वैज्ञानिकों ने Omicron स्ट्रेन को अलग करने का निकाला तरीका, कितनी प्रभावी है एंटीबॉडी आसानी से कर पाएंगे पता

दरअसल, टीकाकरण की प्रभावशीलता और इसके नए वेरिएंट की संभावना का आकलन करने के लिए एक न्यूट्रलाइज अध्ययन सबसे अच्छा तरीका है. इसके माध्यम से, वैज्ञानिक पुराने स्ट्रेन (जैसे डेल्टा) और नए ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन से जो एंटीबॉडीज बनी हैं और जो नेचुरल ही इंसान के शरीर में एंटीबॉडी बनी है, उनकी क्षमता को आसानी से जांच पायेंगे.

Omicron Varient
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 30 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:35 AM IST
  • एंटीबॉडी कितनी हैं प्रभावी ये भी लगेगा पता
  • नए वेरिएंट की संभावना का कर सकेंगे आकलन

ओमीक्रॉन वेरिएंट के बढ़ते मामलों के बीच देश के वैज्ञानिक दिन रात काम कर रहे हैं. अब इसी कड़ी में पुणे स्थित इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (ICMR-NIV) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा एक्सपेरीमेंट किया है जिसमें नोवेल कोरोनावायरस के ओमाइक्रोन स्ट्रेन को सफलतापूर्वक अलग कर लिया गया है. ये पाषाण में हाई-एंड बायो-सेफ्टी लेबोरेटरी में किया गया है. बीमारी को विफल करने में वैक्सीन का प्रभाव का आकलन करने के लिए ये कदम काफी महत्वपूर्ण हो सकता है. 

आईसीएमआर के एक अधिकारी ने बुधवार को टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के सभी सिग्नेचर चेंजिस जैसे म्यूटेशन आदि को अलग-थलग कर दिया गया है. इससे हम टीके के प्रभाव को अच्छे से अध्ययन कर पाएंगे. अगले दो हफ्तों में, हम नए वेरिएंट के खिलाफ कोविशील्ड और कोवैक्सिन की वैक्सीन कितना प्रभाव डालती है, ये मापने में सक्षम होंगे.”

एंटीबॉडी कितनी हैं प्रभावी ये भी लगेगा पता 

इस एक्सपेरिमेंट से ये भी पता चल पायेगा कि क्या ये नया वेरिएंट उन लोगों में मौजूदा एंटीबॉडी को मात देगा जिन्हें पहले कोविड हो चूका था. अधिकारी कहते हैं, "वायरस आइसोलेशन एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और इसे जानने के लिए यह हमारा पहला कदम है. अब, हम लैब में बनाए गए ओमिक्रॉन स्ट्रेन के खिलाफ कोवैक्सिन और कोविशील्ड इ जो एंटीबॉडीज बनती हैं. वे कैसा प्रभाव डालती हैं ये देख पाएंगे. अब इसका न्यूट्रल अध्ययन किया जा सकेगा.” 

नए वेरिएंट की संभावना का कर सकेंगे आकलन 

दरअसल, टीकाकरण की प्रभावशीलता और इसके नए वेरिएंट की संभावना का आकलन करने के लिए एक न्यूट्रलाइज अध्ययन सबसे अच्छा तरीका है. इसके माध्यम से, वैज्ञानिक पुराने स्ट्रेन (जैसे डेल्टा) और नए ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन से जो एंटीबॉडीज बनी हैं और जो नेचुरल ही इंसान के शरीर में एंटीबॉडी बनी है, उनकी क्षमता को आसानी से जांच पायेंगे. 

एक अन्य वायरोलॉजिस्ट ने कहा, “सेल कल्चर प्रयोगों से इतर, वैक्सीन से बनीं और प्राकृतिक रूप में बनी एंटीबॉडीज कितनी सुरक्षा देती है या इसका कितना प्रभाव है ये समझ पायेंगे. अब ओमिक्रॉन के लिए हम एनिमल मॉडल में भी अध्ययन कर सकेंगे. 

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