ICMR Study: पौष्टिक भोजन से किस तरह 40 से 50 फीसदी घट सकता है टीबी का खतरा, जानिए

टीबी एक संक्रामक रोग है. यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के कारण होता है जिसमें रोगी के फेफड़े प्रभावित होते हैं. एक अध्ययन में पाया गया कि बेहतर खानपान से इसके खतरे को कम किया जा सकता है.

World Tuberculosis Day
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 10 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 2:04 PM IST

हर साल भारत में टीबी की बीमारी से लाखों लोगों की मौत होती है. Tuberculosis यानी टीबी एक गंभीर समस्या है. शरीर में सही न्यूट्रिशन की कमी से आप इस बीमारी के खतरे को टाल सकते हैं. हाल ही में हुई एक रिसर्च के मुताबिक टीबी से जूझ रहे लोगों को अगर सही न्यूट्रिशन मिलने से इस बीमारी के कारण होने वाली मौत का खतरा कम हो सकता है. लांसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल की ओर से की गई रिसर्च के मुताबिक इस रिसर्च में 2800 मरीजों को शामिल किया गया, जिन्हें नियमित खाने में प्रोटीन के साथ ही साथ मल्टीविटामिन दिया गया.

क्या पाया गया अंतर?
एक रिपोर्ट के अनुसार, “टीबी के जोखिम कारकों में से एक अंडर न्यूट्रिशन भारत में सबसे प्रचलित है, जो हर साल 40% से अधिक ट्यूबरक्लोसिस के नए मामलों के लिए जिम्मेदार है. एनआईआरटी, चेन्नई द्वारा कई साल पहले किए गए अध्ययनों से पता चला है कि जिन टीबी रोगियों का वजन 35 किलोग्राम से कम था, उनकी मृत्यु दर 45 किलोग्राम से अधिक वजन वाले लोगों की तुलना में चार गुना अधिक थी.”जब इन लोगों को पर्याप्त न्यूट्रिशन दिया गया तो इसके बाद यह देखा गया कि टीबी के नए मरीजों की संख्या काफी कम हुई है. ऐसे में शोधकर्ताओं की एक इंटरनेश्नल टीम ने झारखंड के 4 जिलों में टीबी के कार्यक्रम के दौरान 2800 लोगों को शामिल किया. इन सभी मरीजों को महीने में 10 किलो दाल, चावल, मिल्क पाउडर, तेल और मल्टीविटामिन्स दी गई 6 महीनों तक उन्हें सही न्यूट्रिशन देने के बाद देखा गया कि इन मरीजों में 40 प्रतिशत को टीबी का इंफेक्शन कम हुआ था. 

किन लोगों में ज्यादा होता है खतरा
पोषण संबंधी स्थिति में सुधार के माध्यम से ट्यूबरक्लोसिस की सक्रियता को कम करना (RATIONS)ट्रायल टीबी के उपचार और रोकथाम में पोषण संबंधी सहायता के अंतर पर सबूत पेश करने वाला सबसे बड़ा परीक्षण है. एचआईवी और एड्स के मरीजों में भी टीबी का खतरा रहता है. टीबी के मरीजों के संपर्क में आने से टीबी होने का खतरा रहता है. किडनी की बीमारी वाले मरीज भी इसकी चपेट में आ सकते हैं. टीबी से बचने के लिए आप खांसते या छींकते समय मुंह पर रुमाल लगाकर रखें ताकि आप किसी इंफेक्शन के संपर्क में न आएं. बाहर से आने के बाद हमेशा हाथों को साबुन से धोएं.

वजन बढ़ना भी है समस्या
RATIONS परीक्षण के नतीजे बताते हैं कि फेफड़ों को टीबी वाले रोगी के परिवार के सदस्यों में पोषण में सुधार से सभी प्रकार की टीबी की घटनाओं में लगभग 40 प्रतिशत की कमी आई है और संक्रामक टीबी लगभग 50 प्रतिशत कम हुआ है. अध्ययन में पाया गया कि पहले दो महीनों में जल्दी वजन बढ़ने से टीबी से होने वाली मृत्यु का जोखिम 60 प्रतिशत कम हो जाता है. जिस समय इनकी गिनती की जा रही थी उस समय केवल 3 प्रतिशत ही काम करने में सक्षम थे, लेकिन उपचार के अंत में यह आंकड़ा बढ़कर 75 प्रतिशत हो गया. इस परीक्षण पर आधारित दूसरे अध्ययन में पाया गया कि "उपचार के दौरान वजन बढ़ना, विशेष रूप से दो महीनों में मृत्यु दर में कमी के साथ जुड़ा हुआ था, 1% वजन बढ़ने पर मृत्यु का तात्कालिक जोखिम 13% कम हो गया और 5% वजन बढ़ने पर 61% कम हो गया." बता दें कि जिन लोगों पर परीक्षण किया गया उन लोगों में दो-तिहाई से अधिक लोग आदिवासी थे. इनमें से अधिकांश लोग सार्वजनिक वितरण  प्रणाली (PDS)से राशन प्राप्त कर रहे थे.


 

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