कई बार हमें दूसरे के दर्द का एहसास तब होता है, जब हम खुद भी उसी दर्द गुजरते हैं. ऐसा ही कुछ ओडिशा में कटक निवासी अभिमन्यु दास के साथ हुआ है. जिन्होंने कैंसर की वजह से अपने परिवार के 4 सदस्यों को खो दिया. इसके बाद 2009 से दास कैंसर के मरीजों को अपने परिवार का सदस्य मानकर उनकी देखभाल कर रहे हैं.
दास का कहना है कि उन्होंने जीवन के अंतिम क्षण तक कैंसर के मरीजों की सहायता करने का संकल्प लिया है. हम सब जानते हैं कि कैंसर एक बेहद घातक बीमारी है. इसका इलाज भी बहुत महंगा है. आज के जमाने में कैंसर का इलाज संभव है लेकिन आमतौर पर पैसों के अभाव के कारण कैंसर के मरीजों को जान गंवानी पड़ जाती है.
मां को भी कैंसर से खोया
अभिमन्यु दास ने कहा कि कैंसर जैसी भयानक बीमारी के कारण उन्होंने अपने परिवार के चार सदस्यों को खो दिया है. इन चार सदस्यों में उनकी मां भी शामिल थीं. इस हादसे के बाद उन्होंने कैंसर से पीड़ित मरीजों को अपने परिवार का सदस्य मानकर उनकी देखभाल करने का संकल्प लिया. दास ने कहा कि अब तक वह करीब 16 हजार कैंसर के मरीजों की देखभाल कर चुके हैं.
साल 2009 से वह जिले के इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर में कैंसर के मरीजों की देखभाल कर रहे हैं. कई बार कैंसर के मरीजों को भयाक बीमारी के कारण उनके रिश्तेदार छोड़ कर चले जाते हैं. इस दौरन कैंसर के मरीजों का खान-पान से लेकर शौच कराने तक के काम का वह ध्यान रखते हैं. कभी-कभी वार्ड में उन्हें मरीजों की उल्टी तक साफ करनी होती है. लेकिन वह इस काम को सेवा मानते हैं.
पूरा दिन बिताते हैं कैंसर मरीजों के साथ
दास ने विस्तार से बताया कि वह प्रतिदिन सुबह 9 बजे कैंसर इंस्टीट्यूट जाते हैं और करीब 5 बजे शाम में वापस घर आते हैं. कई बार कैंसर के मरीजों के लिए अस्पताल में उपयुक्त दवाइयां उपलब्ध नहीं होती है. ऐसे में समाज सेवकों की मदद से उन्हें पर्याप्त दवाइयां उपलब्ध करवाते हैं. इन दिनों उनके साथ अन्य दर्जनों युवा कैंसर के मरीजों को सहायता प्रदान करते हैं.
दास ने कहा कि वह सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते हैं. उन्होंने कोराना महामारी के दौरान हजारों पार्थिव शरीरों का अंतिम संस्कार किया. वह परिवार का पालन-पोषण के लिए एक दुकान में बुक बाइंडिंग का कार्य करता हैं. उनका कहना है कि उन्होंने कैंसर के मरीजों की सहायता एवं देखभाल करने का संकल्प लिया है. वह अपने कार्य से संतुष्ट हैं और जीवन के अंतिम क्षण तक कैंसर के मरीजों की देखभाल करते रहेंगे.