HC Response to Heat Wave Deaths: राजस्थान हाई कोर्ट का हीटवेव को लेकर सख्त रुख, कहा- इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कर देना चाहिए 

Heatwave and Rajasthan High court: राजस्थान हाई कोर्ट ने तापमान को कम करने के लिए अधिकारियों को सार्वजनिक आवाजाही वाली सड़कों पर पानी का छिड़काव करने का निर्देश दिया है. साथ ही कहा है कि इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कर देना चाहिए.

Heatwave (Photo/PTI)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2024,
  • अपडेटेड 12:59 PM IST
  • पर्यावरण प्रबंधन की जरूरत है
  • जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने बताए उपाय

देशभर में सभी हीटवेव के प्रकोप से जूझ रहे हैं. अब इसी कड़ी में राजस्थान हाई कोर्ट ने हाल ही में राज्य में गर्मी से होने वाली मौतों के मुद्दे पर सक्रिय रुख अपनाया है. हीटवेव के कारण होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या के जवाब में कोर्ट ने गुरुवार को अपनी कार्यवाही शुरू की. अब तक लू के कारण 61 लोगों की जान जा चुकी है. ऐसे में कोर्ट ने ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए निवारक उपायों और बेहतर तैयारियों की तत्काल जरूरत पर प्रकाश डाला है. साथ ही कोर्ट ने हीटवेव को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की आवश्यकता पर जोर दिया. 

जस्टिस अनूप कुमार ढांड का फैसला

सिंगल जज बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने जोर देकर कहा कि हीटवेव और शीत लहर दोनों को राष्ट्रीय आपदा के रूप में पहचानने का समय आ गया है. इसके प्रभावों को कम करने के लिए अग्रिम तैयारी जरूरी है. उन्होंने राज्य सरकार को हीटवेव से होने वाली मौतों के लिए उचित मुआवजा देने का निर्देश दिया है और सरकार को पालन करने के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए हैं.

बता दें, जस्टिस अनूप ढांड ने मृत्यु रोकथाम और शीत लहर विधेयक, 2015 का जिक्र किया, जिसे 18 दिसंबर 2015 को राज्यसभा में पेश किया गया था. हालांकि, यह विधेयक अभी तक कानून नहीं बन पाया है. 

पर्यावरण प्रबंधन की जरूरत 

अपने आदेश में, जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने कहा कि पृथ्वी अकेला ऐसा ग्रह है जहां जीवन है. इसका कोई वैकल्पिक ग्रह नहीं है. उन्होंने पृथ्वी को भगवान का एक अनमोल उपहार बताया. साथ ही उन्होंने कहा कि हमें इसकी देखभाल करनी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए इसे सुरक्षित रखा जा सके. इन जिम्मेदारियों को नजरअंदाज करने से बड़ा नुकसान हो सकता है, जिससे भविष्य खतरे में पड़ सकता है.

राज्य सरकार को करने चाहिए ये नियम लागू 

हाई कोर्ट ने कई तात्कालिक उपायों की रूपरेखा तैयार की, जिन्हें राज्य सरकार को लागू करना चाहिए-

1. सड़कों पर पानी का छिड़काव: तापमान को कम करने के लिए अधिकारियों को सार्वजनिक आवाजाही वाली सड़कों पर पानी का छिड़काव करने का निर्देश दिया गया है.
   
2. कूलिंग स्पेस का प्रावधान: ट्रैफिक सिग्नल, सड़कों और हाईवे पर कूलिंग सेंटर और छायादार क्षेत्र बनाए जाएं. इसके अलावा, इन स्थानों पर पीने का पानी, ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशंस (ORS), और आम पन्ना की आपूर्ति करें. 

3. स्वास्थ्य सुविधाएं: सुनिश्चित करें कि स्वास्थ्य केंद्र हीट स्ट्रोक और दूसरी गर्मी से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित रोगियों का इलाज करें.

4. श्रमिकों के लिए: कुली, गाड़ी खींचने वाले और रिक्शा चालक जैसे धूप में काम करने वाले श्रमिकों के लिए सलाह जारी करें. ज्यादा गर्मी की स्थिति के दौरान दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच आराम करें.

5. सार्वजनिक अलर्ट: ज्यादा गर्मी की स्थिति के बारे में जनता को सचेत करने के लिए SMS, एफएम रेडियो, टेलीविजन, मोबाइल ऐप, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और समाचार पत्रों का उपयोग करें.  

जस्टिस अनूप ने पर्यावरणीय मुद्दों के समाधान के लिए दीर्घकालिक उपाय करने की भी बात कही. जस्टिस अनूप ने कहा कि इंसानों और दूसरे जीवित प्राणियों को प्रदूषण से बचाने के लिए उपयुक्त कानून बनाए जाएं. साथ मिलावटी खाद्य पदार्थों की खपत को रोकने के लिए उपाय लागू किए जाएं.

 

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