काम के बीच में पावर नैप से बेहतर होती है परफॉरमेंस, पटना एम्स की स्टडी में खुलासा

इस पायलट स्टडी में, सभी प्रतिभागियों को दो समूहों में विभाजित किया गया और उन्हें सुडोकू का एक स्टैन्डर्ड सेट दिया गया. पर्टिसिपेंट्स को कठिनाई के हिसाब से अलग-अलग लेवल खेलने को दिया गया.

काम के बीच में पावर नैप
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 15 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:53 AM IST
  • दिन में झपकी लेने से इंसान की परफॉरमेंस बढ़ती है.
  • प्रतिभागियों को सुडोकू सॉल्व करने को दिया गया.

पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के एक अध्ययन में पाया गया है कि दिन में एक झपकी (Power Nap) इंसान की परफॉरमेंस को बढ़ाती है, खासकर गणना करने की क्षमता या ड्राइविंग जैसे कामों के दौरान. 18 से 24 साल की उम्र के 68 स्वस्थ पुरुष और महिला वॉलंटियर्स पर की गयी पायलट स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों ने पावर नैप ली, उन्होंने समस्याओं को हल करने और काम को पूरा करने में काफी बेहतर प्रदर्शन किया, उन लोगों की तुलना में जो पूरे समय जाग रहे थे.  

"गहरी नींद के साथ ही रैपिड आई मूवमेंट (REM) नींद, दोनों के दौरान पावर नैप की बदौलत लोगों के गणना संबंधी कामों में सुधार आया.  ये वैज्ञानिक रिपोर्ट एम्स-पटना में फिजियोलॉजी विभाग के सह-लेखक और प्रोफेसर डॉ कमलेश झा ने कहा कि दिन में झपकी लेने से कार्यक्षमता में बढ़ोत्तरी होती है. रामजी सिंह, फिजियोलॉजी के प्रोफेसर और वर्तमान में पश्चिम बंगाल में एम्स-कल्याणी के निदेशक, डॉ योगेश कुमार, अतिरिक्त प्रोफेसर, और एम्स में फिजियोलॉजी डिपार्टमेंट में सीनियर रेजिडेंट डॉ अभिलाषा मिश्रा द्वारा , सितंबर 2019 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ साइंटिफिक रिसर्च में एक मूल शोध पत्र के रूप में प्रकाशित हुआ है. 

प्रतिभागियों को दो समूहों में बांटा गया

इस पायलट स्टडी में, सभी प्रतिभागियों को दो समूहों में विभाजित किया गया और उन्हें सुडोकू का एक स्टैन्डर्ड सेट दिया गया, जो तार्किक सोच पर आधारित एक नंबर गेम है.  पर्टिसिपेंट्स को कठिनाई के हिसाब से अलग-अलग लेवल खेलने को दिया गया. हर समूह के प्रतिभागियों को प्रत्येक स्तर के लिए 10-12 मिनट का समय दिया गया था. जब वे खेल के दौरान कठिनाई के किसी लेवल पर फंस गए, तो टेस्ट ग्रुप को झपकी लेने की अनुमति दी गई, जबकि दूसरे समूह को जागने को कहा गया.  

उन्हें सुडोकू सॉल्व करने को दिया गया 

एक घंटे के लिए रेस्ट करने या जागने के बाद, प्रतिभागियों को उसी स्तर पर सुडोकू का एक ही सेट दिया गया था जहां वे पहले फंस गए थे.  उसके बाद जांच की गई कि प्रतिभागी उस सेट को पूरा कर पाए या नहीं. डॉ झा ने बताया, "जो प्रतिभागी जागते रहे, उन 37 में से केवल 6 दिए गए सुडोकू को हल करने में सक्षम थे, जबकि 31 नहीं कर सके. वहीं प्रतिभागियों में जो सोए थे, उन 31 में से 16 ने काम पूरा किया, जबकि 15 नहीं कर सके."

डॉ झा ने आगे बताया, "समूह के सॉल्वर और नॉन-सॉल्वर की तुलना करने पर, 18 में से 13 प्रतिभागी जिन्होंने गहरी नींद ली, वे सफलतापूर्वक काम को पूरा कर सके, जबकि पांच ऐसा नहीं कर सके." जब उन लोगों के बीच तुलना की गई जो जागते रहे और जिन्होंने REM नींद ली, 13 सुडोकू को सफलतापूर्वक पूरा करने में सक्षम रहे जबकि 12 अपना काम पूरा नहीं कर सके. 

स्टडी के बारे में बताते हुए डॉ झा ने कहा, "आमतौर पर लोग पावर नैप को सही नहीं मानते हैं और खासकर कार्यस्थलों पर ये अस्वीकार्य है. लेकिन हमारी स्टडी ने परफॉरमेंस में बढ़ोत्तरी के लिए इसकी संभावित उपयोगिता पर कुछ प्रकाश डालने की कोशिश की है.  हालांकि इस बारे में आगे का अध्ययन अधिक निर्णायक हो सकता है. 

ये भी पढ़ें:

 

 

Read more!

RECOMMENDED