Panic Day 2024: डायबीटीज, ब्लड प्रेशर और दिल के मरीज अधिकतर होते हैं पैनिक अटैक के शिकार, जानें इस बीमारी के लक्षण और बचाव के उपाय

Panic Attack आने के असल कारणों का अभी तक डॉक्टर पता नहीं लगा पाए हैं. यह अक्सर डायबीटीज, ब्लड प्रेशर और दिल के मरीजों में देखने को मिलता है. पैनिक अटैक का समय वैसे तो 5 से 20 मिनट होता है लेकिन कई बार ये लगातार आ सकता है. 

Panic Attack (symbolic photo)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 09 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 9:47 AM IST
  • पैनिक अटैक है एक मानसिक बीमारी 
  • व्यक्ति के मन में मौत का डर हो जाता है पैदा

हर साल 9 मार्च को पैनिक डे (Panic Day) मनाया जाता है. यह दिवस लोगों को उनके जीवन में व्याप्त डर और तनावों को कम करने के प्रति जागरूरक करने के लिए सेलिब्रेट किया जाता है. पैनिक अटैक मानसिक सेहत से जुड़ी एक बीमारी है. यह एक ऐसी स्थिति है, जो व्यक्ति के मन में मौत का डर भर देती है. यदि आपको भी अचानक डर और एंग्जायटी महसूस होने लगती है, तो हो सकता है आप पैनिट अटैक से ग्रस्त हों. 

क्या है पैनिक अटैक
पैनिक अटैक एक मानसिक बीमारी है. तनाव होने या नहीं होने पर भी पैनिट अटैक आ सकता है. यह व्यक्ति के मन में मौत का डर भर देती है. उसे लगता है कि उसकी धड़कन तेज हो गई है और उसकी जान अब नहीं बचेगी. कभी-कभी कुछ लोगों पर यह भय इस कदर हावी हो जाता है कि उन्हें दिल का दौरा भी पड़ जाता है. पैनिक अटैक आने के सामान्य समय 5 से 20 मिनट का होता है लेकिन कई बार ये लगातार आ सकता है. 

असल कारणों का नहीं लग पाया है पता
अभी तक पैनिक अटैक के असल कारणों का पता डॉक्टर नहीं लगा पाए हैं. इसके लिए जेनेटिक, मेडिकल या बाहरी फैक्टर्स बड़ा कारण हो सकते हैं. पैनिक अटैक एंग्जाइटी से जुड़ा हो सकता है. अक्सर यह डायबीटीज, ब्लड प्रेशर और दिल के मरीजों में देखने को मिल सकता है. पैनिक अटैक का समय वैसे तो 5 से 20 मिनट होता है लेकिन कई बार ये लगातार आ सकता है.

पैनिक अटैक कहीं भी, कभी भी और किसी को हो सकता है. यह व्यक्ति की स्थिति और उसके इमोशंस पर निर्भर करता है. यदि व्यक्ति अधिक डरा हुआ रहता है तो उससे इस परेशानी के होने की अधिक संभावना है. परिवार में यदि पीढ़ी दर पीढ़ी यह बीमारी चली हो रही है तो अधिक संभावना है कि आप भी इसकी चपेट में आ जाएं. बार बार पैनिक अटैक आने से न्यूरोलॉजिकल बदलाव देखने को मिल सकते हैं. इसका असर दिल और दिमाग दोनों पर पड़ता है.

पैनिट अटैक के लक्षण
1. दिल का जोर-जोर से धड़कना.
2. सांस लेने में दिक्कत महसूस होना.
3. पूरे शरीर में कंपकंपी होना. 
4. डर का अहसास होना.
5. सीने में दर्द और बैचेनी होना.
6. हार्ट अटैक जैसे लक्षण दिखने लगना.
7. सांस की स्पीड बढ़ जाना.
8. उल्टी और लूज मोशन जैसी समस्या होना.
9. तेज गर्मी महसूस करना.
10. हाथ-पैर सुन्न पड़ जाना

क्या है कारण
1. आनुवंशिक कारण. 
2. किसी चीज का तनाव लेना.
3. किसी कारण से भय का हावी होना
4. शराब या ड्रग्स का अत्यधिक सेवन.
5. जरूरत से ज्यादा कैफीन पीने की आदत.
6. दवाइयों का सेवन.
7. जीवन में घटी कोई दर्दनाक घटना.
8. दिमाग संबंधी कोई समस्या.
9. ऐसे लोग जो स्वभाव से बहुत ज्यादा संवेदनशील होते हैं. उनमें पैनिक अटैक के मामले अक्सर देखे जा सकते हैं.

पैनिक अटैक आने पर क्या करें
1. आपको पैनिक अटैक आया है, तो खुद को समझाएं कि यह खतरनाक नहीं है. 
2. खुद से या जिसे समस्या है उनसे बात करना शुरू करें. 
3. नाक के माध्यम से जितना हो सके धीरे-धीरे और गहरी सांस लें.
4. मुंह से धीरे-धीरे और गहरी सांस छोड़ें.
5. आंखें बंद करें और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें.
6. पैनिक अटैक आने पर व्यक्ति के हाथ-पैर पर पानी डालें. चेहरे और गर्दन को ठंडे पानी से धोएं.
7. मस्तिष्क में सेरोटोनिन नामक केमिकल की कमी के कारण भी यह समस्या होने लगती है.

पैनिक अटैक का कैसे करें इलाज
पैनिक अटैक आने पर किसी व्यक्ति को शांत करने के लिए सभी पांच इंद्रियां मदद करती हैं. ऐसे में आप ग्राउंडिंग तकनीकी का मदद ले सकते हैं. 5-4-3- 2-1 यह एक सामान्य ग्राउंडिंग तकनीक है, जिसमें आप व्यक्ति से पांच चीजों को सूचीबद्ध करने के लिए कह सकते हैं. आप उनसे 5 ऐसी चीजों के बारे में पूछ सकते हैं, जिसे वह देख सकते हैं. चार ऐसी चीजें, जिसे वह छू सकते हैं. तीन ऐसी चीजें, जिसे वह सुन सकते हैं. दो चीजें जिसे वह सूंघ सकते हैं और एक चीज जिसे वह चख सकते हैं. यह तकनीक इसलिए कारगर है, क्योंकि आपके इन सवालों का जवाब देने के लिए उनका मन और विचार सवालों पर केंद्रित हो जाएगा, जिससे उन्हें अटैक से राहत मिलेगी.

यदि आप लगातार तनावग्रस्त और चिंतित महसूस करते हैं, खासतौर पर इस बारे में कि आपका अगला पैनिक अटैक कब हो सकता है, तो आपको पैनिक डिसऑर्डर हो सकता है. जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलें. और अपनी स्थिति को बेहतर तरीके से समझें. इसके इलाज में सेरोटोनिन केमिकल को स्थिर करना शामिल है. इसका इलाज 3 से 6 महीने तक चलता है. साइकोथेरेपी के जरिए भी इलाज किया जाता है. दवाओं के साथ साइकोथेरेपी देने से जल्दी फायदा नजर आता है. साथ ही पैनिट अटैक का उपचार एंटीडिप्रेजेंट्स और एंटी-एंग्जायटी दवाओं के जरिए भी किया जाता है, जो समय के साथ न्यूरोट्रांसमीटर को स्थिर करता है. इससे धीरे-धीरे पैनिट अटैक की समस्या दूर हो जाती है.

 

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