क्या आपको भी सुबह उठते वक्त कमर के निचले हिस्से और पैरों में जानलेवा दर्द होता है. धीरे-धीरे ये दर्द बढ़ता जाता है? पेन किलर लेने के बाद भी कुछ खास असर नहीं होता..कमर से लेकर पैरों तक झनझनाहट बनी रहती है तो हो सकता है आप सायटिका से जूझ रहे हैं. सायटिका में नस से होता हुआ दर्द पीठ के निचले हिस्से से होते हुए एक या दोनों पैरों में फैलता है. दफ्तरों में घंटों कुर्सी पर बैठकर काम करने वाले लोगों के लिए यह एक बहुत ही सामान्य स्थिति है.
सायटिका नर्व आपकी रीढ़ की हड्डी से शुरू होकर आपके कूल्हों से लेकर आपके पैरों तक जाती है. यह तब होता है जब एक हर्नियेटेड डिस्क नर्व के एक हिस्से पर दबाव डालता है जिससे प्रभावित पैर में सूजन, दर्द होता है.
ठंड के दिनों में ज्यादा परेशान करता है दर्द
आमतौर पर यह दर्द लोगों को 30 साल के बाद ही होता है. यूं तो सायटिका पेन एक अस्थाई दर्द ही है जो खुद भी ठीक हो जाता है और इसके लिए दवा और कुछ उपायों की आवश्यकता भी हो सकती है. 10 में से नौ लोगों को एपीड्यूरल इंजेक्शन से दर्द से राहत मिल जाती है. ये बीमारी ज्यादातर उन लोगों में होती है जिन्हें पीठ को मरोड़ने वाला काम करना पड़ता है, भारी बोझ उठाना पड़ता है या लंबे समय तक वाहन चलाना पड़ता है. लंबे समय तक डेस्क जॉब करने वालों को भी इसकी दिक्कत होती है. सायटिका का दर्द ठंड के दिनों में ज्यादा परेशान करता है. इस रोग की गंभीर अवस्था में असहनीय दर्द के कारण रोगी बिस्तर पर पड़ा रहता है.
सर्जरी भी करानी पड़ सकती है
Sciatica से संबंधित दर्द कुछ मामलों में बेहद गंभीर हो सकता है लेकिन कुछ हफ्तों में उचित इलाज के जरिए इससे राहत मिल सकती है. गंभीर sciatica के मामलों में पैरों में कमजोरी हो जाती है, कई बार इसके लिए सर्जरी से भी गुजरना पड़ सकता है. इसका रोगी आगे झुक कर पैर की उंगली को छूने में असमर्थ होता है.
Sciatica के लक्षण
कमर के निचले हिस्से में दर्द, कूल्हे में दर्द.
पीठ के निचले हिस्से, कूल्हे, पैरों में कमजोरी महसूस होना.
पैर की उंगलियों में "पिन और सुई" चुभने का अनुभव.
कमर से लेकर पैरों तक झनझनाहट.
उठते-बैठते वक्त पैरों में तेज दर्द महसूस होना.
बैठने पर पैर के पीछे के भाग में दर्द का बढ़ जाना.
सायटिका के कारण
स्पाइनल कॉर्ड की नसों में दिक्कत या बैक की नसों में जटिलताओं के कारण भी सायटिका हो सकता है. अगर यह समस्या लगातार बढ़ती रहे, तो यह शरीर के आंतरिक नसों पर भी बुरा प्रभाव डालना शुरू कर देती है. जब तंत्रिकाओं में सूखापन आ जाता है और रीढ़ की हड्डी खिसकने लगती है तो सायटिका होता है. 30 से 40 साल की उम्र के लोगों में यह समस्या अधिक देखी जाती है. सायटिका ज्यादातर एक पैर में होती है, लेकिन दोनों में भी इसके लक्षण पाए जा सकते हैं.
सायटिका से बचाव
80 प्रतिशत लोगों में यह रोग चोट लगने से होता है. महिलाओं की तुलना में यह रोग पुरूषों में अधिक होता है. नियमित रूप से व्यायाम करके, पीठ को सीधा करके सही मुद्रा में बैठने से इससे कुछ हद तक बचाव संभव है. सायटिका से पीड़ित लोगों को भारी चीजें उठाने से बचना चाहिए. उठते, बैठते और लेटते वक्त शरीर की मुद्रा सही रखनी चाहिए. दर्द होने पर आइस पैक को दर्द वाली जगह पर लगाने से आराम मिलता है. इसके अलावा इसे कुछ योगासन की मदद से भी दूर किया जा सकता है.