि दुनिया भर में लगभग 186,000 ज्ञात ओमिक्रॉन मामलों में से केवल 32 मौतें हुई हैं.
हालांकि, नागरिकों को सतर्क रखने के लिए सख्त सावधानियां आवश्यक हैं. इसलिए सरकार ने स्थिति का दैनिक आकलन करना शुरू कर दिया है.