नाक में उंगली डालने (Nose Picking Habit) को आम तौर पर लोग सिर्फ एक गलत आदत मानते हैं पर क्या आप जानते हैं कि आपकी यह आदत आपको बीमार कर सकती है. मेडिकल टर्म में नाक में उंगली डालने को राइनोटिलेक्सोमेनिया कहते हैं. एक ताजा रिसर्च में खुलासा हुआ है कि नाक में उंगली डालने की आदत से आपको अल्जाइमर का खतरा हो सकता है. सूंघने की शक्ति खो बैठने को अल्जाइमर्स रोग का शुरुआती संकेत माना जाता है.
नाक खुजलाने से हो सकता है अल्जाइमर
बायोमोलेक्युलस में प्रकाशित एक रिसर्च में अल्जाइमर के संभावित लिंक का खुलासा किया गया है. अल्जाइमर एक चिंताजनक स्थिति है जो लाखों लोगों को प्रभावित कर रही है. नया शोध ये बताता है कि नाक में उंगली डालने या खुजलाने जैसी आदतें इसके विकास में कैसे योगदान दे सकती हैं.
नाक की नली से ब्रेन में पहुंचा बैक्टीरिया
इस रिसर्च के मुताबिक नाक में उंगली डालने से अल्जाइमर रोग (Alzheimer's Disease) का खतरा बढ़ सकता है. शोधकर्ताओं का दावा है कि नाक में उंगली डालने से कई रोगजनक आपके दिमाग में बीटा-एमिलॉइड के प्रोडक्शन को ट्रिगर कर सकते हैं. अधिकतर डिमेंशिया रोगियों के मस्तिष्क में भी यही बैक्टीरिया पाया गया है. बीटा-एमिलॉइड अल्जाइमर से जुड़े न्यूरोइन्फ्लेमेशन में योगदान देता है. रिसर्च में ये बात सामने आई कि बैक्टीरिया नाक की नली से होता हुआ चूहों के ब्रेन में पहुंच गया. इस बैक्टीरिया की वजह से अल्जाइमर का संकेत मिला. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अल्जाइमर के खतरे को कम करने के लिए नाक की सफाई बनाए रखना जरूरी है.
ऐसे कर सकते हैं बचाव
अल्जाइमर की रोकथाम हमारी लाइफस्टाइल (Lifestyle) पर निर्भर करती है. दिमाग में रोगजनकों के प्रवेश के जोखिम को कम करने के लिए नमक वाले पानी से कुल्ला करना या नाक साफ करना जैसी आदतें शामिल हैं. दिमाग में प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया अमाइलॉइड बीटा जमाव का कारण बन सकते हैं. हालांकि इस पर अभी भी रिसर्च जारी है. रिसर्च के परिणाम दिमाग की सेहत के लिए नाक की सफाई पर जोर देते हैं. नाक में उंगली करने की आदत से आपकी सूंघने की क्षमता प्रभावित होती है.
क्या है अल्जाइमर
अल्जाइमर्स मस्तिष्क की एक बीमारी है जिसमें याद्दाश्त कमजोर या पूरी तरह खत्म हो जाती है. दुनिया भर में 30 से 64 साल की उम्र के 39 लाख लोग अल्जाइमर रोग से पीड़ित हैं. अल्जाइमर की वजह से लोग अपने रोजमर्रा के काम करने में भी असमर्थ हो जाते हैं. अल्जाइमर की शुरुआत डिमेंशिया से होती है. वैसे तो ये बीमारी 60- 65 साल की उम्र में होती है. मगर कुछ मामलों में इस उम्र से पहले भी केस सामने आए हैं.