Retinoblastoma Awareness Week: छोटे बच्चों को जल्दी होता है आंखों का कैंसर, जानिए क्या होता है रेटिनोब्लास्टोमा और इसके बारे में सबकुछ

14 मई से 20 मई, 2023 तक रेटिनोब्लास्टोमा अवेयरनेस वीक मनाया जा रहा है. पहले आपको खासतौर पर बच्चों की आंखों में  होने वाले  कैंसर के बारे में बताते हैं. इसे रेटिनोब्लास्टोमा कहते हैं जो आंख के रेटिना में बनता है. रेटिना आंख के पीछे तंत्रिका ऊतक की एक पतली परत होती है और इससे एक या दोनों आंखों पर असर पड़ सकता है.

रेटिनोब्लास्टोमा
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 18 मई 2023,
  • अपडेटेड 11:38 AM IST
  • 5 साल से कम उम्र के बच्चों में ज्यादा है खतरा
  • न्यूट्रीएंट्स की कमी से होती है ये बीमारी

बच्चों के जिन आंखों में आने वाले कल के सपने हैं, उनकी देखभाल भी होनी चाहिए. जिस एक नजर पर हमारे दिलो जान कुर्बान होते हैं, उसे नजर ना लगे, इसका भी ध्यान रखना होगा. ज्यादातर लोग नहीं जानते लेकिन बच्चों के आंखों को भी कैंसर से खतरा हो सकता है. जिसकी वजह से रोशनी जा सकती है और जिन्दगी पर भी खतरा हो सकता है. रेटिनोब्लास्टोमा नाम के इस कैंसर को लेकर लोगों का जागरूक होना जरूरी है. 14 मई से 20 मई तक रेटिनोब्लास्टोमा अवेयरनेस वीक मनाया जा रहा है. 

क्या है रेटिनोब्लास्टोमा?
पहले आपको खासतौर पर बच्चों की आंखों में  होने वाले  कैंसर के बारे में बताते हैं. इसे रेटिनोब्लास्टोमा कहते हैं जो आंख के रेटिना में बनता है. रेटिना आंख के पीछे तंत्रिका ऊतक की एक पतली परत होती है और इससे एक या दोनों आंखों पर असर पड़ सकता है. इस बीमारी को लेकर सावधानी इसलिए जरूरी है क्योंकि ये बच्चों में जन्म के कुछ समय बाद ही डेवलप होने लगती है. शुरुआती में तो ट्यूमर आंख तक ही रहता है. लेकिन अगर सही इलाज नहीं हुआ तो ट्यूमर आंख से बाहर फैल सकता है और शरीर के कई हिस्सों को अपनी चपेट में ले सकता है. इससे जैसे दिमाग और हड्डियां भी प्रभावित हो सकती है. वैसे तो कैंसर कोई भी हो जानलेवा साबित होता है और इसीलिए इस बीमारी का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं..

इन लोगों में है कैंसर का ज्यादा खतरा
आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों में इस कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है और करीब 18 हजार जन्में बच्चों में एक बच्चा इस कैंसर से प्रभावित होता है. डॉक्टर्स के मुताबिक गर्भ में पल रहे बच्चे में कुछ न्यूट्रीएंट्स की कमी से ये बीमारी होती है. अगर माता-पिता या भाई-बहन में किसी को आंखों का कैंसर हो तो बच्चे में इसकी संभावना पचास फीसदी बढ जाती है. लेकिन अच्छी बात ये है कि अगर समय पर इसका पता चल जाए तो इलाज मुमकिन है.

कैसे होता है इसका इलाज?
शुरुआती स्टेज में इस कैंसर का इला लेजर और कीमोथेरेपी से किया जाता है और ज्यादातर  मरीजों के आंखों की रोशनी बच जाती है. उनकी जिन्दगी पर भी कोई खतरा नहीं रहता. लेकिन अगर इलाज में देरी हो गई तो हालात गंभीर हो सकते हैं. हमेशा के लिए दिखना बंद हो सकता है, या आंख निकालनी पड सकती है. इसलिए बच्चे की आंखों को लेकर बेहद सतर्क रहने की जरूरत है.

बच्चों की आंखों के इन लक्षणों का ध्यान रखें:
आंखों में सफेद चमक 
रंग की पहचान नहीं कर पाना 
आंखों का फड़कना 
सफेद हिस्से में रेडनेस 
रोशनी कमजोर  
और आंखों में दर्द या सूजन होना

कैसे चलेगा बीमारी का पता?
अगर ये लक्षण लगातार नजर आते हैं, तो डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए, जो एमआरआई स्कैन और अल्ट्रासाउंड से आंखों के टेस्ट के बाद बीमारी का पता लगा सकते हैं. हो सकता है कि सर्जरी की जरूरत ना पड़े क्योंकि कीमोथेरेपी से ही इसका इलाज मुमकिन है. लेकिन ये तभी मुमकिन है जब रेटिनोब्लास्टोमा को लेकर हम सतर्क रहें. इसके लक्षणों को आंखों की छोटी-मोटी समस्या मानकर उसे नजरअंदाज ना करें. क्योंकि देरी बहुत भारी पड़ सकती है. 

 

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