नॉइज कैंसलेशन हेडफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो सावधान हो जाएं, सिर्फ कान ही नहीं दिमाग पर भी पड़ता है असर, गाना सुनें लेकिन सेफ्टी के साथ

आपके हमारे आसपास ज्यादातर ऐसे लोग होंगे जो हेडफोन्स का इस्तेमाल करते होंगे. इनमें से जेन जी और खासकर हमारी यंग जनरेशन नॉइज कैंसलेशन हेडफोन्स का इस्तेमाल कर रही है.

Headphones
अपूर्वा राय
  • नई दिल्ली,
  • 18 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 4:33 PM IST
  • सुनने की क्षमता धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है
  • यंगस्टर्स में दिख रहे ऑडिटरी प्रोसेसिंग डिसऑर्डर

आपके हमारे आसपास ज्यादातर ऐसे लोग होंगे जो हेडफोन्स का इस्तेमाल करते होंगे. इनमें से जेन जी और खासकर हमारी यंग जनरेशन नॉइज कैंसलेशन हेडफोन्स का इस्तेमाल कर रही है. बाहरी शोर शराबे से बचाने के लिए बनाई गई ये डिवाइस अब आपके दिमाग पर असर डाल रही है.

नॉइज कैंसिलेशन हेडफोन्स की वजह से परेशानी
यूके बेस्ड नेशनल हेल्थ सर्विसेज (एनएचएस) के ऑडियोलॉजिस्ट ने चेतावनी दी है कि नॉइज कैंसिलेशन हेडफोन के ज्यादा उपयोग से मस्तिष्क से उत्पन्न होने वाली सुनने की समस्याओं में वृद्धि हुई है. यंग जनरेशन हेडफोन्स के चलते हो रही सुनने की समस्याओं को लेकर डॉक्टर्स के पास जा रहे हैं. जब इन मरीजों की करीब से जांच की गई तो पता चला कि इनके सुनने की क्षमता एकदम ठीक थी बल्कि यह समस्या दिमाग से जुड़ी हुई थी. यानी कि दिमाग को जो कुछ भी सुनाई देता है उसे प्रोसेस करने में परेशानी होती है और ये होता है नॉइज कैंसिलेशन हेडफोन्स की वजह से.

यंगस्टर्स में दिख रहे ऑडिटरी प्रोसेसिंग डिसऑर्डर
इस कंडीशन को ऑडिटरी प्रोसेसिंग डिसऑर्डर (एपीडी) कहा जाता है. यह तब होता है जब मस्तिष्क को शब्दों या साउंड को प्रोसेस करने में परेशानी होती है, खासकर ऐसी स्थिति में जब वो इस शोर या आवाज को बैकग्राउंड से आने वाले शोर से अलग करने में विफल हो जाता है. आसान भाषा में समझें तो APD सुनने की क्षमता में कमी नहीं है, बल्कि दिमाग के बाहरी शोर को प्रोसेस करने की क्षमता में एक परेशानी है.

मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत के ENT स्पेशलिस्ट डॉ. अमृत कपूर बताते हैं, यह सीधे तौर पर दिमाग को नुकसान नहीं पहुंचाता है. नॉइज कैंसिलेशन वाले हेडफोन्स के साथ दिक्कत यह है कि यह बैकग्राउंड नॉइस को रोकता है. इसलिए कुछ स्थितियों में यह नुकसानदायक हो सकता है, जैसे मशीनरी के आसपास काम करना, लोग चलते समय इन हेडफ़ोन का इस्तेमाल करते हैं इससे वो बाहर से आने वाले शोर को सुन ही नहीं पाते. लंबे समय तक हेडफ़ोन का इस्तेमाल करने से कान कैनल का वेंटिलेशन रुक जाता है, जिससे कान में फंगल संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है.

WHO 65dB से ऊपर की ध्वनि को नॉइज पॉल्यूशन मानता है. आमतौर पर साउंड 65dB से नीचे होना चाहिए. इस्तेमाल में न आने पर हेडफोन्स को गले में न टांगे रहें. जिन लोगों में सेरुमेन ज्यादा बनता हो उन्हें कान के बजाय हेड ईयर फोन का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है.

कैसे आपके दिमाग को प्रभावित करता है नॉइज कैंसिलेशन हेडफोन
एपीडी वाले लोगों को विदेशी लहजे या जल्दी-जल्दी बात करने वालों को समझने में परेशानी हो सकती है. हालांकि यह डिसऑर्डर आमतौर पर कान के इंफेक्शन, बचपन में लगी चोट से जुड़ा हुआ है, लेकिन अब इसकी एक वजह नॉइज कैंसिलेशन हेडफोन्स को माना जा रहा है. दरअसल मस्तिष्क को यह निर्धारित करने के लिए कि किस चीज पर ध्यान लगाना है, आवाज सुननी पड़ती है. अगर पीछे से आने वाले शोर को ब्लॉक कर दिया जाए तो मस्तिष्क उन्हें फिल्टर करना भूल सकता है. हेडफोन लगाकर आप केवल वही सुनते हैं जो आप सुनना चाहते हैं. यानी कि नॉइज कैंसलिंग हेडफोन में कम फ्रीक्वेंसी होती है. इससे कानों के रिसेप्टर्स उत्तेजित होते हैं और दिमाग को गलत मैसेज भेजते हैं.

दिमाग साउंड को नहीं कर पाता प्रोसेस
यह तब होता है जब मस्तिष्क को शब्दों या साउंड को प्रोसेस करने में परेशानी होती है, खासकर ऐसी स्थिति में जब वो इस शोर या आवाज को बैकग्राउंड से आने वाले शोर से अलग करने में विफल हो जाता है. अगर आप अपने कानों में आवाज पहुंचाना बंद कर देते हैं... तो आपका मस्तिष्क अपने इंटरनल गेन को बढ़ाकर इसकी भरपाई कर देता है. यह आपके तंत्रिका मार्ग को पूरी तरह से बदल देता है. नॉइज कैंसिलेशन तकनीक बाहरी आवाजों को काम करने के लिए काम करती है. लेकिन कई बार हेडफोन से हल्की गूंज जैसी आवाजें निकलती हैं. इसे ही ‘टर्निंग आउट नॉइज’ कहा जाता है. यह आवाज लंबे समय तक सुनाई दे तो यह कानों के साथ आपके दिमाग पर भी असर डाल सकती है.

कुछ लोगों के लिए हेडफोन्स मददगार हो सकते हैं, ज्यादातर मामलों में इनका उपयोग बाहरी दुनिया की तेज आवाज से बचाने के लिए किया जा सकता है, लेकिन जब आप इसका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करने लगते हैं तो इसका नकारात्मक असर भी पड़ सकता है.

हेडफोन्स के ज्यादा इस्तेमाल से 

  • चक्कर आना

  • ध्यान लगाने में परेशानी

  • घबराहट

  • कान में दर्द

  • नींद आने में दिक्कत

  • कान में आवाज गूंजना

जैसी दिक्कतें हो सकती हैं.

इससे बचने के लिए जब जरूरत न हो तो हेडफोन्स का इस्तेमाल न करें. एक दिन में 60 मिनट से ज्यादा इयरफोन, इयरबड्स का इस्तेमाल न करें. इसके अलावा अगर आप इस्तेमाल कर भी रहे हैं तो साउंड 65dB से ज्यादा नहीं होना चाहिए.

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