Covid-19 Vaccination: पोस्ट-कोविड वैक्सीनेशन सिंड्रोम हो सकती है आपके माइग्रेन, मांसपेशियों में दर्द या दिल की बीमारियों के पीछे की वजह, ऐसे पहचानें

Covid-19 Vaccination Updates: पूरे जर्मनी (और दुनिया) में लोग सिरदर्द, क्रोनिक थकान सिंड्रोम और हृदय रोग का अनुभव दैनिक आधार पर करते हैं. यह महामारी के बाद से ज्यादा बढ़ गया है.

Post-COVID vaccination syndrome
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 14 जून 2023,
  • अपडेटेड 2:32 PM IST
  • जर्मनी में आए थे कई मामले सामने 
  • इस सिंड्रोम को साबित करना मुश्किल है 

दुनियाभर में अब पोस्ट कोविड वैक्सीनेशन सिंड्रोम को लेकर खूब चर्चा चल रही है. इसके मुताबिक, COVID-19 सहित हर टीकाकरण के दुष्प्रभाव हो सकते हैं. लेकिन वैक्सीन लग जाने के बाद टीकाकरण के बाद के सिंड्रोम को ट्रीट करना मुश्किल है. ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं कि वैक्सीन के भी अपने नुकसान हैं. इसी को पोस्ट कोविड वैक्सीनेशन सिंड्रोम कहते हैं. लॉन्ग कोविड की तरह ही पोस्ट-कोविड वैक्सीनेशन सिंड्रोम में क्रोनिक फटीग सिंड्रोम (CFS/ME), माइग्रेन, मांसपेशियों में दर्द या हृदय रोगों सहित कई प्रकार के लक्षण दिखते हैं. कुछ लोगों में इसके लक्षण कोविड टीकाकरण के तुरंत बाद नजर आ सकते हैं.

जर्मनी में आए थे कई मामले सामने 

बर्लिन के चैरिटी अस्पताल और जर्मन सेंटर फॉर न्यूरोडीजेनेरेटिव डिजीज (DZNE) के हेराल्ड प्रुस कहते हैं कि कोविड-19 टीकाकरण सिंड्रोम के बाद इसके आयामों को पूरी तरह से कम करके आंका गया है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 31 अक्टूबर, 2022 तक, COVID टीकाकरण के बाद गंभीर दुष्प्रभावों के लगभग 51,000 संदिग्ध मामले जर्मनी में सामने आए थे. संस्थान ने COVID टीकों पर एक सेफ्टी रिपोर्ट भी पब्लिश की थी. हालांकि, हेराल्ड प्रुस जैसे विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इनमें से अधिकांश मामले टीके के दुष्प्रभावों के अलावा किसी और कारण से हो सकते हैं.

टीके के साइड इफेक्ट कोई नई बात नहीं 

वैक्सीन के साइड इफेक्ट होना कोई असामान्य बात नहीं है. उदाहरण के लिए, स्टडी में सामने आया है कि H1N1 (स्वाइन फ्लू) वैक्सीन के बाद नार्कोलेप्सी के मामले सामने आए थे. हेराल्ड प्रुस के मुताबिक, कई लोग हैं जो पोस्ट-COVID वैक्सीन सिंड्रोम से पीड़ित हैं. इसका पहला लक्षण है किसी व्यक्ति का सिरदर्द, थकान या मांसपेशियों की कमजोरी आदि. अगर ये लक्षण इंजेक्शन के कुछ दिनों से हफ्तों तक दिखाई देते हैं, तो इसका संबंध इस सिंड्रोम से हो सकता है. 

इस सिंड्रोम को साबित करना मुश्किल है 

इसके अलावा, न्यूरोलॉजिस्ट हेराल्ड प्रुस कहते हैं, पोस्ट-कोविड ​​​​वैक्सीन सिंड्रोम साबित करना लगभग असंभव है. अभी ऐसा कोई बायोमार्कर नहीं है जिसे साइंस में व्यापक रूप से स्वीकार किया गया हो. एक बायोमार्कर एक विशिष्ट एंटीबॉडी हो सकता है जो हमारा शरीर वैक्सीनेशन के जवाब में पैदा करता है.

कई मामले रोज आ रहे हैं सामने 

पूरे जर्मनी (और दुनिया) में लोग सिरदर्द, क्रोनिक थकान सिंड्रोम और हृदय रोग का अनुभव दैनिक आधार पर करते हैं. यह महामारी के बाद से ज्यादा बढ़ गया है. इसे लेकर हेराल्ड प्रुस कहते हैं, "हर दिन अकेले जर्मनी में मल्टीपल स्केलेरोसिस के 30 नए मामले सामने आते हैं. इन सभी चीजों को बिना ठोस सबूत के टीकाकरण के लिए जिम्मेदार ठहराना लोगों की मदद करने के लिए बहुत कम होगा. अगर व्यक्ति ने टीका लगवाने के कुछ ही समय बाद लक्षणों का अनुभव करना शुरू किया है तो यह सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं. 

पोस्ट-कोविड वैक्सीनेशन और कोरोना के समान लक्षण हैं

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में इस बात के बारे में पूरी जानकारी नहीं है. जर्मन सोसाइटी ऑफ इम्यूनोलॉजी के अध्यक्ष डॉ. क्रिस्टीन फॉक का कहना है कि लॉन्ग कोविड और पोस्ट-कोविड टीकाकरण सिंड्रोम के बीच की कड़ी स्पाइक प्रोटीन के साथ क्रॉस-रिएक्शन हो सकती है. ऐसे कुछ लोग हैं, जिनमें संक्रमित होने या टीका लगने के बाद, न केवल स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ नॉर्मल एंटीबॉडी बनती है बल्कि एक प्रकार की क्रॉस रिएक्शन का भी अनुभव होता है. यही कारण है कि पोस्ट-कोविड वैक्सीनेशन सिंड्रोम और लॉन्ग कोविड में ऐसे समान लक्षण हैं.

 

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