देश में ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए एक अच्छी खबर है. एक नए ऐप से बच्चों में ऑटिज्म की पहचान करना अब आसान हो सकता है. ऐप यह पता लगाने में काफी हद तक सक्षम है कि बच्चा कहीं ऑटिज्म या उसे जुड़े किसी तरह के न्यूरोडेवलेपमेंट डिसऑर्डर यानी मानसिक विकास में किसी तरह की बाधा का शिकार तो नहीं है.
86 फीसदी मामलों में सटीक पहचान
दिल्ली में किए गए शोध में बताया गया कि स्क्रीनिंग टूल्स फॉर ऑटिज्म रिस्क यूजिंग टेक्नोलॉजी (START) नाम के नए ऐप के जरिए बच्चों में ऑटिज्म का पता लगााया जा सकता है. इस ऐप ने शोध के दौरान 86 फीसदी मामलों में एकदम सटीक तरह न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर की पहचान की. ऑटिज्म के 78 फीसदी मामलों में इसका निष्कर्ष सही पाया गया.
समय पर इलाज करने में मिलेगी मदद
ऑटिज्म जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन के मुताबिक, नया ऐप बच्चों में जल्दी और सस्ती दर पर ऑटिज्म के लक्षणों का पता लगाने में प्रभावी साबित हो सकता है. इससे सही समय पर इलाज शुरू करने में भी मदद मिल सकती है. नए ऐप स्टार्ट पर अध्ययन भारत, ब्रिटेन व अमेरिका के शोधकर्ताओं ने किया और इसके लिए दिल्ली के सीमित संसाधन वाले इलाकों में रहने वाले दो से सात साल उम्र के 131 बच्चों को चुना गया. टैबलेट कंप्यूटर पर सरल खेलों, सवालों, चित्रों और छोटी-छोटी तमाम तरह की गतिविधियों के जरिए बच्चों की सामाजिक प्राथमिकता, उनकी रुचियों और मोटर कौशल को मापा गया.
कहीं भी आसानी से हो सकेगी पहचान
यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग, यूके में प्रोफेसर भीष्मदेव चक्रवर्ती ने कहते हैं कि अधिकांश ऑटिस्टिक लोग दुनिया के उन हिस्सों में हैं, जहां इस बीमारी का इलाज करने वाले विशेषज्ञ बहुत कम हैं या एकदम नहीं के बराबर हैं. ऑटिज्म के बारे में जागरूकता भी बेहद कम है. अध्ययन का नेतृत्व करने वाले चक्रवर्ती ने कहा, कई बार ऑटिज्म के शिकार लोगों का गलत निदान किया जाता या फिर गलत समझा जाता है, इसलिए हमने कहीं भी ऑटिज्म और उससे जुड़ी मानसिक स्थितियों की पहचान के लिए स्टार्ट ऐप डिजाइन किया है. यह स्वास्थ्यकर्मियों के इस्तेमाल के लिए आसान है. इसमें शामिल गतिविधियां बच्चों के लिहाज से रोचक हैं.
बच्चे होते हैं सबसे अधिक प्रभावित
ऑटिज्म डिसऑर्डर एक प्रकार की मानसिक बीमारी है. ये एक ऐसी बीमारी है जिससे सर्वाधिक रूप से बच्चे प्रभावित होते हैं. ये बीमारी पीड़ित बच्चे के व्यवहार पर असर डालती है. ऑटिज्म के लक्षण बच्चों में बचपन से ही दिखाई देने लगते हैं. ऐसे में इस बीमारी का समय रहते इलाज कराना जरूरी है नहीं तो इससे मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है. इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में होने वाली परेशानी एक जैसी नजर नहीं आती है. आटिज्म से पीड़ित अलग-अलग बच्चों में अलग-अलग लक्षण देखे जा सकते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक दुनियाभर में औसतन 100 में से एक बच्चा ऑटिज्म से प्रभावित होता है.