हम सब जानते हैं कि मेडिटेशन बहुत ही ट्रांसफॉर्मेटिव प्रैक्टिस है जो इंसान में आंतरिक शांति और समग्र कल्याण को विकसित करता है. मेडिटेशन में मन को शांत करने, आत्म-जागरूकता को बढ़ावा देने और शांति की भावना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बहुत सी तकनीकें शामिल हैं. ट्रेडिशनल मेडिटेशन प्रैक्टिस में एक इनोवेटिव तकनीक है जल साधना (Water Meditation).
जल साधना या जल-ध्यान में लोग लगभग एक-डेढ़ घंटे पानी में रहते हुए ध्यान करते हैं. इसमें आपको अपनी नाभि को जल में डुबोकर रखना होता है. इससे नाभि जागृत होती है और शरीर के जल का मिलन नदी के जल से होता है. जिससे हमारा स्वास्थ्य बेहतर होता है. यह प्राचीन तकनीक दुनिया भर की संस्कृतियों में मौजूद है.
प्रकृति से जुड़ना
जल में ध्यान करने से मनुष्य का प्रकृति के तत्वों के साथ गहरा संबंध स्थापित होता है. प्रैक्टिस करने वाले लोगों को पानी की कोमल लय पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया जाता है - चाहे वह शांत झील की कल-कल करती लहरें हों, झरने का कल-कल करता प्रवाह हो, या बारिश की सुखदायक थपकी हो.
हम जानते हैं कि शरीर में 60% से ज्यादा पानी होता है और यह हर तरह से हमारे लिए महत्वपूर्ण है. पीने का पानी और साफ-सफाई हमारी फिजिकल फॉर्म के अभिन्न अंग हैं. पानी के साथ ध्यान करना हमारे शरीर के साथ तालमेल बिठाने में मददगार है. इससे आपको आधुनिक जीवन की निरंतर गति से मुक्ति मिलती है.
कई तरह से है फायदेमंद
बात जल साधना के फायदों की करें तो शारीरिक और मानसिक, दोनों तरह से यह फायदेमंद हैं. शारीरिक तौर पर यह कई तरह के फायदे देता है जैसे,
बात अगर मेंटल हेल्थ या मानसिक स्वास्थ्य की करें तो कई तरह से फायदा मिलता है, जैसे,