हिंदू धर्मग्रंथों में संस्कृत के श्लोकों (Sanskrit Shloka) का विशेष महत्व बताया गया है. माना जाता है कि वेद, पुराण, रामायण, महाभातर और अन्य धार्मिक ग्रंथों में लिखे संस्कृत के श्लोंकों का उच्चारण करना जीवन में सकारात्मकता लेकर आता है. अब संस्कृत के श्लोकों को लेकर रिसर्च में एक नया खुलासा हुआ है. अध्ययन ने पाया गया है कि संस्कृत के श्लोकों को सुनने से मानसिक बीमारियों का इलाज हो सकता है. यह अध्ययन सेंटर ऑफ बायो मेडिकल रिसर्च (सीबीएमआर), लखनऊ में किया गया है.
ऐसे किया गया अध्ययन
सीबीएमआर ने अध्ययन में यह पाया है कि संस्कृत श्लोकों का मस्तिष्क पर एक विशेष प्रभाव पड़ता है, जो अन्य भाषाओं के शब्दों या ध्वनियों से संभव नहीं हो पाता. इस अध्ययन में यह देखा गया है कि संस्कृत श्लोकों को सुनने से मस्तिष्क के वे हिस्से सक्रिय हो जाते हैं, जो आमतौर पर संगीत सुनने या कला देखने के दौरान सक्रिय होते हैं. इस अध्ययन में 44 प्रतिभागियों को दो समूहों में बांटा गया था. पहले समूह में संस्कृत के विद्वान शामिल थे, जिन्होंने औसतन 12 साल तक वैदिक संस्कृत की शिक्षा ली थी. दूसरे समूह में हिंदी और अंग्रेजी जानने वाले लोग थे, जिन्हें संस्कृत का कोई ज्ञान नहीं था.
मस्तिष्क की प्रतिक्रिया को मापा गया
मस्तिष्क की क्रियाशीलता जांचने के लिए एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) का सहारा लिया गया. संस्कृत के श्लोक का प्रभाव जांचने के लिए कुछ श्लोक चुने गए. अध्ययन में संस्कृत श्लोकों और बिना अर्थवाले संस्कृत के बनावटी श्लोकों को सुनाकर मस्तिष्क की प्रतिक्रिया को मापा गया.अध्ययन में यह देखा गया कि जब संस्कृत के विद्वान समूह ने संस्कृत के असली श्लोक सुने तो उनके मस्तिष्क के वे हिस्से सक्रिय हो गए, जो आमतौर पर संगीत सुनने या कला देखने के दौरान सक्रिय होते हैं. यह सक्रियता उनमें बनावटी श्लोक सुनते समय नहीं दिखी. हिंदी या अंग्रेजी के जानकार व्यक्तियों में किसी भी श्लोक को सुनने पर मस्तिष्क की सक्रियता नहीं देखी गई.
मानसिक बीमारियों के उपचार में किया जा सकता है उपयोग
अध्ययन में यह भी पाया गया कि अल्जाइमर जैसी मानसिक बीमारियों में निष्क्रिय होने वाले टेंपोरल क्षेत्र को भी श्लोकों के प्रभाव से सक्रिय पाया गया. यह अध्ययन संस्कृत श्लोकों के मस्तिष्क पर प्रभाव को समझने में मदद कर सकता है और मानसिक बीमारियों के उपचार में इसका उपयोग किया जा सकता है.
किए गए अलग-अलग टेस्ट
इस अध्ययन के नतीजों को स्प्रिंगर नेचर में प्रकाशित किया गया है. संस्थान के निदेशक डॉ. आलोक धवन ने बताया कि इस अध्ययन का उद्देश्य मस्तिष्क और संस्कृत श्लोकों के बीच संबंध को समझना था. उन्होंने कहा कि संस्कृत श्लोकों का प्रभाव केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक भी है. असिटेंट प्रोफेसर डॉक्टर उत्तम कुमार ने बताया कि उन्होंने इस शोध के लिए काफी समय से अलग-अलग टेस्ट किए हैं. अध्ययन के दौरान कुछ लोगों को संस्कृत श्लोक को सुनवाया गया. इससे सुनने वाले मस्तिष्क में जो प्लेस है, वह खुल गया जबकि इसके साथ देखने वाले स्पेस भी खुल गए. उन्होंने बताया कि यह पहली बार हुआ है जब सुनने पर देखने वाला स्पेस भी ऐक्टिव हो जाए.
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