आप बेशक आरएसवी वायरस का नाम पहली बार सुन रहे होंगे, लेकिन दिल्ली के अस्पतालों में इस वायरस का खौफ फैल चुका है. डॉक्टरों का कहना है कि पिछले दो सप्ताह में RSV जैसे लक्षणों वाले मरीजों की संख्या अचानक बढ़ने लगी है. दिल्ली के अस्पतालों में गले में दर्द, खराश, खांसी, जुकाम और बुखार के मरीज 30 फीसदी बढ़े हैं. RSV समेत कई तरह के वायरल संक्रमण और प्रदूषण की मार लोगों को ज्यादा बीमार बना रही हैं. अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों को इस वायरल संक्रमण का खतरा अधिक है. बता दें, अमेरिका में 1 साल से कम उम्र के बच्चों में ब्रोंकियोलाइटिस (फेफड़े की नली में सूजन) और निमोनिया (फेफड़ों का संक्रमण) का सबसे आम कारण आरएसवी है.
आइए जानते हैं इस वायरस से लक्षण और बचाव के उपाय
सीडीसी के मुताबिक, आरएसवी वायरस का पूरा नाम ह्यूमन रेस्पिरेटरी सीनसीटियल वायरस (Human Respiratory Syncytial Virus) है. ये वायरस आंख-नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है. यह सबसे पहले फेफड़ों और सांस की नली पर हमला करता है. जिसके कारण मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. कई गंभीर मामलों में रेस्पिरेटरी फेलियर से मरीज की मौत भी हो जाती है.
क्या है RSV के लक्षण
RSV की चपेट में आने के 4 से 6 दिन बाद इसके संकेत दिखने शुरू हो जाते हैं. गले में खराश, दर्द, नाक का बंद होना, तीन से चार दिन तक बुखार, कुछ मरीजों में तीन सप्ताह तक अधिक तक बुखार रह सकता है. मरीज में छींक आना और सिरदर्द की समस्या भी बनी रह सकती है. RSV का फैलने का तरीका आम फ्लू की तरह ही है. जब संक्रमित व्यक्ति छींकता या खांसता है, तो यह वायरस के कण हवा में फैल जाते हैं. जिनके संपर्क में आने से स्वस्थ व्यक्ति भी संक्रमित हो जाते हैं.
RSV का इलाज
आरएसवी वायरस का कोई इलाज नहीं है. इसके लक्षणों को खत्म करने के लिए सपोर्टिव केयर दी जाती है. जिसमें एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल दवाओं का सेवन, आईवी फ्लूइड, ह्यूमिडिफाइड ऑक्सीजन आदि शामिल हैं. इस वायरस के लक्षण आमतौर पर एक या दो हफ्ते में खत्म हो जाते हैं लेकिन अगर लक्षण आपको परेशान करें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. बच्चों और वृद्धों के लिए यह वायरस जानलेवा साबित हो सकता है. कैंसर पेशेंट्स को भी इस वायरस से बचने की सलाह दी जाती है. बच्चों के हाथ समय समय पर धुलवाते रहें ताकि इंफेक्शन हाथों के जरिए रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट तक ना पहुंच सके. घर का सामान साफ रखें. बच्चों और बुजुर्गों को बाहर ले जाते समय धूल मिट्टी से बचाए रखें.