हम अक्सर सुनते हैं कि दुनिया अच्छे लोगों से भरी हुई है. अब इसका जीता जागता उदाहरण देखने को मिला है बेंगलुरु में. 52 साल की एस. वसंतम्मा ने जब देखा कि बस में कुछ दूरी पर बैठी 22 साल की महिला को बच्चा होने वाला है और उसे प्रसव पीड़ा या labour pain हो रहा है तो उन्होंने उसकी मदद की. दरअसल, 20 साल पहले एस. वसंतम्मा एक हॉस्पिटल के लेबर वार्ड में असिस्टेंट के रूप में काम करती थीं. उसके बाद उन्होंने केएसआरटीसी में एक कंडक्टर के रूप में ज्वाइन कर लिया और अस्सिटेंट की नौकरी छोड़ दी. लेकिन एस. वसंतम्मा का लेबर वार्ड का अनुभव काम आया और महिला की जान बच पाई.
महिला ने एस. वसंतम्मा की मदद से बच्चे को दिया जन्म
सोमवार, 15 मई को बेंगलुरु-चिक्कामगलुरु बस में असम की रहने वाली 22 साल की फातिमा को अचानक प्रसव पीड़ा हुई (Labour Pain) तो एस. वसंतम्मा ने हसन में उदयपुरा के पास बस में बच्चे को जन्म देने में मदद करने के लिए तेजी से कदम बढ़ाया. फातिमा उस वक्त अपनी सास और एक बेटे के साथ बेंगलुरु से चिक्कामगलुरु की यात्रा कर रही थीं. जैसे ही बस ने चन्नारायपटना को पार किया, फातिमा को दर्द होने लगा. बस में बैठे दूसरे यात्रियों ने जब फातिमा को दर्द में देखा तो एस. वसंतम्मा को बताया.
द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार, एस. वसंतम्मा ने बताया, “मुझे एहसास हुआ कि डिलीवरी कभी भी हो सकती है. मैंने ड्राइवर से बस रोकने और सभी पुरुष यात्रियों को नीचे उतरने के लिए कहा. कुछ ही मिनटों में उसने एक बच्ची को जन्म दिया. इसी दौरान यात्रियों ने एंबुलेंस से संपर्क किया. जब तक एंबुलेंस मौके पर पहुंचती, तब तक बच्चे का जन्म हो चुका था.”
सभी ने की सराहना
एस वसंतम्मा का प्राइवेट अस्पताल में काम करने के अनुभव और उनके आत्मविश्वास ने डिलीवरी करने में उनका साथ दिया. डिलीवरी के बाद फातिमा को एंबुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शांतिग्राम में ट्रांसफर कर दिया गया. इस नेक काम के लिए एस. वसंतम्मा की भी खूब वाहवाही हुई.
केएसआरटीसी की प्रबंध निदेशक जी सत्यवती ने कंडक्टर वसंतम्मा की सराहना की है. उन्होंने कहा, “गर्भवती महिला की जरूरतों का जवाब देने और बच्चे और मां की जान बचाने के लिए महिला कंडक्टर की समय पर मानवीय सेवा बेहद सराहनीय है."