Omicron पर Pfizer Vaccine कम असरदार, फिर भी टीका लगवाने की जरूरत क्यों! जानिए

हालांकि, दोनों विशेषज्ञ इस बात पर सहमत थे कि इस पर वैज्ञानिक सहमति की पुष्टि करने के लिए ये जरूरी है कि दुनिया भर में सभी देश से वैक्सीन लगवाएं. बता दें कि दक्षिण अफ्रीका ने 25 नवंबर को ओमाइक्रोन का पहला मामला सामने आया था. सिगल की प्रयोगशाला बीटा संस्करण कोरोना का ही दूसरा रूप था, जो पिछले साल के आखिर तक दक्षिण अफ्रीका में सामने आया था.

सांकेतिक तस्वीर
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 08 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:22 AM IST
  • दूसरे वैरिएंट के मुकाबले ओमिक्रॉन पर वैक्सीन का सबसे कम असर
  • फाइजर का सबसे कम असर देखा गया है

फाइजर की वैक्सीन ओमिक्रॉन वैरिएंट पर दूसरे वैक्सीन के मुकाबले कम इम्यूनिटी देता है. ये बात दक्षिण अफ्रीका के शोधकर्ताओं ने एक स्टडी में पाया है. डरबन में अफ्रीका हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट में किए गए शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि ओमिक्रॉन के मरीज़ों में लगाया गया फाइजर-बायोएनटेक (Pfizer-BioNTech vaccine) एसई शॉट लेने वाले लोगों में एंटीबॉडी बनाने के स्तर में लगभग 40 गुना कमी आई है.

ओमिक्रॉन पर बेअसर है फाइजर वैक्सीन 

प्रयोगशाला में अनुसंधान के प्रमुख एलेक्स सिगल ने कहा कि एंटीबॉडी में कमी जरूर आई है लेकिन यह पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है, और इम्यूनिटी पर काम किया जाएगा. ताकि इस तनाव से निबटा जा सके. ब्लूमबर्ग से बातचीत में एक शोधकर्ता ने कहा कि  "बूस्टर डोज शायद संक्रमण की संभावना को कम कर देगा, इसलिए ये जरूरी है कि जिन लोगों ने बूस्टर डोज नहीं ली है वो डोज लें, और ये भी जरूरी है कि कोरोना से सक्रंमित हो चुके लोग भी वैक्सीन की खुराक लें. 

फिर से आ सकती है अस्पतालों में भर्ती होने की नौबत

वैक्सीनेशन का ओमिक्रॉन पर कम असर एक शुरुआती अध्ययन है, लेकिन इस रिजल्ट से ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि टीकाकरण से कम इम्यूनिटी पैदा होना फिर से वैसे मामले सामने ला कर खड़ा करेगी जिसमें पिछली लहर की तरह हॉस्पिटल में भर्ती होने की नौबत आएगी. डब्ल्यूएचओ के एक आला अधिकारी का कहना है कि इस बात में कोई दो राय नहीं है कि कोरोना का नया वैरिएंट पहले की तुलना में कई गुना खतरनाक है, और हालिया रिजल्ट को देख कर ऐसा लग रहा है कि सभी टीके इस नए वैरिएंट पर बेअसर होंगे, लेकिन उसके उलट विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आपात स्थिति निदेशक माइकल रयान ने AFP को बताया कि ये जरूरी नहीं कि नए वैरिएंट पर कोरोना का टीका बेअसर होगा. 

इस सब के बावजूद टीकाकरण जरूरी क्यों है , जानिए 

हालांकि, दोनों विशेषज्ञ इस बात पर सहमत थे कि इस पर वैज्ञानिक सहमति की पुष्टि करने के लिए ये जरूरी है कि दुनिया भर में सभी देश से वैक्सीन लगवाएं. बता दें कि दक्षिण अफ्रीका ने 25 नवंबर को ओम‍िक्रॉन का पहला मामला सामने आया था. सिगल की प्रयोगशाला बीटा संस्करण कोरोना का ही दूसरा रूप था, जो पिछले साल के आखिर तक दक्षिण अफ्रीका में सामने आया था. इसी प्रयोगशाला में बीटा के खिलाफ एंटीबॉडी के लिए लगभग एक महीने पहले दूसरा फाइजर-बायोएनटेक शॉट दिया गया था, जो पूरी तरह से असरदार था. 

 

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