क्या नेगेटिव विचारों को दबाना कभी अच्छी बात हो सकती है? जी हां, एक नई स्टडी में पता चला है कि इससे मेंटल हेल्थ को फायदा हो सकता है. स्टडी में बताया गया कि नेगेटिव विचारों को दबाने के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग के बाद तीन महीने तक मेंटल हेल्थ में सुधार किया जा सकता है.
अक्सर कहा जाता है कि जब भी हम किसी विचार को दबाने की कोशिश करते हैं तो वह हमारे दिमाग में सबसे आगे आ जाता है. मनोवैज्ञानिकों ने लंबे समय से इस अवधारणा को स्ट्रेस, डिप्रेशन और पोस्ट ट्रॉमेटिक डिसऑर्डर (PTSD) पर लागू किया है. इसमें मरीज को सुझाव दिया जाता है कि किसी डर या चिंताओं को दबाने से किसी का मानसिक स्वास्थ्य खराब हो सकता है.
नेगेटिव विचारों को दबाना हो सकता है अच्छा
हालांकि, एक हालिया अध्ययन में इस धारणा को चुनौती दी गई है. इसमें सुझाव दिया गया है कि नकारात्मक विचारों को दबाने से वास्तव में मेंटल हेल्थ में सुधार हो सकता है. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट माइकल एंडरसन ने इस स्टडी को किया है. जिसमें संकेत मिलता है कि नकारात्मक विचारों को रोकने के लिए दिमाग को ट्रेनिंग देने की जरूरत होती है. ऐसा करना मेंटल हेल्थ पर काफी अच्छा असर कर सकता है.
120 लोगों पर हुई स्टडी
इस स्टडी में 16 देशों के 120 लोगों को शामिल किया गया. इन लोगों ने भविष्य, आशाओं और न्यूटरल घटनाओं के बारे में अपने डर को लिखा. फिर प्रतिभागियों को इन घटनाओं से जुड़े एक शब्द पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा गया, जिसमें आधा नकारात्मक शब्दों पर और दूसरा आधा न्यूट्रल शब्दों पर केंद्रित था. यह अभ्यास तीन दिनों तक दिन में 12 बार दोहराया गया.
इसके नतीजे चौंकाने वाले थे. जिन प्रतिभागियों ने नकारात्मक विचारों को दबाया या रोका, उन्होंने बताया कि उनका डर कम हो गया था और उनके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हुआ है. इस एक्सपेरिमेंट के तीन महीने बाद भी, प्रतिभागियों ने अपने डर को कंट्रोल करने के लिए थॉट सप्रेशन यानि विचार को दबाने वाली तकनीक जारी रखी.
विचार दबाने के लिए ट्रेनिंग जरूरी
एंडरसन का मानना है कि नकारात्मक विचारों को रोकने के लिए दिमाग को ट्रेनिंग देना बहुत जरूरी है. स्ट्रेस, डिप्रेशन और पीटीएसडी के इलाज में ये एक महत्वपूर्ण उपकरण हो सकता है. हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स के इसको लेकर सावधानी बरतने के लिए कहा है.
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